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संदीप तिवारी| सागर17 घंटे पहले
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सागर| पिपरिया गोपाल गांव में बने खेत तालाब के पास खड़ा किसान।
- पंचायत में बने 83 खेत तालाब, इनमें से 72 वाटरशेड योजना तो 9 लोगों ने स्वयं के खर्च से किए तैयार, दो फसलें ले रहे किसान
रहली जनपद की पिपरिया गोपाल पंचायत के लोग बेहद खुश नजर आ रहे हैं। गांव में हर जगह एक ही चर्चा है कि अपनी पंचायत की तारीफ देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने की है। समाचार पत्र, न्यूज चैनल हर जगह गांव का नाम सुनने मिल रहा है।
दरअसल, पिपरिया गोपाल पंचायत में बने 83 खेत तालाबों के चलते आए बदलाव के कारण जल शक्ति मंत्रालय ने राष्ट्रीय अवार्ड दिया है। इनमें से 72 तालाब वाटरशेड योजना के तहत बने हैं, जबकि 9 लोगों ने स्वयं के व्यय एवं अन्य योजनाओं से बनवाए हैं। यही वजह रही कि गुरुवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने इस पंचायत की तारीफ की और प्रधान सहित ग्रामीणों और सीएम तक को बधाई दी। भास्कर टीम ने शुक्रवार को गांव में पहुंचकर बदलाव की इस तस्वीर को जानने की कोशिश की।
गांव के बुजुर्ग हल्लू अहिरवार ने बताया 5 साल पेले तक इते जा स्थिति हती के टूबेल्ट (वोरबेल) में पानी लो नई कड़त तो। कातक (कार्तिक माह) से कुआं सूख जात ते। बड़ी मुसीबत से दिन काटत ते। खेतों से पानी लाने परत तो। मनो जब से जे खेत तालाब बने हैं, भरपूर पानी है। नदिया पे भी स्टॉपडेम बनो है।अब पानी की कोनऊ समस्या नईयां।
बिना किसी परियोजना के 1600 एकड़ जमीन सिंचित
यहां की 1600 एकड़ भूमि में से अब पूरी ही जमीन सिंचित हो गई है, वह भी बिना किसी बड़ी परियोजना के। दरअसल हुआ यूं कि गांव के कुछ बड़े किसानों ने स्वयं के खर्चे पर कुछ तालाब खुदवाए। इसका फायदा यह हुआ कि उन्होंने दो फसलों की उपज ली। इसी बीच वाटरशेड परियोजना गांव में लागू हुई, ग्रामीणों ने इसका लाभ उठाया और बड़ी संख्या में खेत तालाब बन गए। अब गांव के बहुसंख्यक किसान रबी के सीजन में बोई जाने वाली फसलों के लिए दो से तीन बार सिंचाई कर लेते हैं।
हैदराबाद में हैं गांव के प्रधान-बोले खबर सुनाई तो तालियां बजाकर सम्मान दिया
गांव के प्रधान (सरपंच) कौशल किशोर कपस्या इलाज के लिए वर्तमान में हैदराबाद में हैं। उन्होंने बताया कि रक्षामंत्री द्वारा पंचायत की तारीफ की बात जब मैंने अस्पताल के स्टाफ को बताई तो उन्होंने तालियां बजाकर मेरा सम्मान किया। इससे मेरी खुशी और भी बढ़ गई।
एक तालाब से 25 एकड़ तक भूमि होती है सिंचित, अब हम चना, मसूर भी बोते हैं
पंचायत के ही दीनदयाल पटेल बताते हैं कि गांव में पहले स्थिति यह थी कि कुआं से बमुश्किल 2 एकड़ की जगह ही संचित हो पाती थी। परंतु इन तालाबों से 6 से 25 एकड़ की जगह तक तालाब के आकार के हिसाब से सिंचित होने लगी है। पहले या तो सोयाबीन की बोबनी कर पाते थे या गेहूं, चना, मसूर की।
7500 हेक्टेयर के 3 प्रोजेक्ट लाया था मैं, गांव में सब सुविधाएं उपलब्ध हैं
पीडब्ल्यूडी मंत्री एवं क्षेत्रीय विधायक गोपाल भार्गव का कहना है कि पहले इस क्षेत्र में पानी की बड़ी समस्या थी। खेत तालाब, कपिलधारा कूप, डबरी, बलराम तालाब जैसी योजनाओं के माध्यम से मैंने पर्याप्त सिंचाई सुविधाएं करवाईं। मैं वाटरशेड के 3 प्रोजेक्ट लाया था। जिससे 7500 हैक्टेयर जगह सिंचित हुई है। इसी का परिणाम है कि पिपरिया गोपाल, छुल्ला जैसी पंचायतें देश में प्रसिद्धि पा रही हैं।
ग्रामीण स्वयं जागरूक, इसीलिए गांव का नाम हो रहा रोशन, तालाब रहते हैं लबालब
जिला पंचायत सीईओ डॉ. इच्छित गढ़पाले का कहना है कि अच्छी बात यह है कि किसान इन तालाबों में जो गाद सी तलहटी में जमा हो जाती है वह निजी खर्च पर साफ कराते हैं इससे सभी तालाबों में लंबे समय तक पानी रहता है।