राजीव गांधी खेल परिषद योजना: 3.75 करोड़ में राष्ट्रीय स्तर के तीन खेल मैदान बनाए, 4 साल में भी नहीं हुई खेल गतिविधियां

राजीव गांधी खेल परिषद योजना: 3.75 करोड़ में राष्ट्रीय स्तर के तीन खेल मैदान बनाए, 4 साल में भी नहीं हुई खेल गतिविधियां


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खंडवा10 घंटे पहले

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खेल गतिविधियां नहीं होने से 4 साल में ऐसे उजाड़ हो गया नहाल्दा का खेल मैदान।

  • ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने नहाल्दा, छैगांवमाखन व पुनासा में कराया था निर्माण
  • मैदानों की दुर्दशा का कारण बने जिला प्रशासन और ग्रामीण यांत्रिकी विभाग

चार साल पहले पौने चार करोड़ रुपए की लागत से ग्रामीण अंचलों में राष्ट्रीय स्तर के तीन खेल मैदान बनाए थे। इन्हें बने 4 साल हो गए, लेकिन इनका हस्तांतरण एक विभाग से दूसरे विभाग में नहीं हो पाया। चार साल में इन मैदानों पर घास की जगह कंटीली झाड़ियाें ने ले ली, खिलाड़ियों के कमरे कबाड़ होकर अवैध गतिविधियों का अड्‌डा बन गए। खेल प्रेमियों के बैठने के लिए लिए बनाई गई पैवेलियन पर घासफूस निकल आई। ग्रामीण प्रतिभाएं गांव के खेल तक ही सीमित रह गई।

2017 में भारत सरकार की राजीव गांधी खेल परिषद योजना के तहत ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने ग्रामीण खेल प्रतिभाओं को ब्लाक स्तर से राष्ट्रीय स्तर तैयार करने के उद्देश्य से छैगांवमाखन, खंडवा के नहाल्दा और पुनासा में 1.25-1.25 करोड़ रु. की लागत से तीन बड़े खेल मैदान बनवाए थे। मैदान बनाने का उद्देश्य यह था कि यहां पर ब्लाक स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक की खेल स्पर्धाएं हों और यहीं से राष्ट्रीय स्तर तक के खिलाड़ी तैयार होकर अंतरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाएं। उस दौरान मैदान ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के पास थे।

यहां खेल गतिविधियां शुरू करने के लिए मैदानों को जनपद पंचायत के माध्यम से खेल विभाग को सौंपा जाना था लेकिन यांत्रिकी विभाग ने चार साल बाद भी मैदानों को खेल विभाग को नहीं सौंपा। खेल गतिविधियां नहीं होने, रखरखाव के अभाव व खेल विभाग व जिला प्रशासन की अनदेखी से ये मैदान अब जंगल में बदल गए।

मैदानों पर होना थे यह खेल
चार साल पहले यह योजना पूरे प्रदेश में एक साथ आई थी। मैदान पर 200 मीटर दौड़ वाला ट्रैक, खो-खो ग्राउंड, फुटबॉल ग्राउंड, क्रिकेट ग्राउंड व वालीबॉल कोर्ट तैयार किए जाने थे।

ग्रामीण समन्वयकों की ले रहे हैं मदद

ग्रामीण यांत्रिकी विभाग ने चार साल बाद भी हमें मैदानों का हस्तांतरण नहीं किया। देखरेख के अभाव में अब वे उजाड़ हो रहे हैं। मैदानों पर खेल गतिविधियां चालू करने के लिए ग्रामीण समन्वयकों की मदद ले रहे हैं। -रूचि शर्मा, जिला खेल अधिकारी, खेल एवं युवक कल्याण विभाग



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