भारत और इंग्लैंड के बीच एंथनी डी मेलो ट्रॉफी की शुरुआत साल 1951 में हुई थी. आमतौर पर ट्रॉफी का नाम किसी खिलाड़ी के नाम पर पड़ता है लेकिन भारत-इंग्लैंड सीरीज की ट्रॉफी का नाम भारतीय क्रिकेट प्रशासक एंथनी डी मेलो के नाम पर पड़ा जो बीसीसीआई के फाउंडिंग मेंबर भी थे.
सीरीज का नाम एंथनी डी मेलो ट्रॉफी क्यों पड़ा?
बतौर खिलाड़ी एंथनी डी मेलो ने भारत का प्रतिनिधित्व कभी नहीं किया था. लेकिन एंथनी डी मेलो ही वो शख्स थे जिन्होंने भारत को वर्ल्ड क्रिकेट के नक्शे पर जगह दिलाई. बीसीसीआई की स्थापना में डी मेला का अहम हाथ रहा और वो बोर्ड के पहले सेक्रेटरी भी थे. बाद में एंथनी बीसीसीआई अध्यक्ष भी बने और इसी दौरान भारत के इंग्लैंड, ऑस्ट्रेलिया से रिश्ते मजबूत हुए.
एंथनी डी मेलो ने 1928-29 और 1937-38 में बोर्ड के सचिव के तौर पर काम किया. क्रिकेट क्लब ऑफ इंडिया की स्थापना में भी उन्होंने भूमिका निभाई और भारत का सबसे बड़ा घरेलू टूर्नामेंट रणजी ट्रॉफी को भी उन्होंने ही शुरू कराया.
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एंथनी डी मेलो ट्रॉफी अबतक 13 बार आयोजित हो चुकी है जिसमें से 7 बार इसे भारत ने जीता है और तीन बार इंग्लैंड ने विजय हासिल की है. इंग्लैंड ने इस ट्रॉफी को 1976, 1984 और 2012-13 में जीता था. मौजूदा सीरीज के पहले मैच में भी इंग्लैंड ने पहला मैच जीत लिया है और अब अगर भारत को एंथनी डी मेलो ट्रॉफी जीतनी है तो उसे ऐड़ी-चोटी का जोर लगाना होगा.