प्यारे मियां यौन शोषण मामला: दुष्कर्म पीड़िता की माैत की जांच रिपोर्ट गुमराह करने वाली; आयोग बोला-नई भेजें

प्यारे मियां यौन शोषण मामला: दुष्कर्म पीड़िता की माैत की जांच रिपोर्ट गुमराह करने वाली; आयोग बोला-नई भेजें


Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

भोपाल3 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

बाल समिति गठन को लेकर अधीक्षिका और डीसीपीयू की रिपोर्ट भी अलग-अलग

  • महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा दस दिन बाद भेजी रिपोर्ट को बाल आयोग ने बताया आधी-अधूरी
  • कहा- पीड़िताओं के पास नींद की इतनी गोलियां कैसे पहुंचीं, इसका भी जिक्र नहीं

प्यारे मियां यौन शोषण केस में नाबालिग की मौत के मामले में आखिरकार महिला एवं बाल विकास विभाग ने 10 दिन बाद मंगलवार को अपनी रिपोर्ट मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग को प्रस्तुत कर दी। रिपोर्ट देखने के बाद आयोग ने कहा कि भेजी गई जानकारी आधी-अधूरी और गुमराह करने वाली है। रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया कि मृतक के पास आखिरकार इतनी गोलियां कैसे पहुंची। रिपोर्ट में नाबालिग को अस्पताल में भर्ती कराने का समय ही अलग-अलग बताया गया है।

पीड़िता के संबंध में मांगी गई सोशल ऑडिट रिपोर्ट (एसआईआर) और काउंसलिंग रिपोर्ट भी नहीं दी गई। मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने इस मामले में कलेक्टर को 22 जनवरी को पत्र लिखकर 7 दिन में 7 बिंदुओं पर जानकारी मांगी थी। आयोग के मुताबिक महिला एवं बाल विकास विभाग ने 10 दिन बाद जानकारी भेजी, वह भी अधूरी।

रिपोर्ट में बताया गया कि मृतक को किसी तरह की कोई बीमारी नहीं थी। पीड़िता के पेट में दर्द था। उसे ओआरएस का घोल दिया गया था। उसके बाद उसे आराम करने कहा। जब ज्यादा तबियत खराब हुई तो उसे डायल 100 से पहले जेपी अस्पताल भेजा गया। इस रिपोर्ट में दो पत्र संलग्न किए गए। एक पत्र में पीड़िता को अस्पताल में भर्ती करने का समय साढ़े चार से 5 बजे के बीच बताया गया। वहीं दूसरी रिपोर्ट में सात बजे बताया गया।

बाल आयोग ने मांगीं थीं ये जानकारी

  • बच्चियों को क्या डिप्रेशन या नींद की गोलियां प्रिस्क्राइब की गई थीं। यदि हां तो किसकी देखरेख में दी जा रही थीं। क्या एक ही बच्ची की तबीयत खराब हुई थी। यदि अन्य की भी तबीयत खराब हुई है तो उन्हें क्या चिकित्सा उपलब्ध कराई गई।
  • कितनी बच्चियों का किस डॉक्टर से मेडिकल ट्रीटमेंट चल रहा था। बालिकाओं का स्वास्थ्य परीक्षण कब-कब कराया गया।
  • जिला निरीक्षण कमेटी द्वारा कितनी बार बालिका गृह का निरीक्षण किया गया एवं निरीक्षण में पाई गई कमियों में सुधार के लिए क्या कार्यवाही की गई।
  • क्या बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) ने बच्चियों की होम स्टडी की है तो उपलब्ध कराएं।
  • सीडब्ल्यूसी भोपाल में कितने मामले लंबित हैं।
  • डीसीपीयू या सीडब्ल्यूसी द्वारा पांच पीड़ित बालिकाओं को कितनी बार काउंसिलिंग कराई गई।
  • क्या बालिका गृह में बाल समिति गठित है।

पीसीबी की कार्रवाई- हेमंत मित्तल का बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी सेंटर बंद
प्यारे मियां मामले में जेल में बंद हेमंत मित्तल के रतुआ, रतनपुर स्थित बायो मेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी सेंटर को प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने बंद करा दिया है। बीएमडब्ल्यू सॉल्यूशन के नाम से संचालित होने वाले इस सेंटर का टीम ने 12 जनवरी को मुआयना किया था। उसे यहां तमाम कमियां मिली थीं।

फिर से मांगी जानकारी
जानकारी गुमराह करने वाली और असंतोषजनक है। इसे खारिज करते हुए फिर से स्पष्ट और बिंदुबार मांगी जानकारी भेजने के लिए पत्र लिखा है।
ब्रजेश चौहान, सदस्य, मप्र बाल संरक्षण आयोग

प्यारे मियां के बेटे ने इंदौर में दोस्त के घर काटी सात महीने फरारी
भोपाल |
किशोरियों से यौन शोषण के आरोपी प्यारे मियां के बेटे शाहनवाज को श्यामला हिल्स पुलिस ने दो दिन की रिमांड पर ले लिया है। पुलिस को उससे धोखाधड़ी से जुड़े दस्तावेज जब्त करने हैं। उसने धोखाधड़ी के मामले में सोमवार को श्यामला हिल्स थाने में सरेंडर किया था। थाना प्रभारी तरुण भाटी ने बताया कि शाहनवाज ने बताया कि करीब सात महीने तक उसने इंदौर में अपने एक दोस्त के घर फरारी काटी है। पुलिस ने लेकव्यू इन्क्लेव अपार्टमेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एसएन सिंह की शिकायत पर जुलाई 2020 में धोखाधड़ी का केस दर्ज किया था। इस मामले में प्यारे मियां, उनकी पत्नी और शाहनवाज समेत अन्य को आरोपी बनाया गया था। तभी से शाहनवाज फरार चल रहा था। इस मामले में अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।



Source link