बड़वानी: 1008 कलशों से हुआ भगवान आदिनाथ का मस्तकाभिषेक; पहली बार महिलाओं ने बनाई कार्यक्रम की रूपरेखा

बड़वानी: 1008 कलशों से हुआ भगवान आदिनाथ का मस्तकाभिषेक; पहली बार महिलाओं ने बनाई कार्यक्रम की रूपरेखा


Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

बड़वानी5 घंटे पहले

  • कॉपी लिंक

बावनगजा में भगवान आदिनाथ का मस्तकाभिषेक हुआ।

  • सिद्धक्षेत्र बावनगजा में आयोजित हुआ कार्यक्रम, मप्र, गुजरात, महाराष्ट्र से पहुंचे समाजजन

सिद्धक्षेत्र बावनगजा में एक दिनी वार्षिक मेला (मोक्ष कल्याणक महोत्सव) का आयोजन किया गया। इस दौरान 84 फीट ऊंची आदिनाथ भगवान की प्रतिमा का 1008 कलशों से मस्तकाभिषेक हुआ और निर्वाण लाड़ू चढ़ाया गया। इस कार्यक्रम को कराने की जिम्मेदारी पहली बार महिला मंडल को सौंपी गई थी। इनका पहला ही प्रयास सफल हुआ। महिलाओं ने ही कार्यक्रम की पूरी रूपरेखा तैयार की थी।

बावनगजा ट्रस्टियों ने बताया वार्षिक मेले के तहत सुबह करीब 11 बजे ध्वजारोहण किया गया। इसके बाद सम्मान समारोह का आयोजन हुआ। साथ ही आर्यिका विदक्षाश्री ने प्रवचन दिए। दोपहर करीब 1 बजे आदिनाथ भगवान का मस्तकाभिषेक शुरू हुआ, जो करीब दो घंटे तक चला। समाज के लोगों ने बारी-बारी से जल से मस्तकाभिषेक किया। इस कार्यक्रम में मप्र, गुजरात और महाराष्ट्र के लोग शामिल हुए। कार्यक्रम आर्यिका विदक्षाश्री के सान्निध्य में चला।

कार्यक्रम के दौरान इन्हें मिला सौभाग्य
एक दिनी वार्षिक मेले के दौरान भक्ताम्बर विधान का आयोजन पंडित मौसम शास्त्री के निर्देशन में संपन्न हुआ। ध्वजारोहण मोहनलाल बड़जातिया परिवार मनावर ने किया। आचार्य श्री के चित्र का अनावरण अनिता राजेंद्र पहाड़िया गंधवानी और शशि जैन गंधवानी ने किया गया। दीप प्रज्वलन शेखर पाटनी परिवार मनावर द्वारा किया। कार्यक्रम में स्वागत भाषण ट्रस्ट अध्यक्ष पवन कुमार दोशी ने दिया। भगवान के प्रथम अभिषेक करने का सौभाग्य मनोज कुमार विपिन कुमार जैन अंजड़ परिवार को प्राप्त हुआ।

कोरोना से ज्यादा लोग नहीं बुलाए
सिद्धक्षेत्र बावनगजा में आयोजित हुए कार्यक्रम में इस बार पिछले सालों की अपेक्षा लोगों की भीड़ कम रही। कोरोना काल की वजह से ज्यादा लोगों को कार्यक्रम में नहीं बुलाया गया है। इस कारण से संख्या कम रही।

विकास में सहयोग देने वाले सम्मानित
वार्षिक मेले के दौरान सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान बावनगजा के विकास में सहयोग देने वाले व कार्यक्रम को संपन्न कराने वालों का सम्मान किया गया।

ये बोलीं आर्यिका माता जी
अपने पाप कर्म धोने का अपूर्व अवसर

इस अवसर पर क्षेत्र पर विराजमान विदक्षा श्री माताजी द्वारा रचित इष्टोपदेश और जिनगुण संपत्ति विधान का विमोचन श्रावकों द्वारा किया गया और माताजी को ट्रस्ट के पदाधिकारियों और महिला मंडल ने माताजी के दीक्षा दिवस पर विनयांजलि प्रदान की। माताजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज से 16 साल पहले परम पूज्य राष्ट्र संत आचार्य श्री विराग सागर जी ने गोमटेश्वर में हमारा भगवान बाहुबली और कई साधु संतों के बीच दीक्षा संस्कार किया था और आज भगवान बाहुबली के पिता भगवान आदिनाथ के समक्ष हमारा 16वां दीक्षा दिवस मनाया जा रहा है। आज भगवान का महा मस्तकाभिषेक हो रहा है ये अवसर अपने पाप कर्म धोने का अपूर्व अवसर है।

अभिषेक करने से अपना अमंगल और नकारात्मकता दूर होती है। भगवान की प्रतिमा के अंगों से छूकर जो अभिषेक का जल गंधोदक बन जाता है वो कई आधी व्याधियों को दूर कर हमारे में सकारात्मकता लाता है। भगवान का शरीर ऊर्जा से भरपूर होता है और उनसे छूकर आया जल हमें भी धनात्मक ऊर्जा प्रदान करता है। जिस प्रकार मैना सुंदरी ने गंधोदक से अपने पति और 300 कोढ़ियों का कोढ़ रोग समाप्त किया था। आगे कहा कि धर्म क्षेत्र में जो दान या काम करते हैं वो बगैर मान के करना चाहिए। यदि आपने मान किया तो आपका सारा दान और धर्म क्षेत्र में किया काम व्यर्थ हो जाएगा।



Source link