चेन्नई में ही कभी इंग्लैंड टीम पर लगा था गेंद में वैसलीन लगाने का आरोप, फिर क्या हुआ– News18 Hindi

चेन्नई में ही कभी इंग्लैंड टीम पर लगा था गेंद में वैसलीन लगाने का आरोप, फिर क्या हुआ– News18 Hindi


भारत और इंग्लैंड की क्रिकेट टीमें चेन्नई में टेस्ट मैच खेल रही हैं. इन दोनों देशों की क्रिकेट में चेन्नई का मैदान ऐतिहासिक भी रहा है. कई खास बातों का गवाह भी रहा है. इसी मैदान पर एक बार भारत और इंग्लैंड के बीच एक ऐसे विवाद ने जन्म लिया, जिसने वर्ल्ड क्रिकेट में हंगामा मचा दिया. भारतीय कप्तान बिशन सिंह बेदी ने प्रतिद्वंद्वी टीम के तेज गेंदबाजी जॉनी लीवर पर गेंद के साथ वैसलीन लगाकर छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया.

बेदी ने आरोप लगााया कि लीवर गेंद पर गलत तरीके से वैसलीन लगा रहे हैं, इससे गेंद को जरूरत से ज्यादा स्विंग मिल रही है. ये आरोप सनसनीखेज था. वर्ल्ड क्रिकेट में तहलका मचाने वाला. तब वर्ल्ड क्रिकेट में इंग्लैंड की तूती बोलती थी. वैसे इस आरोप के चलते चेन्नई में 1976-77 में खेले गए उस टेस्ट को वैसलीन टेस्ट ज्यादा कहा गया.

1976-77 में इंग्लैंड क्रिकेट टीम चार टेस्टों की सीरीज खेलने भारत आई हुई थी. इंग्लिश गेंदबाज लीवर की स्विंग गेंदबाजी भारतीय बल्लेबाजों के लिए सिरदर्द साबित हो रही थी. दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान पर विकेट के दोनों ओर लहराती उसकी स्विंग गेंदों ने खूब कहर ढहाया था. उस मैच में उसने 10 विकेट लेकर अपने टेस्ट करियर की शानदार शुरुआत की थी. इसके बाद कोलकाता के दूसरे टेस्ट में भी लीवर की गेंदबाजी छायी रही.

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इंग्लैंड पहले दो टेस्ट जीत 2-0 से आगे था

पहले दोनों टेस्ट इंग्लैंड जीतकर चार टेस्टों की सीरीज में 2-0 से आगे हो चुका था. अब चेन्नई (तब मद्रास) में तीसरा टेस्ट था. इस मैच में भी लीवर की खौफनाक स्विंग का आतंक भारतीय बल्लेबाजों पर छाया था. उसने पहली पारी में 05 और दूसरी में 02 विकेट लेकर इंग्लैंड को 200 रनों के बडे़ अंतर से जीत तो दिलाई ही साथ ही सीरीज में 3-0 की अजेय बढ़त भी दिला दी.

तब भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान बिशन सिंह बेदी ने अंपायर से लीवर की शिकायत की कि वो गेंद पर कुछ लगाकर उससे छेड़छाड़ कर रहे हैं.

बेदी ने अंपायर से लीवर की शिकायत की

हालांकि इस मैच में अंपायर से भारतीय कप्तान बेदी की एक शिकायत ने सभी को सकते में डाल दिया. जब जॉन लीवर गेंदबाजी कर रहे थे, तब बेदी नान स्ट्राइकर एंड पर खड़े थे. बेदी ने गौर किया कि लीवर जब भी रनअप के लिए जाते हैं तो वहां रखी स्ट्रिप से कुछ लेकर माथे पर लगाता है और फिर गेंद पर.

लीवर ने क्या दिया स्पष्टीकरण

बेदी ने इसकी शिकायत अंपायर जे रियूबेन से की. लीवर से पूछताछ की गई. तो उसने बताया कि इस स्ट्रिप में वैसलीन है, वो इसका इस्तेमाल अपनी भौहों में लगाने के लिए कर रहे हैं. ताकि माथे से आ रहे पसीने को रोका जा सके. बेदी इस दलील से संतुष्ट नहीं थे. उनका आरोप था कि लीवर सच्चाई छिपा रहे हैं, दरअसल वैसलीन के जरिए वो गेंद को चमका रहा है और इससे गेंद ज्यादा स्विंग कर रही है. गेंद में लगा अतिरिक्त चिकनापन स्विंग में मददगार हो रहा है.

