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- The Passenger’s Hand Was Cut In The Accident, The Insurance Company Ordered To Pay 9 Percent Interest On The Amount Of Damages Exceeding 64 Lakh Rupees.
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इंदौर25 मिनट पहले
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फाइल फोटो
रॉयल स्टार ट्रेवल्स की बस पलटने से एक यात्री का हाथ कट गया था, अब उसे 64 लाख रुपए का मुआवजा मिलेगा। ट्रेवल्स वाले व बीमा कंपनी को आधी-आधी राशि देना होगी। मिली जानकारी के अनुसार फरियादी राकेश गोगवानी निवासी पार्श्वनाथ काॅलोनी, इंदौर की दवा बाजार में नितिशा फाॅर्मा के नाम से दवाईयों की थोक दुकान है। वह 30 अप्रैल 2014 को रॉयल स्टार ट्रेवल्स की बस नंबर MP 41-MF-0742 से इंदौर से पूना जा रहा था। महाराष्ट्र में पूना रोड पर अहमदनगर में बस के ड्रायवर मोहम्मद इसरार ने तेज गति से बस को चलाया जिससे वह पलट गई। इस घटना में राकेश सहित कई लोग घायल हो गए थे। राकेश ने हादसे के पहले भी चालक को चेताया था और सही तरीके से बस चलाने को कहा था। इस हादसे में राकेश का कंधे से ही एक हाथ काटना पड़ा था।
इसके बाद उसने चलने में विकलांगता व हाथ कटने का हवाला देकर रॉयल कैरियर एंड कूरियर प्रालि (जो कि रॉयल स्टार ट्रेवल्स की स्वामी है) व बस का बीमा करने वाली नेशनल इंश्योरेंस कंपनी के खिलाफ मोटर एक्सीडेंट क्लेम ट्रिब्यूनल में कुल 1 करोड़ 15 लाख 28 हजार रुपए का मुआवजा दिलाने की मांग करते हुए दावा पेश किया था।
सालाना कमाई का मांगा 16 गुना मुआवजा
घायल का कहना था कि वह घटना के वक्त करीब चार लाख रुपए सालाना कमाता था, इस हिसाब से उसे स्थायी विकलांगता आने के कारण सालाना कमाई का 16 गुना मुआवजा दिलाया जाएं। मामले की सुनवाई के दौरान बीमा कंपनी ने यह कहकर पल्ला झाड़ने का प्रयास किया कि ड्रायवर के पास लायसेंस नहीं था और गाड़ी का फिटेनस खत्म हो गया था किंतु वह कोई पुख्ता सबूत पेश नहीं कर पाईं।
बीमा कंपनी ने किया निपटारे में विलंब, ब्याज भी चुकाना पड़ेगा
ट्रिब्यूनल के पीठासीन अधिकारी विवेक सक्सेना ने संबंधित पक्षों को सुनने व दस्तावेजों के अवलोकन के बाद पाया कि दुर्घटना में यात्री को स्थायी विकलांगता आईं है, उसका हाथ तक काटना पड़ा है। ऐसे में दावा मंजूर कर बीमा कंपनी व बस स्वामी को संयुक्त या अलग-अलग कुल 64 लाख 8 हजार 385 रुपए यात्री राकेश को हर्जाने के तौर पर देने के आदेश दिए है।
इसमें से भी 15 लाख रुपए तत्काल देने को कहा गया है, जो राकेश ने इलाज में खर्च होने बताएं थे। खास बात यह है कि बीमा कंपनी इस केस को खिंचने में लगी रही। वर्ष 2017 से तीन साल तक उसने सबूत हेतु वक्त मांगा, इसके बाद काफी समय तक आखरी बहस से भी बचती रही। नतीजतन फैसले में देरी हुई। पीठासीन अधिकारी ने फैसले में इसका उल्लेख करते हुए कहा कि वर्ष 2015 में दावा लगाने की तारीख से बीमा कंपनी 64 लाख रुपए से अधिक की हर्जाने की राशि पर 9 फीसदी ब्याज भी साथ में फरियादी को चुकाएं। बहरहाल बस चालक की एक गलती बस मालिक व बीमा कंपनी दोनों को भारी पड़ी।