कहते हैं हुनर इंसान को कामयाबी के सात समंदर पार लेकर जाता है. यही धुन लिए कामयाबी के घोड़े पर सवार होकर शिवराज नाम का बालक चल पड़ा है अपनी मंज़िल की ओर. घुड़सवारी उसका शौक नहीं है बल्कि वो इस घोड़े पर सवार होकर रोज अपने स्कूल जाता है.
शिवराज की शान की सवारी
बोराड़ीमाल के रहने वाले 12 साल के शिवराज यादव को स्कूल में पढ़ने का ऐसा जुनून कि वो हर हाल में स्कूल जाना चाहता था. लेकिन घर से स्कूल की दूरी ज्यादा थी. उसने साइकिल से एक दो बार स्कूल जाने की कोशिश तो की लेकिन गिरकर घायल होने के कारण उसने साइकिल की सवारी ही छोड़ दी. घर में पिता के पास पालतू घोड़ा है. बस शिवराज ने ठान ली कि वो अपने इस घोड़े पर सवार होकर स्कूल जाएगा. वो शान से कहता है-मध्यप्रदेश के मुखिया भी शिवराज सिंह हैं और मैं भी शिवराज. इसलिए शिवराज मामा की तरह मैंने भी हार नहीं मानीं. अपने बेजुबान दोस्त राजा को उसने अपना हमसफ़र बना लिया.
पढ़ाई में अव्वल
शिवराज को न सिर्फ स्कूल जाने का जुनून है बल्कि वह पढ़ाई में भी अपनी कक्षा में अव्वल है. हालांकि कोरोना के कारण अभी कक्षाएं शुरू नहीं हुई हैं सिर्फ यहां ओटला क्लास लगती है. शिवराज वही क्लास अटैंड करने घोड़े पर सवार होकर शान से जाता है.
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पिता का गौरव, सीएम ने की तारीफ
शिवराज के पिता खेती किसानी करते हैं.घर परिवार संपन्न है.बेटे के पढ़ाई के जुनून ने उन्हें हौंसला दिया है. नन्हें शिवराज के इस शौक और लगन की खबर देखकर सीएम शिवराज भी प्रभावित हो गए. उन्होंने ट्वीट कर बालक शिवराज की तारीफ की.