सेंट्रल जेल: बाहर धमकाने वाला प्यारे मियां जेल में डरा-सहमा है; कैदियों की एक आवाज पर खड़ा हो जाता है, लाइन में लगकर खाना लेता है

सेंट्रल जेल: बाहर धमकाने वाला प्यारे मियां जेल में डरा-सहमा है; कैदियों की एक आवाज पर खड़ा हो जाता है, लाइन में लगकर खाना लेता है


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भोपाल4 घंटे पहले

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सेंट्रल जेल भोपाल (फाइल फोटो)

  • यौन शोषण के आरोपी प्यारे मियां और रैगिंग के मामले में सजा काट रहीं 4 सहेलियों की सेंट्रल जेल से 2 कहानियां

सेंट्रल जेल इन दिनों चर्चा का विषय बनी है। वजह यहां पर अलग-अलग दो मामलों में पांच आरोपियों का बंद होना है। पहला आरोपी प्यारे मियां है, जो नाबालिग बच्चियों के यौन शोषण के मामले में जबलपुर जेल से ट्राॅन्सफर होकर आया है। दूसरा मामला आरकेडीएफ कॉलेज से बीफॉर्मा कर रही छात्रा अनीता की आत्महत्या के मामले में रैगिंग लेने वाली दीप्ति, निधि, देवांशी और कीर्ति को कोर्ट द्वारा पांच-पांच साल की सजा सुनाने के बाद यहां पर बंद किया जाना है। जेल इन दिनों ये आरोपी कैसे अपना समय बीता रहे हैं। पढ़िए इस रिपोर्ट में…

बीपी और शुगर की शिकायत के बाद जेल के अस्पताल में कराया गया है भर्ती
बाहर रौब जमाकर लोगों को डराने वाला प्यारे इन दिनों जेल में खुद ही डरा-सहमा है। जेल में पहले से बंद कैदियों की एक आवाज पर वो सुबह डरकर खड़ा हो जाता है। लाइन में लगकर खाना लेता है। हाल ही में जबलपुर जेल से पेशी पर आने के बाद कोर्ट के आदेश पर उसे यहां पर ब-खंड में बनी सेल में रखा जाता था। सेल के भीतर ही उसे खाना दिया जा रहा था। उसकी निगरानी सीसीटीवी कैमरों के द्वारा की जा रही थी। लेकिन हाल ही में कोर्ट ने उसके बढ़े हुए बीपी और शुगर की जांच और इलाज कराने के निर्देश जेल के अफसरों को दिए थे। इसके बाद प्यारे मियां को जेल के अस्पताल में भर्ती कराया दिया गया है। जहां पर जेल विभाग के डॉक्टर्स उनकी निगरानी कर रहे हैं।

चारों सीनियर्स ने ली थी अनीता की रैगिंग अब जेल में मिल भी नहीं पा रही हैं
सेंट्रल के महिला वार्ड में कैद अनीता की रैगिंग की आरोपी दीप्ति, निधि, देवांशी और कीर्ति ने कभी ये नहीं सोचा होगा कि उनको सुबह पांच बजे उठकर काम करना पड़ेगा। खुद ही झाड़ू लगाना पड़ेगी। खाना लेने के लिए लाइन में लगना होगा। लेकिन इन दिनों उनकी रियल लाइफ में ये सबकुछ हो रहा है। महिला वार्ड में दीप्ति, निधि, कीर्ति एक सेल में हैं। इन्हें 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन किया गया है। जबकि देवांशी और उसके 11 महीने के मासूम को अलग बैरक में रखा गया है। देवांशी न तो दोस्तों से मिल पाती है और न ही उनके नजदीक जाने की उसको अनुमति है। देवांशी सुबह से शाम तक सिर्फ बेटे के पास ही रहती है। उसे किसी को नहीं सौंपती है।

प्यारे मियां को कोर्ट के आदेश पर जेल के अस्पताल में भर्ती किया गया है। इससे पहले उसे सेल में रखा गया था। रैगिंग की आरोपी छात्राएं महिला वार्ड में बंद हैं।
पीडी श्रीवास्तव, उप अधीक्षक सेंट्रल जेल भोपाल



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