Ratlam: कांग्रेस विधायक के ही सामने लगे पार्टी मुर्दाबाद के नारे, जानिए इसके पीछे क्या है वजह

Ratlam: कांग्रेस विधायक के ही सामने लगे पार्टी मुर्दाबाद के नारे, जानिए इसके पीछे क्या है वजह


विधायक मनोज चावला को जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा. (फेसबुक तस्वीर)

मामला बड़ावदा के गड़गड़िया गांव का है. यहां ‘आपका विधायक आपके द्वार’ कार्यक्रम आयोजित किया गया था. कार्यक्रम में मनोज चावला ने शिरकत की.


  • News18Hindi

  • Last Updated:
    February 8, 2021, 5:05 PM IST

रतलाम. जिले में उस वक्त अचंभे की स्थिति बन गई जब कांग्रेस विधायक मनोज चावला कि चौपाल में ही कांग्रेस मुर्दाबाद के नारे लगने लगे. मामला बड़ावदा के गड़गड़िया गांव का है. यहां ‘आपका विधायक आपके द्वार’ कार्यक्रम आयोजित किया गया था. कार्यक्रम में मनोज चावला ने शिरकत की. जैसे ही नारेबाजी और विरोध शुरू हुआ, विधायक मौके से रवाना हो गए.

जानकारी के मुताबिक, विधायक मनोज चावला संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए. इससे ग्रामीण नाराज हो गए और विधायक के सामने नारेबाजी शुरू कर दी. वही नारेबाजी और विरोध के चलते विधायक ने मौके से रवाना होने में ही भलाई समझी. विधायक का कहना है कि ये मेरे नहीं, बल्कि किसी पार्टी विशेष के कार्यकर्ता हैं. इसलिए ऐसा कर रहे हैं.

12 जनवरी को भी विधायक आ गए थे विवादों में

मध्यप्रदेश के रतलाम में आलोट विधायक मनोज चावला 12 जनवरी को भी विवादों में आ गए थे. उनके द्वारा एक पटवारी को धमकाने का ऑडियो वायरल होने के बाद जिले के पटवारियों ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया. पटवारियों ने कलेक्टर को ज्ञापन दिया था और आलोट विधायक से खेद व्यक्त करने की मांग की थी. पटवारियों ने कहा था कि यदि आलोट विधायक खेद व्यक्त नहीं करते हैं, तो रणनीति बनाकर आंदोलन किया जाएगा. पटवारी संघ के जिला अध्यक्ष ध्रुव निनामा ने बताया कि- जिस प्रकार से विधायक जी ने पटवारी से फोन पर बात की वह सीधे-सीधे डराने धमकाने वाली थी, ना कि आदेशात्मक. किसी भी व्यक्ति का आचरण उसकी भाषा में झलकता है. खेद प्रकट करें विधायक- ध्रुव

ध्रुव निनामा ने कहा- विधायक ने जिस प्रकार की भाषा का उपयोग किया वह उनके संवैधानिक पद के उपयुक्त नहीं थी.  यदि विधायक खेद प्रकट नहीं करते हैं तो आगे प्रदेश स्तर पर संगठन को अवगत कराया जाएगा. उनका कहना था कि पटवारी ग्राम में अंतिम पंक्ति का कर्मचारी होता है और सभी ग्रामीणों को उनसे काम पड़ता है. उनके बिना ग्रामीणों का काम नहीं चल सकता और यदि इस प्रकार का व्यवहार उनसे किया जाएगा, तो फिर उन्हें काम करने में दिक्कत आएगी तथा ग्रामीणों को भी परेशानी उठानी पड़ेगी.








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