लीवर ने तब अंपायर को सफाई दी कि वो माथे पर आने वाली पसीने को रोकने के लिए वैसलीन का इस्तेमाल कर रहे हैं. उन्हें बेदाग छोड़ दिया गया.

इंग्लिश मीडिया ने लीवर का पक्ष लिया

टेस्ट तो खत्म हो गया लेकिन बेदी की ये शिकायत मीडिया में छा गई. इसे अखबारों ने बढ़ा-चढ़ाकर दिया. अगर भारतीय मीडिया बेदी के साथ था तो इंग्लिश मीडिया ने इसे भारतीय कप्तान की खीझ कहा. वो पूरी तरह अपने गेंदबाज लीवर के पक्ष को सही ठहरा रहे थे. इस विवाद से दोनों टीमों के बीच कड़वाहट आ गई.

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भारतीय क्रिकेट बोर्ड दब्बू साबित हुआ

मामला भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पास पहुंचा, जिसे इस मामले में अपने कप्तान के स्टैंड के साथ खड़ा होना था लेकिन उन दिनों भारतीय बोर्ड दब्बू होता था. इंग्लिश क्रिकेट बोर्ड के सामने उसका कद बहुत छोटा माना जाता था. नतीजतन बीसीसीआई का जो समर्थन बेदी को मिलना चाहिए वो नहीं मिला बल्कि इस पूरे प्रकरण से बेदी को ही नुकसान हो गया.

उल्टे बेदी को इसका नुकसान हो गया

उन्हें इंग्लिश मीडिया का कोपभाजक तो बनना ही पड़ा साथ ही इंग्लिश काउंटी में खेलने से हाथ धोना पडा़. 70 के दशक में भारतीय क्रिकेट आफसीजन में इंग्लिश काउंटी में खेलने जाया करते थे ताकि अतिरिक्त धन कमा सकें. उन दिनों भारतीय क्रिकेट में ज्यादा पैसा मिलता नहीं था. उसकी तुलना में काउंटी टीमें विदेशी क्रिकेटरों को अच्छा पैसा देती थीं.

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बेदी का पत्ता इंग्लिश काउंटी से कट गया

बेदी नार्थम्पटनशायर से खेलते थे और खासे सफल बॉलर थे. जब इंग्लैड काउंटी एंड क्रिकेट बोर्ड ने अपने क्रिकेटर लीवर का समर्थन किया तो आनन फानन में नार्थम्पटनशायर ने अगले सीजन के लिए बेदी को नहीं खिलाने का फैसला किया. इसे तरह बेदी के लिए वैसलीन कांड घाटे का सौदा साबित हुआ.

अब इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने गेंद टैंपरिंग के खिलाफ नियम कड़े कर दिए हैं. इसमें गेंद पर वैसलीन लगाना भी टैंपरिंग की ही श्रेणी में आता है.

आखिरी और चौथा टेस्ट भारत ने जीता

भारत के लिए एकमात्र राहत की बात केवल यही रही कि आखिरी और चौथे टेस्ट में भारत जीत गया. इस तरह वो अपना सम्मान बचाने में सफल रहा लेकिन ये वैसलीन टेस्ट लंबे समय तक चर्चा में रहा. बाद में माना भी गया कि लीवर वाकई गेंद पर वैसलीन लगाकर गेंद को ज्यादा स्विंग कराने में मदद पा रहे थे.

अब गेंद पर वैसलीन लगाना छेड़छाड़ माना जाता है

बेदी की शिकायत पर तो तब किसी ने ज्यादा गौर नहीं किया. लेकिन बाद में इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल ने इंटरनेशनल क्रिकेट में गेंदबाजों द्वारा गेंद से किए जाने छेड़छाड़ के जिन तरीकों पर रोक लगा दी, उसमें गेंद पर वैसलीन लगाना भी है. अब अगर कोई गेंदबाज गेंद पर वैसलीन लगाता है तो उस नियमों के तहत कड़ी कार्रवाई हो सकती है.





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