कोल्हापुरा से छुड़ाए बंधुवा मजदूर: दमोह के 14 मजदूरों को महाराष्ट्र में 2 माह बनाया बंधक, सिर में टॉर्च बांधकर 15 घंटे काम कराया, आधे पेट खाना दिया, मेहनताना मांगने पर पीटा

कोल्हापुरा से छुड़ाए बंधुवा मजदूर: दमोह के 14 मजदूरों को महाराष्ट्र में 2 माह बनाया बंधक, सिर में टॉर्च बांधकर 15 घंटे काम कराया, आधे पेट खाना दिया, मेहनताना मांगने पर पीटा


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दमोह2 घंटे पहले

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महाराष्ट्र से छुड़ाकर लाए गए बंधक बनाए गए दमोह के मजदूर परिवार।

  • जिला प्रशासन व जनसाहस संस्था की टीमों ने मजदूरों को महाराष्ट्र से छुड़ाया
  • कोल्हापुर के बंदुर गांव के ठेकेदारों के चंगुल से दमोह के 5 बच्चों सहित 14 बंधक मजदूर छुड़ाए गए

दमोह के 14 मजदूरों को दो व्यक्ति मकान निर्माण में मजदूरी दिलाने के नाम पर दो माह पहले महाराष्ट्र के कोल्हापुर ले गए। वहां जाकर एक ठेकेदार से डेढ़ लाख रुपए लेकर इन मजदूरों को उसके पास छोड़ दिया गया। ठेकेदार ने मजदूरों को बंधक बनाकर रखा और प्रताड़ित कर जबरन 14 से 15 घंटे तक काम लिया। किसी तरह मजदूरों ने हेल्पलाइन नंबर पर शिकायत दर्ज कराई और बात दमोह के जिला प्रशासन तक पहुंची। जिला प्रशासन ने सक्रियता दिखाते हुए मजदूरों को ठेकेदार के चंगुल से छुड़ाया और दमोह वापस लेकर आए। महाराष्ट्र से मजदूरों को छुड़ाकर लाने पर सीएम ने भी ट्वीट करके दमोह कलेक्टर तरुण राठी को बधाई दी।

मजदूर हीरालाल ने की शिकायत
जनसाहस के लीगल एडवाइजर ने बताया कि मजदूर टोल फ्री नबंर पर शिकायत कर सकते हैं। मजदूर हीरालाल द्वारा शिकायत की गई कि बटियागढ़ के आलमपुर गांव के कुछ मजदूर बंधक बनाए गए हैं। शिकायत पर कार्यवाही करते हुए टीम मौके पर पहुंची तो वहां मजूदर बंधक पाए गए। दमोह की टीम महाराष्ट्र के प्रशासन से समन्यवय करके बंधक मजदूरों को अपने घर सुरक्षित लेकर आई। मजदूरों ने बताया नासिक से राकेश और योगेश नाम के व्यक्ति दमोह आए थे और पूछा कि काम करना हैं। हमने हां बोला और हमें गाड़ी से मकान निर्माण का काम कराने का बोलकर ले गए। वहां कुछ और काम करवाने लगे। जो हमें लेकर गया था वह ठेकेदार से डेढ़ लाख रुपए लेकर चला गया।

ठेकेदारों के खिलाफ कराई रिपोर्ट दर्ज
समिति के नोडल व लेबर इंस्पेक्टर धर्मेंद्र ने बताया कि मजदूरों के परिवारों से शिकायत मिलने पर दमोह कलेक्टर ने महाराष्ट्र प्रशासन को पत्र लिखा था। गठित टीम ने मजदूरों को छुड़ाने की कार्रवाई की। जिला कोल्हापुर बंदुर गांव के मुख्य ठेकेदार बाबा सैयद के खिलाफ 8 धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। उन्होंने बताया हम कोल्हापुर गए वहां के प्रशासन ने पूरा सहयोग किया। गांव में मजदूर बंधक पाए गए। मजदूरों की दयनीय स्थिति थी। मजदूर बहुत ही डरे और सहमे हुए थे। मजदूरी का कोई समय निश्चित नहीं था। ठेकेदार द्वारा मजदूरों से मारपीट की जा रही थी। इन मजदूरों में 8 पुरूष व 6 महिलाओं सहित 5 बच्चे शामिल हैं।

इन्हें बनाया था बंधक
दमोह के दीपक अहिरवार, मोतीलाल अहिरवार, भगवत अहिरवार, अमर अहिरवार, राजा अहिरवार, वीरू अहिरवार, काशीराम अहिरवार और भागीरथ अहिरवार व महिलाओं में कुसुम मोतीलाल अहिरवार, गीता अहिरवार, रेशमा अहिरवार, तुलसा अहिरवार, लीला अहिरवार और कविता अहिरवार को बंधकर बनाकर मजदूरी कराई जा रही थी।

महाराष्ट्र से यह टीम मजदूरों को छुड़ाकर लाई
दमोह कलेक्टर तरूण राठी के निर्देश पर एसडीएम अदिति यादव ने सीएसपी अभिषेक तिवारी के समन्वय से पुलिस और श्रम विभाग के अधिकारियों व जनसाहस संस्था के साथ मिलकर टीम गठित की। टीम ने कोल्हापुर जिला के बंदुर गांव के ठेकेदारों के चंगुल से जिले के बंधक मजदूरों को छुड़ाया। टीम में लेबर इंस्पेक्टर धर्मेंद्र नरवरिया, प्रधान आरक्षक दीपक करोसिया, आरक्षक छोटू चौहान, जनसाहस टीम में डिस्ट्रिक को-ऑडिनेटर कमल बैरागी, आरओ मुकेश नवीन और एडवोकेट सूरज अहिरवार शामिल रहे।

मजदूर की आपबीती
मजदूर भागीरथ अहिरवार ने कहा कि वहां पर 15 घंटे काम करवाते थे। 45 दिन तक काम किया। हमें एक पैसा नहीं दिया। वहां न खाने को देते थे, न कोई मूलभूत सुविधा थी। वहां हम रात 12 बजे तक काम करते थे और सुबह 3 बजे फिर काम के लिए उठा दिया जाता था। माथे पर टार्च बांधकर काम करना पड़ता था। काम न करने पर मारते थे। हमारे साथ की महिलाओं को भी मारते थे। हमने वहां से फोन पर शिकायत की फिर हमें छुड़ाया गया।



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