हंसराज हंस की सूफियाना महफिल: साढ़े तीन घंटे तक चला सुरों का जादू पर झूमे लोग; राखो मोरी लाज हरी… से शुरू हुआ सिलसिला खुसरो के छाप तिलक सब छीनी तक पहुंचा…

हंसराज हंस की सूफियाना महफिल: साढ़े तीन घंटे तक चला सुरों का जादू पर झूमे लोग; राखो मोरी लाज हरी… से शुरू हुआ सिलसिला खुसरो के छाप तिलक सब छीनी तक पहुंचा…


  • Hindi News
  • Local
  • Mp
  • Bhopal
  • The Magic Of Hans Raj Hans’s Voice Lasted For Three And A Half Hours, Listeners Also Remain Frozen

Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप

भोपाल20 मिनट पहलेलेखक: राजेश गाबा

  • कॉपी लिंक

हंस राज हंस भारत भवन के बहिरंग सभागार में सूफियाना कलाम पेश करते हुए।

  • भारत भवन का 39वां स्थापना दिवस समारोह
  • खुद से खुदी तक और खुदी से खुदा तक पहुंचने का नाम है मोहब्बत, इबादत

खुद से खुदी तक और खुदी से खुदा तक…। मौसिकी की रंग-ओ-खुशबूओं में भीगा यह पैगाम जब झील किनारे, खुले आसमान तक लहराया तो अमन-चैन की बयार बही। वासंती महक और सुरों की चहक भरा यह सुहाना मंजर रचने हंसराज हंस भारत भवन के मुक्ताकाश मंच पर आए। पुरकशिश आवाज और संगीत का लय-ताल भरा यह ताना-बाना सूफियाना धुनों के पंख लगाकर जैसे अनंत सैर की सैर करता रहा।

राखो मोरी लाज हरी….जैसे आमफहम नगमे से शुरू हुआ सिलसिला खुसरो के छाप तिलक सब छीनी…तक परवान चढ़ा। यूं करीब एक बरस बाद सात सुरों ने मिलकर भारत भवन का सांस्कृतिक सन्नाटा तोड़ा। कला प्रेमियों की उमड़ती भीड़ इस बात का गवाह बनी कि भोपाल यकीनन कला के कद्रदानों का शहर है।

एक्सक्लूसिव इंटरव्यू:मैं भी खेत मजदूर का बेटा हूं, कच्चे घर से पद्मश्री तक पहुंचा; मजदूर से कलाकार बनीं भूरी बाई का सम्मान देख खुश हुआ

देर रात तक भारत भवन में हंस राज हंस को सुनने के लिए जमा रहे श्रोता।

देर रात तक भारत भवन में हंस राज हंस को सुनने के लिए जमा रहे श्रोता।

शनिवार रात 9 बजे हंसराज हंस ने भारत भवन के बहिरंग पर आमद दी। उन्होंने मंच थामते ही श्रोताओं से कहा कि हाजिरे महफिल आप सबको नमस्कार, आदाब सतश्रीअकाल। हैप्पी बर्थडे, हैप्पी वैलेंटाइन डे…। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा, कोरोना के दौरान जब भी गाने की कोशिश करता, तो सिर्फ क-रोना साहब याद आता है। कहता था करोना। अब डेढ़ साल बाद भोपाल ने कहा कि करोना। भगवान की मर्जी है कि दोबारा बहाल हुई है जिंदगी। मैं यही दुआ करता हूं, खुदा से कि खुशनुमा जिंदगी बिताकर इस जहाने फानी से कूच करें।

उन्होंने कहा कि कोई नहीं जानता कि मेरे लंबे बाल इयरफोन छिपाते हैं, यहां तक ​​कि राजनीतिक सभाओं के दौरान भी मैं राग दरबारी सुन रहा होता हूं।

हंसराज ने जैसे ही ‘राखो मौरी लाज गरीब नवाज” पेश किया तो सभागार गुलजार हो उठा। उसके बाद एक के बाद एक सूफी गीतों की प्रस्तुति के साथ ही भोपाल पर जबरदस्त सूफियाना रंगत चढ़ने लगी। हंसराज के सुरों का जादू ऐसा चला कि श्रोता खुद को रोक नहीं पाए और उनके सुरों के साथ गुनगुनाने लगे। उर्दू अदब के साथ पंजाबी तड़के की संगत आई, तो सुनने वालों का दिल मस्त कलंदर हो गया। हंसराज हंस के गानों की प्रस्तुतियों ने इस शाम को यादगार बना दिया। श्रोता लगाकर डांस भी करते रहे। यह सिलसिला देर रात 11:30 तक चला। दमा दम मस्त कलंदर से हंसराज हंस ने अपनी गायिकी को परवान तक पहुंचाया। कार्यक्रम का संचालन कला समीक्षक और सुप्रसिद्ध उद्घोषक विनय उपाध्याय ने अपने खास अंदाज में किया। भारत भवन की कला यात्रा का भी परिचय दिया।



Source link