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- The State’s Bomb Disposal Squad Will Soon Include A Cobra Equipped With 5 Cameras; Bomb Diffuse Will Be Possible From A Distance
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भोपाल3 घंटे पहलेलेखक: विशाल त्रिपाठी
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मप्र की 17 बीडीडीएस टीमों को विशेष प्रशिक्षण देते एनएसजी से आए स्पेशल ट्रेनर।
- चार दिन बाद पुलवामा अटैक की दूसरी बरसी- तबाही मचाने कमांड मैकेनिज्म बम का इस्तेमाल कर रहे हैं आतंकी संगठन
14 फरवरी को पुलवामा हमले की दूसरी बरसी है। यहां आतंकी संगठन ने विस्फोटकों से लदी कार को सीआरपीएफ के काफिले से टकरा दिया, जिससे 40 जवान शहीद हो गए थे। ये विस्फोट कमांड मैकेनिज्म बम था। आतंकी संगठन अब इसी मैकेनिज्म का इस्तेमाल कर रहे हैं, ताकि ज्यादा से ज्यादा तबाही मचा सकें। पहले सूचना मिल जाए तो ऐसे किसी हमले को रिमोट ऑपरेटेड व्हीकल कोबरा (आरओवी) से डिफ्यूज किया जा सकता है।
आरओवी कोबरा एक ऐसी डिवाइस है, जिसे इंसान के साथ किसी बम या संदिग्ध वस्तु के पास जाने की जरूरत नहीं। इसे संदिग्ध वस्तु तक भेजा जा सकता है और आरओवी खुद इंसान की तरह पांच कैमरों की मदद से उस वस्तु को स्कैन कर लेगी।
अभी सिर्फ एनएसजी की बीडीडीएस यूनिट के पास है कोबरा डिवाइस
पांच कैमरों से लैस आरओवी कोबरा डिवाइस फिलहाल देश में केवल नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) की बम डिस्पोजल एंड डिटेक्शन स्क्वॉड (बीडीडीएस) यूनिट के पास ही है। जल्द ही इसे देश की अन्य टीमों में शामिल किया जाएगा। बीडीडीएस विषय पर सोमवार से शुरू हुई 18 दिवसीय ट्रेनिंग में कुछ ऐसी तकनीकों से पुलिसकर्मियों को रूबरू करवाया जा रहा है। एआईजी कानून व्यवस्था (सुरक्षा) अमित सिंह ने बताया कि मप्र के 17 बीडीडीएस टीम के 45 स्टाफ को ये ट्रेनिंग दी जा रही है। मानेसर, हरियाणा से आए राष्ट्रीय स्तर के तीन एनएसजी ट्रेनर दे रहे हैं। ट्रेनिंग में 3 इंस्पेक्टर, 9 एसआई, 2 एएसआई, 25 हवलदार और 8 सिपाही स्तर के पुलिसकर्मी शामिल हुए हैं।
रिजर्व पूल तैयार करना है मकसद
इस ट्रेनिंग का मकसद प्रदेश में बीडीडीएस के प्रशिक्षित अधिकारी-कर्मचारियों का रिजर्व पूल तैयार करना है। ताकि जिलों में जरूरत पड़ने पर इनका इस्तेमाल किया जा सके। इस ट्रेनिंग के बाद सभी की लिखित परीक्षा भी ली जाएगी। इसमें पास होने वालों को ही आगे बढ़ाया जाएगा। भोपाल में वर्ष 2002 और 2003 में जिंदा बम मिले थे, उन दिनों बीडीडीएस की प्रदेशभर में महज चार टीमें थीं।
यह है खासियत- दीवार के भीतर छिपाकर रखा बम भी हो जाता है स्कैन
मप्र बीडीडीएस बम डिफ्यूज या सर्च करने के लिए अब 24 तरह के उपकरणों का इस्तेमाल करती है। इनमें रियल टाइम व्यूइंग सिस्टम (आरटीवीएस) और कॉन्ट्रा बैंड डिटेक्टर (सीबीडी) ज्यादा बेहतर हैं। आरटीवीएस किसी संदिग्ध वस्तु को स्कैन कर लेता है और सीबीडी दीवार या किसी भी कैविटी में छिपी हुए विस्फोटक को सर्च कर लेता है। ट्रेनिंग के दौरान स्टाफ को न सिर्फ बम और उनमें बढ़ती तकनीक के बारे में बताया जाएगा। बल्कि उन्हें सर्चिंग उपकरण, सेफ्टी उपकरण और डिस्पोजल उपकरण के बारे में भी बताया जा रहा है।