MP में बढ़ता लव जिहाद: 23 दिन में लव जिहाद के 23 मामले दर्ज; सबसे ज्यादा भोपाल में 7, इंदौर में 5 केस, जबलपुर, रीवा, ग्वालियर भी पीछे नहीं

MP में बढ़ता लव जिहाद: 23 दिन में लव जिहाद के 23 मामले दर्ज; सबसे ज्यादा भोपाल में 7, इंदौर में 5 केस, जबलपुर, रीवा, ग्वालियर भी पीछे नहीं


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भोपाल22 मिनट पहले

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प्रदेश में 9 जनवरी से लेकर 31 जनवरी तक नए कानून के तहत 23 मामले दर्ज किए गए।- प्रतीकात्मक फोटो

  • गृहमंत्री ने कहा- देश को कमजोर करने की ताकतें कर रहीं ऐसा

मध्यप्रदेश में ‘लव जिहाद’ के विरोध में बनाए गए नए स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 के तहत सिर्फ 23 दिन में ही 23 मामले दर्ज किए गए हैं। ये मामले 9 जनवरी से 31 जनवरी के बीच सामने आए। यानी हर दिर प्रदेश में एक एफआईआर। सबसे ज्यादा मामले भोपाल संभाग में सामने आए, जहां इस दौरान 7 अपराध दर्ज किए गए। जबकि इंदौर संभाग में 5 मामले रहे। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने इसकी आधिकारिक पुष्टि करते हुए कहा कि देश को कमजोर करने के लिए लव जिहाद का सहारा लिया जा रहा है। इसके लिए देश विरोधी ताकत काम कर रही हैं। जनवरी में दर्ज मामले इस बात को साबित करने के लिए काफी हैं।

यहां हुईं एफआईआर

मिश्रा ने बताया कि धर्म स्वातंत्र्य कानून के तहत भोपाल और इंदौर के अलावा जबलपुर संभाग में 4, रीवा संभाग में 4 और ग्वालियर संभाग में 3 अपराध दर्ज किए गए हैं। हम पहले से ही कहते थे कि यह एक गंभीर विषय है। यह बड़े पैमाने पर प्रदेश के अंदर है। उन्होंने कहा कि यह मेरा अधिकार क्षेत्र नहीं है, लेकिन देश के अंदर इस तरह के काफी लोग और ताकतें सक्रिय हैं। जिन पर अंकुश के लिए प्रदेश में पहल की है। यह तो सिर्फ एक महीने के आंकड़े हैं।

प्रदेश में 9 जनवरी को लागू हुआ

मध्यप्रदेश में धर्म स्वातंत्र्य अधिनियम 2020 का अध्यादेश 9 जनवरी शाम 5 बजे से यह प्रदेश में लागू हो गया। सरकार द्वारा इसका नोटिफिकेशन जारी कर उसकी प्रति प्रदेश के सभी कलेक्टर को भेजी जा चुकी है। हालांकि इसे 6 महीने में विधानसभा से पास कराना होगा। इससे पहले यह कानून उत्तर प्रदेश में भी अधिनियम के माध्यम से लागू किया जा चुका है।

कानून के मुख्य प्रावधान

  • बहला-फुसलाकर, धमकी देकर जबर्दस्ती धर्मांतरण और शादी करने पर 10 साल की सजा का प्रावधान। यह गैर जमानती अपराध होगा।
  • धर्मांतरण और धर्मांतरण के बाद होने वाले विवाह के 2 महीने पहले डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को धर्मांतरण और विवाह करने और करवाने वाले दोनों पक्षों को लिखित में आवेदन देना होगा।
  • बगैर आवेदन दिए धर्मांतरण करवाने वाले धर्मगुरु, काजी, मौलवी या पादरी को भी 5 साल तक की सजा का प्रावधान है।
  • धर्मांतरण और जबरन विवाह की शिकायत पीड़ित, माता-पिता, परिजन या गार्जियन द्वारा की जा सकती है।
  • सहयोग करने वालों को भी मुख्य आरोपी बनाया जाएगा। उन्हें अपराधी मानते हुए मुख्य आरोपी की तरह ही सजा होगी।
  • जबरन धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जाएगा।
  • इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह कराने वाली संस्थाओं को डोनेशन देने वाली संस्थाएं या लेने वाली संस्थाओं का रजिस्ट्रेशन भी रद्द होगा।
  • इस प्रकार के धर्मांतरण या विवाह में सहयोग करने वाले आरोपियों के विरुद्ध मुख्य आरोपी की तरह ही कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
  • अपने धर्म में वापसी करने पर इसे धर्म परिवर्तन नहीं माना जाएगा।
  • पीड़ित महिला और पैदा हुए बच्चे को भरण-पोषण का हक हासिल करने का प्रावधान है।
  • आरोपी को ही निर्दोष होने के सबूत प्रस्तुत करना होगा।



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