उमा ने मंत्री रहते पहले ही चमोली प्रोजेक्ट को लेकर चेतावनी दे दी थी. (File pic)
उमा ने कहा है कि जब मैं मंत्री थी तब अपने मंत्रालय की तरफ से उत्तराखंड के बांधो के बारे में एफिडेविट दिया था. एफिडेविट में सरकार से यही आग्रह किया था कि हिमालय बहुत संवेदनशील स्थान है.
- News18Hindi
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February 8, 2021, 3:51 PM IST
उमा भारती ने सोमवार को ट्वीट कर चिंता जताई. ट्वीट में उन्होंने लिखा- यह घटना चिंता और चेतावनी दोनों का विषय है. जोशीमठ से 24 किलोमीटर, पैंग गांव जिला चमोली उत्तराखंड के ऊपर का ग्लेशियर फिसलने से ऋषि गंगा पर बना हुआ पावर प्रोजेक्ट जोर से टूटा और एक तबाही लेकर आगे बढ़ रहा है. मैं गंगा मैया से प्रार्थना करती हूं कि वह सबकी रक्षा करें. उमा भारती ने लिखा- कल मैं उत्तरकाशी में थी. आज हरिद्वार पहुंची हूं. हरिद्वार में भी अलर्ट जारी हो गया है. यानी तबाही हरिद्वार आ सकती है. यह हादसा जो हिमालय में ऋषि गंगा पर हुआ यह चिंता एवं चेतावनी दोनों का विषय है.
मैं सबके लिए प्रार्थना करता हूं-उमा
उमा भारती ने आगे लिखा कि गंगा की सहायक नदियों पर पावर प्रोजेक्ट नहीं बनाने से उत्तराखंड को 12% बिजली की क्षति होती है. नेशनल ग्रीड से इस क्षति की भरपाई कर देनी चाहिए. उन्होंने ट्वीट किया-मैं इस दुर्घटना से बहुत दुःखी हूं. उत्तराखंड देवभूमि है. वहां के लोग बहुत कठिनाई का जीवन जी कर तिब्बत से लगी सीमाओं की रक्षा के लिए सजग रहते हैं. मैं उन सबकी रक्षा के लिए भगवान से प्रार्थना करती हूं.40 मजदूरों ने बताई सैलाब की कहानी
उत्तराखंड के चमोली (Chamoli) जिले के जोशीमठ के तपोवन में रविवार की सुबह सैलाब ने भयंकर तबाही मचाई थी. तपोवन में एनटीपीसी (NTPC) के हाइड्रो पावर प्लांट में काम चल रहा था. जिस वक्त ग्लेशियर फटने के बाद सैलाब आया, उस वक्त टनल की दूसरी तरफ 40 मजदूर काम कर रहे थे. उन्हें फोन पर अचानक से फ्लैश फ्लड की जानकारी दी गई. इसके बाद सभी मजदूर आनन-फानन में ऊंचाई की तरफ दौड़ने लगे और जब तक सैलाब उन तक पहुंचता वो काफी दूर जा चुके थे. कामगारों ने प्राकृतिक आपदा से किसी तरह अपनी बचाने में कामयाब रहे. हालांकि, उनके कपड़े, पैसे और आधार कार्ड सैलाब की भेंट चढ़ गए.
मंजर बताते-बताते डर से कांपते हैं मजदूर
मजदूरों ने न्यूज 18 से बातचीत में कहा कि भयंकर सैलाब उनका सब कुछ बहा ले गया. उस भयानक मंजर के बारे में बताते हुए भी वे डर से कांप उठते हैं. ये मजदूर बताते हैं कि भगवान ने ही बचाया है. इन मजदूरों का कहना है कि अगर रविवार का दिन नहीं होता और प्लांट में मजदूरों की छुट्टी नहीं होती तो टनल में सबसे ज्यादा मजदूर काम कर रहे होते. इन मजदूरों का कहना है कि अब उन्हें रोटी कहां से मिलेगी और उनका तन ढकने के लिए कपड़ा कौन देगा.
लगा कि जैसे विस्फोट हुआ हो
स्थानीय लोगों ने बताया कि बहुत तेज आवाज़ आयी जैसा कोई विस्फोट हुआ हो. उसके बाद तेज सैलाब सब बहा कर ले गया. स्थानीय लोग अब खुद भी अपनों की तलाश में जुट गये हैं. बता दें कि ग्लेशियर टूटने की वजह से बाढ़ से हालात हो गए हैं. कई लोग अब भी लापता हैं. उनकी तलाश की जा रही है. आशंका जताई जा रही है कि वो बाढ़ में बह गए हों. एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीम राहत पहुंचाने में जुटी हुई है. एक तरह से पूरे उत्तराखंड को ही अलर्ट मोड पर रखा गया है.