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- 5.26 Lakh Children Could Not Get Necessary Vaccines; National Health Mission Report Released
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भोपाल3 घंटे पहलेलेखक: अजय वर्मा
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स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का दावा- 31 मार्च तक सभी टीके लगा दिए जाएंगे। (फाइल फोटो)
- 19 लाख को लगना था, कई बच्चों को बीसीजी, हेपेटाइटिस-बी का पहला टीका भी नहीं लगा
- भोपाल फिर भी टॉप, 97% लक्ष्य पूरा- 8 मई से टीकाकरण शुरू किया, 200 लोगों की टीम लगाई
कोरोना काल का सबसे बुरा असर प्रदेश के उन 5 लाख 26 हजार बच्चों पर पड़ा है, जिन्हें जन्म के तुरंत बाद लगने वाले जरूरी टीके नहीं लग पाए। इस दौरान बीसीजी, हेपेटाइटिस-बी के टीके और पोलियो की ओरल वैक्सीन नवजातों को नहीं मिल सकी। यह खुलासा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की हालिया रिपोर्ट से हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020-21 में प्रदेश के 19.68 लाख बच्चों को टीके लगना थे। मार्च में कोरोना आ गया, इसलिए मई तक टीकाकरण बंद कर दिया गया।
अनलॉक में टीकाकरण तो शुरू हुआ, लेकिन लोग संक्रमण के डर से बच्चों को टीका लगवाने नहीं पहुंचे। लिहाजा 5.26 लाख बच्चों को टीका नहीं लग सका। कई बच्चे मार्च से मई के बीच जन्में। इन्हें अस्पताल में ही टीके की पहली खुराक भी नहीं मिल सकी।
भास्कर एक्सपर्ट : दूसरी बीमारियों का खतरा ज्यादा है, सरकार तब ही स्कूल खोले, जब ये टीकाकरण पूरा हो जाए।
जिन बच्चों को समय पर टीके नहीं लगे, उनको दूसरी बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। ऐसे में यदि किसी को खसरा हो जाए तो उसकी इम्यूनिटी वैसे ही कम हो जाती है। ऊपर से कोरोना का डर बना हुआ है। कोरोना होने पर बच्चे की जान को खतरा हो सकता है। सरकार को चाहिए कि छोटे बच्चों के लिए स्कूल तभी खोलें, जब सभी टीके लग जाएं। टीमों की संख्या को बढ़ाकर उन टीको को लगवा दें।
– डॉ. राकेश भार्गव, पीडियाट्रिशियन
कब-कौन सा टीका लगना जरूरी
- जन्म से 24 घंटे के भीतर : बीसीजी, पोलियो खुराक, हेपेटाइटिस-बी।
- डेढ़ महीने में : पोलियो खुराक, एफआईपीवी, पीसीवी, पेटावेलेंट टीका लगेगा।
- इसके 28 दिन बाद : पोलियो खुराक, रोटा वायरस, पेटावेलेंट का दूसरा डोज।
- इसके 28 दिन बाद : पोलियो खुराक, रोटावायरस, पीसीवी, पेटावेलेंट का तीसरा डोज।
- 9 महीने में : खसरा, विटामिन ए की पहली खुराक, पीसीवी का बूस्टर डोज।
- 16 से 24 माह पर : खसरे व विटामिन ए की दूसरी खुराक (5 साल तक हर छह माह में विटामिन एक की 9 खुराकें दी जाएंगी)
1324 बच्चों को भी लगेंगे सभी टीके
प्रदेश में भोपाल में ही 97% बच्चों को टीका लगाया गया। यहां 45030 बच्चों में से 43706 को सभी टीके लग चुके हैं। 1324 बच्चे ही बचे हैं। इन्हें भी 31 मार्च तक छूटे हुए टीके लगा दिए जाएंगे। जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. कमलेश अहिरवार ने बताया कि 22 मार्च से 7 मई तक टीकाकरण बंद था। 8 मई से कलेक्टर की अनुमति से टीकाकरण शुरू हुआ। 200 से ज्यादा एएनएम, स्टाफ नर्स और वैक्सीनेटर की टीमें बनाकर विशेष सत्र लगाए गए। आंगनबाड़ी तक लोग बच्चों को लाएं, इसके प्रयास किए। हमारी मेहनत काफी हद तक सफल रही।
अब आगे क्या... स्वास्थ्य विभाग के अफसरों का दावा है कि सभी जिलों में टीमें तैनात कर छूटे हुए 5.26 लाख बच्चों को टीका लगाया जाएगा। यह लक्ष्य 31 मार्च तक पूरा करना है।
एक्सपर्ट व्यू- मीजल्स, रुबेला का टीका सही समय लगना जरूरी
जन्म के तुरंत बाद यदि पोलियो खुराक और हेपेटाइटिस-बी का टीका नहीं लगा है तो एक साल के भीतर लगवा सकते हैं, बीसीजी का टीका जरूरी है। यह गंभीर टीबी से रोकता है। पोलियो खुराक को साल में दो बार पिलाना जरूरी है, क्योंकि इसकी बूंद पेट में जाने के बाद वाइल्ड वायरस को मारती है। इससे बच्चे में हर्ड इम्युनिटी आती है। इसी समय रोटा वायरस का टीका लगाते हैं। इससे डायरिया की रोकथाम होती है।
ये टीका यदि छूट जाए तो छह माह के भीतर लगवा लेना चाहिए। इसे बाद में लगाने से कोई फायदा नहीं होगा। 9 महीने के समय मीजल्स-रुबेला का टीका लगाया जाता है। इसे एमआर कहते हैं। इसके नहीं लगाने से खसरा हो सकता है। ये कोरोना से 10 गुना ज्यादा घातक है। इसके अलावा बच्चे को अंधत्व, डायरिया, अल्सर जैसी बीमारियां होने का खतरा है। इसके नहीं लगने से बच्चे की जान भी जा सकती है।
– ज्योत्सना श्रीवास्तव, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष, शिशु रोग विशेषज्ञ, हमीदिया अस्पताल