बंधुआ मजदूर की आपबीती: एक माह पहले भागने की कोशिश की थी तो मालिकों ने गर्म तेल में हाथ डालकर जला दिया था

बंधुआ मजदूर की आपबीती: एक माह पहले भागने की कोशिश की थी तो मालिकों ने गर्म तेल में हाथ डालकर जला दिया था


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गुना18 घंटे पहले

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रेखा के पति के हाथ जबरन गर्म तेल में डलवाए, जूते मारे।

  • दबंगों के यहां से 10 बंधक भागकर बंधुआ मुक्ति मोर्चा की शरण में आए
  • ब्याज के बोझ तले दबकर बीत गए जिंदगी के 15 साल फिर भी कर्जदार

राघौगढ़ के पास राजपुरा गांव में सालों से दबंगों का जुल्म बर्दाश्त कर रहे 10 बंधुआ मजदूर भागकर बंधुआ मुक्ति मोर्चा के पदाधिकारियों के पास पहुंचे। इनमें से एक की पत्नी व 3 बच्चे तो अभी भी दबंगाें के कब्जे में हैं।

मोर्चा के पदाधिकारी सोमवार शाम को उन्हें राघौगढ़ एसडीएम के पास ले गए। वहां तहसीलदार, टीआई और लेबर इंस्पेक्टर ने उनके बयान लिए। इन लोगों ने जो आपबीती सुनाई, उससे रोंगटे खड़े हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि करीब एक माह पूर्व भी उन्होंने भागने की कोशिश की थी लेकिन नाकाम रहे। इसके बाद उनके मालिकों ने उन्हें मजबूर किया कि वे अपने हाथ गर्म तेल में डालें। तीन मजदूरों को यह सजा दी गई।

इनमें से अधिकांश बीते 3 से 15 साल से बंधक हैं। एक तो तब से बंधुआ है जब वह नाबालिग था। पहले वह पिता का कर्ज उतार रहा था अब खुद का। इनमें से किसी ने भी 1 लाख से ज्यादा का एडवांस पैसा नहीं लिया। पूरे परिवार के साथ 16 से 18 घंटे काम करने के बाद भी वे पैसा चुकता नहीं कर पाए हैं।

गुना-राघौगढ़ के पास ग्राम राजपुरा से भागकर आए 10 बंधुआ मजदूर। फोटो भास्कर

गुना-राघौगढ़ के पास ग्राम राजपुरा से भागकर आए 10 बंधुआ मजदूर। फोटो भास्कर

हाट बाजार में खरीदी करने के नाम पर निकले और सीधे गुना आ गए
बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जिला पदाधिकारी नरेंद्र भदौरिया ने बताया कि यह लोग हाट बाजार में जाने के नाम पर निकले और भागकर सीधे हमारे दफ्तर पहुंच गए। यहां हमने उनके आवेदन तैयार कराए और उन्हें सीधे राघौगढ़ ले गए।

कानून क्या कहता है
बंधुआ मजदूरी संबंधी कानून 1976 में केंद्र की इंदिरा गांधी सरकार के समय बना था। श्री भदौरिया ने बताया कि इस कानून के तहत कर्ज या एडवांस के बदले किसी को जबरन मजदूरी नहीं कराई जा सकती। अगर एडवांस देने वाला व्यक्ति उसे अपने यहां मजदूरी पर रखता है तो उसे दैनिक, साप्ताहिक या मासिक वेतन का भुगतान करना होगा। कर्जदार राशि किस्तों में चुका सकता है।

2005 से बंधुआ…मेरी पत्नी और 3 बच्चे अभी भी उनके कब्जे में हैं
मैं 2005 से बंधुआ हूं तब मेरी उम्र 13-14 साल की थी। तब पिता ने मेरे मालिक से कर्ज लिया था। उनके मरने के बाद भी मुझे आजादी नहीं मिली। फिर मैंने अपनी शादी के लिए एडवांस लिया तो कर्ज और ब्याज का बोझ और बढ़ गया। कुल मिलाकर 1 लाख रुपए एडवांस में लिए थे लेकिन आज तक उससे मुक्ति नहीं मिली। मेरी पत्नी व 3 बच्चे अभी भी वहीं हैं। मैं उन्हें छोड़कर नहीं आना चाहता था लेकिन बाकी लोगों ने कहा कि बाहर निकलेंगे तो बाकी लोगों को भी मुक्त करा लिया जाएगा।-सिब्बू सहरिया, बमोरी

2018 से बंधक…पूरे परिवार को 18 घंटे करना पड़ता है काम
मेरे पति एक हाथ से विकलांग हैं। 2018 में उन्होंने राजपुरा के भूरासिंह से एक लाख रुपए एडवांस लिया था। उसने हमसे कहा कि पूरे परिवार सहित राजपुरा आ जाओ और यहां काम करके कर्ज चुका देना। तब से हम काम किए जा रहे हैं। मैं और मेरा पूरा परिवार 18 घंटे काम करते हैं। मवेशियों की देखभाल से लेकर घर की सफाई, चारा निकालने जैसे सारे काम करना पड़ते हैं। इतना काम करने के बाद भी एक लाख रुपए का कर्ज हमारे सिर से नहीं हटा है। – विमला बाई, ग्राम बेरखेड़ी तहसील बमोरी

2018 में 50 हजार का कर्ज…मेरे पति के हाथ जबरन गर्म तेल में डलवाए, जूते मारे
मेरे पति सूरज सहरिया ने अपनी बहन व भाई की शादी के लिए 50 हजार एडवांस लिए थे। हम 2018 से जितेंद्र सिंह के यहां काम कर रहे हैं। दिन रात काम करने के बाद भी जब हम वापस जाने को कहते हैं तो मालिक 50 हजार रुपए मांगने लगता है। समझ में नहीं आता कि इतने काम के बाद भी यह पैसे का चुकता क्यों नहीं हुआ। कुछ दिन पहले मेरे पति का हाथ गर्म तेल में डलवाया। उसे जूतों से मारा गया। तब हमने फैसला किया कि चाहे जो हो हम यहां से भागकर ही रहेंगे। -रेखा पत्नी सूरज सहरिया, ग्राम सोबत जिला अशोकनगर।



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