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रतलाम19 मिनट पहले
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- श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमचौक स्थानक पर कहा
किसी दूसरे के द्वारा हमारे कर्म बंधते नहीं हैं और ना ही कोई दूसरा हमारे कर्म काट सकता है। भगवान महावीर को भी अपने कर्मों को खुद कष्ट सहकर काटना पड़ा। उन्होंने अपने पूर्व भव में राजा के रूप में संगीतकार के कान में गरम शीशा डाला था, तो ग्वाले ने उनके कान में किले ठोंके।
यह बात विचक्षण श्रीजी ने कही। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ नीमचौक स्थानक में प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा मानव मन की एक बहुत बड़ी कमी है कि उसका ध्यान खुद में नहीं हमेशा दूसरों में रहता है, चाहे धार्मिक क्षेत्र हो सामाजिक, व्यावसायिक क्षेत्र हो। जबकि भगवान ने कहा है कि स्वयं को देखो, लेकिन हम तो ऐसे हैं कि जब ध्यान करने बैठते हैं तब भी हमारा ध्यान भटकता रहा है। उन्होंने कहा अगर हमें भगवान से कुछ मांगना है तो 4 चीजें मांगना चाहिए। पहली वाॅश हो सके हमें ऐसा ब्रेन दे दो। दूसरा हमें इंतजार करने की शक्ति दे। तीसरा हमें ऐसा दिल देना कि हम विश कर सकें। चौथी वॉक कर सकूं ऐसे पैर दो।
रत्नज्योति जी मसा ने कहा कि आपके लिए संसार की प्रत्येक क्रिया प्रत्येक प्राणी चुने के समान है। जैसे ज्यादा चूना खाने से शरीर के भीतर आंतें जल जाती हैं, व्यक्ति बीमार हो सकता है, मर सकता है। वैसे ही सांसारिक कार्य में पाप का बंध होता है। चूने के प्रभाव को कम करने, नष्ट करने के लिए घी पीना चाहिए। वैसे ही संसार के पापों को काटने के लिए त्याग, तपस्या, जप, तप आदि की घी की कटोरी का सेवन करना चाहिए।
रोजाना होंगे प्रवचन
नीमचौक स्थानक पर महासती प्रियदर्शना जी मसा, साध्वीश्री किरणप्रभा जी मसा, रतन ज्योति जी मसा, विचक्षणश्री जी मसा, अर्पिता श्रीजी मसा, वंदिता श्रीजी मसा, मोक्षिता श्रीजी मसा आदि ठाना 07 विराजित है। आगामी कुछ दिनों तक प्रतिदिन सुबह 9 से 10 प्रवचन होंगे।