MP पुलिस का गुनाह!: उज्जैन में एक व्यक्ति ने लापता दुधमुंही बच्ची काे मारने के आरोप में ढाई साल जेल में गुजारे, DNA रिपोर्ट में खुलासा- शव दूसरी बच्ची का था; कोर्ट ने किया बरी

MP पुलिस का गुनाह!: उज्जैन में एक व्यक्ति ने लापता दुधमुंही बच्ची काे मारने के आरोप में ढाई साल जेल में गुजारे, DNA रिपोर्ट में खुलासा- शव दूसरी बच्ची का था; कोर्ट ने किया बरी


  • Hindi News
  • Local
  • Mp
  • Ujjain
  • The DNA Of The Dead Body And Parents Did Not Match, The Court Acquitted The 11 month old Girl’s Killer

Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

उज्जैन2 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

शव और माता-पिता का डीएनए मैच नहीं होेने से कोर्ट ने हत्यारोपी को दोषमुक्त किया

  • पिता ने गुमशुदगी दर्ज कराई और फ्रॉक-चूड़े के आधार पर शिनाख्त कर आरोपी को जेल भिजवाया था
  • पुलिस ने अनुसंधान में लापरवाही की, क्रॉस चेक कर सही अनुसंधान के बजाय चार्जशीट भी दाखिल कर दी

उज्जैन में हत्या के झूठे आरोप के कारण एक निर्दोष व्यक्ति को ढाई साल जेल में गुजारना पड़ा। यह सब पुलिस की लापरवाही के कारण हुआ। आज अदालत ने DNA रिपोर्ट के आधार पर उसे बरी कर दिया। पुलिस ने आरोप लगाया था कि उसने 11 माह की दुधमुंही बच्ची को अगवा किया और हत्या कर दी। जबकि, DNA रिपोर्ट से यह बात साबित हुआ कि जिस बच्ची के मर्डर का आरोप पुलिस ने लगाया था, वह बच्ची वह थी ही नहीं। बचाव पक्ष की मांग पर अदालत ने मृत बच्ची की हड्‌डी और माता-पिता के खून के नमूने का DNA टेस्ट कराने का आदेश दिया था। रिपोर्ट में नमूने मैच नहीं हुए। अब दो सवाल खड़े हो गए हैं कि पुलिस ने जिस लापता बच्ची को मृत बता दिया, वह कहां है। दूसरा- जो बच्ची मृत मिली, वह असल में कौन है?

यह है मामला

उज्जैन के ट्रेजर बाजार के पास स्थित सब्जी मंडी में धार जिले का उमेश परिवार के साथ मजदूरी करता था। 16 जून 2018 की सुबह छह बजे उमेश परिवार के साथ नानाखेड़ा थाना पहुंचा। वहां उसने अपनी 11 माह की बेटी शिवानी के लापता होने की एफआईआर दर्ज कराई। उसका कहना था कि बच्ची को उसकी मां जमनाबाई ने रात दो बजे दूध पिलाया। सुबह चार बजे देखा तो बच्ची उसके पास से गायब थी। करीब दो घंटे तक आसपास खोजबीन की, लेकिन बेटी का पता नहीं चला। पुलिस ने उमेश की शिकायत पर अज्ञात के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कर लिया। एफआईआर दर्ज करने के दो घंटे बाद ही पुलिस ने शांति पैलेस बायपास के पास से एक बच्ची के शव को बरामद किया। पीड़ित परिवार ने भी शव की पहचान अपनी बेटी शिवानी के रूप में की।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद हत्या का केस दर्ज किया, चार दिन बाद आरोपी गिरफ्तार

पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर पुलिस ने एफआईआर में अज्ञात के खिलाफ हत्या की धारा बढ़ा दी। तीन-चार दिन बाद पुलिस ने पीड़ित उमेश के बयान के आधार पर ट्रेजर बाजार मॉल के पास सब्जी मंडी में ही मजदूरी करने वाले आनंदीलाल पिता मोहन को आरोपी बनाते हुए गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

