- Hindi News
- Local
- Mp
- Jabalpur
- Power Companies Have Suffered Loss Of Rs 36,812 Crore In Six Years, Filed A Verification Petition To Pay Electricity Tax
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
जबलपुर2 घंटे पहले
- कॉपी लिंक
आंकड़ों से समझें MP में बिजली कंपनियों का घाटा।
- प्रदेश की तीनों बिजली विरतण कंपनियों ने वर्ष 2019-20 में 4752.48 करोड़ का घाटा बताकर नियामक आयोग में दायर की है याचिका
- बिजली कंपनी का मुख्यालय होने के बावजूद जबलपुर स्थित पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी सबसे अधिक घाटे में
MP में हर बिजली उपभोक्ता 25 हजार के कर्जे में है। यह हम नहीं बिजली कंपनियों के आंकड़े बता रहे हैं। छह साल में प्रदेश की तीनों बिजली कंपनियों को कुल 36 हजार 812 करोड़ का घाटा हुआ है। प्रदेश में कृषि, घरेलू और व्यवसायिक उपभोक्ताओं की संख्या 1.50 करोड़ है। अब कंपनियों की ओर से पावर मैनेजमेंट कंपनी ने बिजली महंगी कर इसकी भरपाई करने के लिए विद्युत नियामक आयोग के समक्ष सत्यापन याचिका दायर की है।
सबसे अधिक घाटे में पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी
जानकारी के अनुसार प्रदेश की तीनों बिजली वितरण कंपनियों को बीते वर्ष 2019-20 में 4752.48 करोड़ का घाटा हुआ है। कंपनियों ने विद्युत नियामक आयोग से अगले टैरिफ आदेश में उपभोक्ताओं से वसूलने की सत्यापन याचिका दायर की है। हैरानी की बात ये है कि जबलपुर में बिजली कंपनी का मुख्यालय है। बावजूद पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी को सबसे अधिक घाटा हुआ है।

आंकड़ों में सबसे कम घाटे में पश्चिम क्षेत्र की बिजली कंपनी।
11 दिसंबर 2020 को दायर की थी सत्यापन याचिका
इसके पूर्व भी बिजली कंपनियों ने पिछले पांच वित्तीय वर्ष 2014-15 से 2018-19 तक की लगभग 32 हजार करोड़ घाटे की सत्यापन याचिकाएं दायर की थी। आयोग पूर्व के चार वित्तीय वर्ष के लिए 11 दिसंबर 2020 को और 2018-19 के लिए 5 जनवरी 2021 को जनसुनवाई कर चुकी है। इस सुनवाई में आयोग के समक्ष कई लाेगों ने अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। अभी आयोग का निर्णय लंबित है।
जानेंं, क्या है सत्यापन याचिका
बिजली मामले के जानकार अधिवक्ता एके अग्रवाल के मुताबिक बिजली कंपनियों को सभी खर्चे मिलाकर, जो बिजली की लागत पड़ती है, उस पूंजी पर लाभ जोड़कर बिजली बेचने की दर निर्धारित होती है। क्योंकि टैरिफ निर्धारण संबंधित वित्तिय वर्ष के प्रारंभ होने के समय अनुमानित आंकलन के आधार पर तय किया जाता है।
इस कारण वित्तीय वर्ष समाप्त होने के बाद बिजली कंपनियां अपने समस्त खर्चों का वास्तविक विवरण आयोग के समक्ष रखती हैं। तब अनुमानित आंकलन के आधार पर स्वीकृत की गई राशि और वास्तविक खर्चों के अंतर की राशि को सत्यापन याचिका के माध्यम से उपभोक्ताओं से वसूली की गुहार लगाती हैं।
महंगी बिजली फिर क्यों घाटा बढ़ा?
बिजली जानकार राजेंद्र अग्रवाल ने इस संबंध में सीएम को चिट्टी लिखकर जांच कराने की मांग की है। पत्र में कहा है कि प्रदेश में महंगी बिजली होने के बावजूद कंपनी को नुकसान होना समझ से परे है। बिजली कंपनियां चोरी रोकने और वसूली ढंग से नहीं कर पा रही है।
इसका खामियाजा आम जनता को महंगी बिजली खरीदकर भुगतना पड़ रहा है। प्रदेश शासन द्वारा विद्युत कंपनियों सब्सिडी दी जा रही है। अभी हर तरह के स्कीमों पर 15 हजार करोड़ की सब्सिडी देनी पड़ रही है। बिजली महंगी हुई तो सरकार पर सब्सिडी का बोझ़ और बढ़ जाएगी।

26 दिसंबर 2020 से इस तरह बिजली दरों में हुई है बढ़ोत्तरी।
वित्तीय वर्ष 2021-22 में 6 प्रतिशत दर बढ़ाने याचिका की है पेश
तीनों बिजली वितरण कंपनियों की ओर से मप्र पावर मैनेजमेंट कंपनी पहले ही वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए औसत 6 प्रतिशत दर बढ़ाने की याचिका पेश कर चुकी है। इसमें घरेलू बिजली में लगभग आठ प्रतिशत बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव है। राज्य विद्युत नियामक आयोग ने प्रस्ताव स्वीकार किया तो बिजली दरों में प्रति यूनिट लगभग 32 पैसे की बढ़ोत्तरी हो जाएगी। प्रदेश के 1.50 करोड़ उपभोक्ताओं में एक करोड़ ऐसे उपभोक्ता हैं, जो 150 यूनिट तक बिजली खर्च करते हैं। इन पर ही सबसे अधिक बोझ पड़ेगा।
घाटा नहीं, आय-व्यय का गैप है
बिजली कंपनी वित्तीय वर्ष के प्रारंभ में अनुमानित आय-व्यय के अनुसार टैरिफ याचिका पेश कर बिजली की दरों का निर्धारण की अनुमति नियामक आयोग से मांगती है। वित्तीय वर्ष के समाप्त होने पर वास्तविक आंकलन सामने आता है। अनुमानित और वास्तविक आंकलन के अंतर की भरपाई के लिए ही सत्यापन याचिका दायर की जाती है।
फिरोज कुमार मेश्राम, सीजीएम रेवन्यू, पावर मैनेजमेंट कंपनी