अकरम बनना चाहते थे नदीम: कोच ने उन्हें बिशन सिंह बेदी की तरह स्पिनर बनाया, पिता को भी विश्वास नहीं था बेटा क्रिकेटर बनेगा

अकरम बनना चाहते थे नदीम: कोच ने उन्हें बिशन सिंह बेदी की तरह स्पिनर बनाया, पिता को भी विश्वास नहीं था बेटा क्रिकेटर बनेगा


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चेन्नई38 मिनट पहलेलेखक: राजकिशोर

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टीम इंडिया को इंग्लैंड के खिलाफ चेन्नई टेस्ट में 227 रन से शिकस्त झेलनी पड़ी। भारतीय टीम 4 टेस्ट की सीरीज में 0-1 से पिछड़ गई। इस मैच के लिए भारत की प्लेइंग इलेवन में अक्षर पटेल और कुलदीप यादव को नजरअंदाज करते हुए शाहबाज नदीम को जगह दी गई थी। यह लेफ्ट-ऑर्म स्पिनर नदीम के करियर का दूसरा टेस्ट था, जिसमें उन्होंने 4 विकेट लिए।

नदीम के पिता जावेद महमूद ने भास्कर को बताया कि यह स्पिनर बचपन में पूर्व पाकिस्तानी तेज गेंदबाज वसीम अकरम की तरह पेसर बनना चाहता था। हालांकि, कोच इम्तियाज हुसैन ने उनकी कदकाठी को देखते हुए स्पिनर बनाया।

पिता चाहते थे कि बड़ा बेटा क्रिकेटर बने और नदीम पढ़ाई करें
महमूद ने कहा, ‘मैं बड़े बेटे अशहद इकबाल को क्रिकेटर बनाना चाहता था। वह क्रिकेट अच्छा खेलता था। मैं चाहता था कि छोटा बेटा नदीम पढ़ाई करे। मुझे उम्मीद नहीं थी कि नदीम बेहतर खिलाड़ी बन सकता है। मैं दोनों बेटों को इम्तियाज के पास लेकर गया। तब 12 साल के नदीम बाएं हाथ से तेज गेंदबाजी करते थे। वे पूर्व पाकिस्तानी तेज गेंदबाज वसीम अकरम की तरह ही बनाना चाहते थे। जबकि इकबाल बल्लेबाज के साथ ऑफ स्पिनर थे। ट्रायल के बाद कोच ने नदीम की कदकाठी देखकर तेज गेंदबाजी छोड़कर स्पिन की सलाह दी थी।

फास्ट बॉलर नहीं बन सकते थे नदीम: कोच

कोच इम्तियाज ने भास्कर से कहा, ‘नदीम की हाइट देखकर मैंने उनके पिता से कहा था कि वह फास्ट बॉलर नहीं बन सकता। मैंने उसकी उंगलियां देखीं। मुझे लगा कि वह स्पिनर अच्छा बन सकता है। नदीम बांए हाथ से गेंदबाजी करते थे, इसलिए मैंने उन्हें बिशन सिंह बेदी की तरह लेफ्ट आर्म स्पिनर बनाने की ठान ली। दोनों भाई काफी मेहनत करते थे।’

नदीम पहली बार अंडर-16 बिहार टीम में रिजर्व खिलाड़ी थे: पिता
पिता ने कहा, ‘बड़ा बेटा इकबाल अंडर-16 और अंडर-19 में बिहार का प्रतिनिधित्व कर चुका है। बिहार की अंडर-16 टीम के ट्रायल के लिए नदीम ने भी काफी जिद की थी। तब मैंने दोनों बेटों को भेज दिया। मुझे नदीम के चयन की उम्मीद नहीं थी। तब वह 13 साल का था, लेकिन उसका बतौर रिजर्व प्लेयर सिलेक्शन हो गया। इकबाल को बिहार टीम का कप्तान बनाया गया था।

नदीम को एक मैच खेलने का मौका मिला, जिसमें उसने बेहतर प्रदर्शन किया और उसका बिहार की अंडर-14 टीम के लिए भी चयन हो गया। अंडर-14 खेलने के दौरान बंगाल में BCCI के टैलेंट सर्च अधिकारी की उस पर नजर पड़ी। तब नदीम को नेशनल कैंप के लिए बेंगलुरु बुलाया गया। उसके बाद नदीम को इंडिया की अंडर-14 टीम में जगह मिली और वे शारजाह में खेलने के लिए गए।’

इंग्लैंड के खिलाफ अपना बेस्ट नहीं दे पाए हैं
पिता ने कहा, ‘मैंने इंग्लैंड के खिलाफ नदीम को गेंदबाजी करते हुए देखा। मैं उसके प्रदर्शन से संतुष्ट नहीं हूं। वे इससे बेहतर गेंदबाजी कर सकते थे। मेरा सपना था कि मेरा बेटा इंडिया टीम से खेले। वह मेरे सपने को पूरा कर रहे हैं। मैं चाहता हूं कि वे बेहतर प्रदर्शन कर इंडिया टीम में स्थायी गेंदबाज के तौर पर शामिल हों।’

टेनिस बॉल से खेलने पर कोच ने ट्रेनिंग देने से कर दिया था मना
कोच इम्तियाज ने कहा, ‘मैं जॉब करने के बाद शाम को कोचिंग देने के लिए जाता था। दोनों भाइयों को शनिवार और रविवार को दिन में ट्रेनिंग देता था। एक बार मुझे पता चला कि नदीम और इकबाल टेनिस बॉल क्रिकेट मैच खेलने के लिए गए हैं। तब मैंने उन्हें डांटा और साफ कह दिया कि अगर वे टेनिस बॉल क्रिकेट खेलने के लिए जाएंगे तो मैं दोनों को ट्रेनिंग नहीं दूंगा। उसके बाद दोनों फिर कभी नहीं गए।’



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