इस बयान पर पुलिस ने आनंदी को बनाया था आरोपी

पीड़ित उमेश ने पुलिस को बताया कि कुछ दिन पहले आनंदीलाल का मेरी पत्नी जमनाबाई से विवाद हुआ था। आनंदी ने मजा चखाने की धमकी दी थी। जब से बच्ची गायब है, आनंदी भी नहीं दिखाई दे रहा है। मुझे शंका है कि आनंदी ने ही मेरी बेटी शिवानी की हत्या की है। मामले की विवेचना के बाद नानाखेड़ा थाने के एसआई अलविनस खाख ने कोर्ट में चार्जशीट पेश की।

बचाव पक्ष ने कोर्ट से डीएनए कराने की मांग की थी

बचाव पक्ष के वकील वीरेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि पुलिस ने मौके से बीड़ी का एक टुकड़ा जब्त किया था। केस डायरी में विवेचक ने लिखा है कि यह बीड़ी आरोपी आनंदीलाल ने पी है। अभियोजन पक्ष ने बीड़ी के टुकड़े पर लगी लार का डीएनए कराया था। यह आरोपी से मैच हो गया और उसके जरिए यह साबित करने की कोशिश की है कि यह बीड़ी आरोपी ने ही पी थी।

इस पर बचाव पक्ष के वकील परिहार की अपील पर कोर्ट ने शव की हड्‌डी और उमेश व जमनाबाई के खून के नमूने सागर लैब भेजने का आदेश दिया। लैब से आई रिपोर्ट के मुताबिक हड्‌डी और माता-पिता के डीएनए मैच नहीं हो रहे हैं। उमेश और जमनाबाई शव के जैविक माता-पिता नहीं हैं। इसी आधार पर कोर्ट ने आनंदीलाल को दोषमुक्त कर दिया। अभियोजन की ओर से 14 गवाह पेश किए गए जबकि बचाव पक्ष ने एक भी गवाह नहीं पेश किया।

बड़ा सवाल- शांति पैलेस बायपास के पास मिला शव शिवानी का नहीं तो किसका

कोर्ट के फैसले के बाद अब भी एक सवाल सामने है। पुलिस ने शांति पैलेस बायपास से जिस शव को बरामद किया और जिसे माता-पिता ने अपनी बेटी के रूप में पहचान की। उसका डीएनए का मिलान नहीं होने से सवाल उठता है कि अगर यह शव शिवानी का नहीं है तो किसका था। दूसरा सवाल यह है कि शिवानी अगर जिंदा है तो अब कहां है।

इस मामले पर एसपी सत्येंद्र शुक्ला ने कहा कि फैसले की प्रति हमें अभी मिली नहीं है। फैसले की कॉपी मिलने के बाद हम उसका परीक्षण करेंगे। देखेंगे कि हमारी कमियां क्या हैं, उसके बाद कदम उठाएंगे।

सरकार से मुआवजा मांग सकता है पीड़ित : एक्सपर्ट

निर्दोष व्यक्ति की गिरफ्तारी पर धारा 356 crpcके अनुसार उसे प्रतिकर प्राप्त करने का अधिकार रहता है। साथ ही वह व्यक्ति अवैध रूप से बंद रहने के कारण पृथक से वाद दायर कर सरकार से प्रतिकर की मांग कर सकता है। प्रकरण के निर्णय होने के बाद भी अनुसंधान की शक्ति पुलिस के पास रहती है। धारा 173 (8)सीआरपीसी के अनुसार अन्वेषण कर कार्रवाई की जा सकती है। दोषपूर्ण अनुसंधान व अनुचित विवेचना के कारण पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी अनुसंधानकर्ता अधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई कर सकते हैं।

– वीरेंद्र शर्मा, हाईकोर्ट एडवोकेट



Source link