दरअसल, इंदौर में पुलिस कोविड-19 की टीकाकरण के लिए जागरूकता अभियान चला रही है. इस अभियान का संदेश है कि जब हर फ्रंटलाइन वर्कर को उसकी बारी आने पर कोरोना का टीका लगवाना चाहिए. इसलिए एक पुलिसवाले को यमराज बनाकर यहां टीकाकरण करवाया गया.
3 घंटे देर से शुरू हुआ था टीकाकरण
गौरतलब है कि बीते सोमवार को इंदौर में फ्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण होना था, इसके लिए कुल 8600 लोगों को मैसेज किया गया था. लेकिन इन 8600 लोगों में से केवल 1651 लोग ही कोरोना टीकाकरण के लिए पहुंचे.
जानकारी के मुताबिक, इंदौर में करीब पांच सेंटर्स ऐसे थे, जहां किसी को भी टीका नहीं लगाया गया. टीकाकरण 9 बजे से ही शुरू होना था, लेकिन ज्यादातर केंद्रों पर लोगों के न आने के कारण यह अभियान 12 बजे शुरू किया गया.बताया जा रहा है कि फ्रंटलाइन वर्कर्स में कुछ सफाईकर्मी भी शामिल थे.
BSF जवानों में दिखा था उत्साह
बताया जाता है कि टीकाकरण से जुड़े सभी मैसेज अंग्रेजी में भेजे गए थे, जिन्हें ज्यादातर लोग पढ़ ही नहीं पाए. ऐसे में वह कोरोना वैक्सीनेशन के लिए नहीं पहुंच पाए. हालांकि, BSF के जवानों में कोरोना के टीकाकरण को लेकर काफी उत्साह देखने को मिला. वहीं, BSF के जवानों का हौंसला बढ़ाने के लिए सबसे पहले बीएसएफ आईजी ने कोरोना वायरस की वैक्सीन लगवाई.
अब संजीवनी बनेगी ‘कोविशील्ड’, ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को WHO पैनल की हरी झंडी
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के पैनल ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका (Oxford-AstraZeneca) की वैक्सीन बड़े स्तर पर इस्तेमाल किए जाने की मंजूरी दे दी है. इस वैक्सीन प्रोजेक्ट में भारत का सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (Serum Institute of India) भी पार्टनर रहा है. दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीन निर्माता सीरम इंस्टिट्यूट ने इस वैक्सीन का भारत में ट्रायल किया था. सीरम इंस्टिट्यूट इस वैक्सीन को कोविशील्ड (Covishield) के नाम से बेच रहा है. भारत में कोवैक्सीन के अलावा इस वैक्सीन को भी इमरजेंसी यूज की अनुमति मिली हुई है.
65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए भी सुरक्षित बताया
विश्व स्वास्थ्य संगठन के पैनल ने बुधवार को इस वैक्सीन 65 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए भी सुरक्षित बताया है. पैनल ने कहा है कि इस वैक्सीन के दो शॉट लेना आवश्यक है. दो शॉट के बीच की अवधि 8 से 12 हफ्तों की बताई गई है.