नीमचौक स्थानक में धर्मसभा: हमें वाणी का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, सत्य और प्रिय बोलना चाहिए

नीमचौक स्थानक में धर्मसभा: हमें वाणी का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए, सत्य और प्रिय बोलना चाहिए


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रतलाम2 घंटे पहले

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वाणी सृष्टि का चमत्कार है। वाणी के कई प्रकार हैं प्रिय, अप्रिय, कोमल, कर्कश वाणी। कौवा मुंडेर पर आकर कांव-कांव करता तो हम उसे तुरंत भगा देते हैं और कोयल की कुक सुनकर आप प्रसन्न होते हैं। हमारी वाणी हमारे वंश का कुल का परिचय देती है। वाणी से हम दोस्त और दुश्मन बना लेते हैं। यह बात किरण प्रभा जी मसा ने कही। नीमचौक स्थानक की महती धर्मसभा में उन्होंने कहा अनन्त पुण्य के उदय से हमें यह सुस्पष्ट वाणी मिली है, केवल इंसान को स्पष्ट वाणी का वरदान प्राप्त है, इसलिए हमें इस वाणी का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए सत्य और प्रिय बोलो। मधुर बोलो बड़ा आनंद आएगा, बोलने से पहले तौलो बड़ा आनंद आएगा। गर्व से रहित वाणी बोलो। उन्होंने बुद्धि का सार, तन का सार, धन का सार तथा वाणी का सार के बारे में बताया।

तप, त्याग, विनय, विवेक से जीवन को उत्तम बना सकते हैं
रत्नज्योति जी मसा ने कहा कि अपनी आत्मा की संभाल करो क्योंकि एक दिन सबको जाना है। जवानी निकल रही है बुढ़ापा दस्तक दे रहा है, लेकिन आजकल 70-80 साल का बुजुर्ग भी अपने आप को बूढ़ा मानने को तैयार नहीं है। बालों को काला कर लेता है, कम सुनाए तो कान में मशीन लगा लेगा, आंखों में लेंस, मुंह में नई बत्तीसी, घुटने भी बदलवा लेता है, कितना भी छुपा लो, दबा लो बुढ़ापे की झलक सामने आ ही जाती है। आजकल की महिलाएं कपड़ों गहनों और शृंगार पर अनाप-शनाप खर्च करती हैं और इस खर्च को पूरा करने के लिए इंसान नैतिक अनैतिक सभी रास्तों से धन कमाने का कार्य करता है। उन्होंने कहा 18-18 पापों का सेवन करके बड़ी मेहनत करके ढ़ेर सारा धन कमाते हो लेकिन साथ में एक कौड़ी भी नहीं जाती है। इस संसार में रहकर भी अपने जीवन को हम तप, त्याग, विनय, विवेक के द्वारा उत्तम बना सकते हैं।



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