इंटरव्यू: इंडियन ओशियन बैंड के लीड गिटारिस्ट राहुल राम ने कहा- अगर किसानों से बात करने से बात बन सकती है तो इस कानून को वापस ले लो

इंटरव्यू: इंडियन ओशियन बैंड के लीड गिटारिस्ट राहुल राम ने कहा- अगर किसानों से बात करने से बात बन सकती है तो इस कानून को वापस ले लो



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भोपाल2 घंटे पहले

इंडियन ओशियन बैंड के मेंबर सिर पर गमछा बांधे, ऑरेंज कुर्ते में लीड गिटारिस्ट राहुल राम

  • ‘आंदोलन में अब ईगो आ गया है और दोनों तरफ से खींचातानी चल रही है’

भोपाल के लेकव्यू अशोका रेसीडेंसी होटल में जिफलिफ ड्राइव इन म्यूजिक फेस्ट में आए इंडियन ओशियन बैंड के लीड गिटारिस्ट राहुल राम ने किसान आंदोलन पर बात करते हुए कहा कि अगर इतना हल्ला मचना है तो जैसे बिल ऑर्डिनेंस से लाए थे बिना डिस्कशन के वापस ले लो और फिर से तैयार करो। बिल स्थगित करने की जो बात करते हैं। ऐसा संविधान में प्रावधान है ही नहीं। किस आधार पर आप इस तरह की बात कर सकते हैं। मोदी सरकार का कहना है कि एग्रीकल्चर में रिफॉर्म की जरूरत है लेकिन ये रिफॉर्म वह रिफॉर्म है जिसकी कईं सालों से बात हो रही है। अगर किसानों से बात करने से बात बन सकती है तो इस कानून को वापस ले लो और फिर से काम करो। आंदोलन में अब ईगो आ गया है और दोनों तरफ से खींचातानी चल रही है।

बैंड्स की शुरुआत छोटे शहरों से होनी चाहिए

जब 1990 में हमने बैंड बनाना शुरू किया था, तब पहली परफॉर्मेंस IIT दिल्ली में दी थी और उस समय मुझे 1500 रुपए मिले थे। तब बैंड्स सिर्फ मेट्रो सिटी में ही तैयार होते थे। अब रायपुर, भोपाल, इंदौर जैसे शहरों में भी बैंड्स आगे आने लगे हैं, यह एक अच्छी पहल है। बैंड्स का असर भी अब बड़े शहरों से निकलकर छोटे शहरों में आ रहा है। अगर यंगस्टर्स इस प्रोफेशन में वाकई आना चाहते हैं तो रियाज बहुत जरुरी है। लोगों को लगता है कि किसी रियलिटी शो में सिंगर बन गया तो बड़ी जल्दी प्रसिद्धि मिल गई, लेकिन उसके पीछे का स्ट्रगल और रियाज ही उसे इस मुकाम तक लेकर आता है। यंग जनरेशन को जहां मौका मिले वहां बजाओ इससे आपका ही फायदा होगा।

असमानता पर तैयार किया गाना

अभी हमारे बैंड ने असमानता पर एक गाना तैयार किया है। हालांकि बहुत बार लोग मुझसे पूछते भी हैं कि असमानता पर गाना कैसे बन सकता है। असमानता ऐसा शब्द है, जिस पर गाना नहीं बनाया जा सकता है साथ ही मुश्किल है, इस पर गाना बनाना। मैं जब छोटा था, एक खेल हुआ करता था, ऊंच-नीच का पापड़ा, उसमें दूसरा खिलाड़ी ऊंच मांगता था और सब ऊपर भागते थे। मैंने इसी को देखते हुए ‘ऊंच-नीच का पापड़ा, अमीर गरीब का फासला’ बनाया। मैंने मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में भी काम किया है, जहां आज भी अमीर-गरीब का फासला दिखता है। वहीं से मुझे आइडिया आया और मेरा गाना बन गया।



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