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इंदौरएक मिनट पहले
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महिला का नाम पुष्पाबाई है। उसके पैर में कीड़े लगे हुए हैं। (इनसेट में पैर में रेंग रहे कीड़े)।
बिजासन टेकरी के पास सड़क किनारे एक लोहे का पलंग पड़ा था। पलंग पर एक महिला पड़ी थी, जो कि कंबल में दुबकी हुई थी। लेकिन कंबल के भीतर जो था, वह रोंगटे खड़ा करने वाला था। कंबल के भीतर उस दर्द को वह कैसे सहन कर रही थी। यह सोचकर ही लोगों का मन सिहर उठा। कंबल हटा तो दर्दनाक मंजर आंखों के सामने था। एक पैर का पंजा पूरी तरह से सड़ा हुआ था और उसमें असंख्य कीड़े रेंग रहे थे। पैर के जख्म के साथ ही एक और घाव महिला के मन में भी था और वह था प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एमवाय का। महिला को अस्पताल लेकर जाने की बात कही तो एमवाय अस्पताल का नाम सुनते ही वह दर्द भूल गुस्से से लाल हो गई और कहा कि मुझे श्मशान घाट छोड़े दो, लेकिन उन कसाइयों के पास मत लेकर जाना। उन्होंने ही मेरा पैर बेकार किया है। महिला का आरोप था कि एमवाय में इलाज के दौरान ही उनके पैर की ऐसी हालत हुई है।

एमवाय अस्पताल लेकर जाने का कहा तो उसने हाथ जोड़ते हुए जाने से इनकार कर दिया।
बिजासन टेकरी पर लेटी पुष्पा बाई निवासी वल्लभ नगर को अस्पताल लेकर जाने के लिए जब समाजसेवी संस्था के सदस्य सुबह उनके पास पहुंचे तो वे अस्पताल जाने को राजी नहीं थी। उनसे जब पूछा गया कि चाय पी लो तो वे बोलीं कि मुझे चाय नहीं पीना। जब कहा – आपका इलाज करने ले जाएं, तो बोलीं- नहीं मैं नहीं जाऊंगी। वहां, नर्स और डॉक्टर ने मेरा पैर खराब कर दिया। महिला ने बताया कि मेरी मां का दो महीने पहले देहांत हो गया। मेरा पैर खराब होता है तो हो जाने दो, लेकिन मुझे वहां नहीं जाना। मैं किसी से कोई रिक्वेस्ट नहीं करूंगी कि मेरी हेल्प करो। उसने रोते हुए हाथ जोड़कर अपना दर्द सुनाते हुए कहा कि मैं आपके पैर पड़ती हूं कि अब अस्पताल नहीं जाना। यह उन्हीं की करामात है। मेरा पैर आप लोगों जैसा ही था। एक जख्म हुआ था। मुझे नहीं पता था कि अब पुराना वाला एमवाय नहीं रहा। वे मुझे अकेले लेकर गए और मेरे साथ कसाईपन किया। मैं हाथ जोड़ती हूं, मुझे वहां नहीं ले जाना। मैं जहर खाकर अपने साथ कुछ भी कर लूंगी। मैं आत्महत्या कर लूंगी, लेकिन उन कसाइयों के यहां नहीं जाऊंगी। मैं यही कहूंगी कि चिमनबाग में शमशान घाट पर मुझे छोड़ दो।

महिला को काफी समझाने के बाद अस्पताल लेकर जाया गया।
एमवाय के नाम से गुस्से से लाल हुई महिला
महिला से जब कहा कि अस्पताल चलने में क्या दिक्कत है तो वे राेते हुए बोलीं कि एक महीने पहले मैं एमवाय अस्पताल गई थी। वहां पर नर्स, डॉक्टर और बार्ड बॉय के कारण ही आज मैं इस हाल में हूं। उन लोगों ने मेरे साथ कसाईपन कर अगले दिन डिस्चार्ज कर दिया। मेरे पैर खून-खून हो रहा था। मेरी मां भी मेरे साथ नहीं थी। उन्होंने रात 3 बजे मेरे साथ कसाईपन शुरू किया। एक और के साथ भी ऐसा ही किया। मुझे वार्ड-वार्ड घुमाते रहे। मुझे गंदगी में पागलों के बीच उन्होंने रख दिया। मैं अब अस्पताल तो जाऊंगी ही नहीं। मैं किसी पर विश्वास नहीं करूंगी। तुम मेरा इलाज होश हवास में करोगे क्या, नहीं तो मुझे इलाज नहीं करवाना। ऐसा बोलकर मुझे फंसा दोगे। मैं कैसे वहां से निकलूंगी। सुन्न करने के बाद मेरा इलाज करना, जिससे मुझे दर्द तो नहीं होगा। महिला ने कहा कि एमवाय में पहले इतने सीधे, शांत डॉक्टर, नर्स और बार्ड बाॅय रहते थे कि सबकुछ सुन्न कर इलाज करते थे।
सुबह सोशल मीडिया से मिली थी सूचना
गोल्ड कॉइन सेवा ट्रस्ट के मानधन्या ने बताया कि सुबह सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें सूचना मिली थी कि बिजासन टेकरी पर एक महिला लाचार बीमार बेसहारा पड़ी हुई है। एक वीडियो भी था, जिसमें वह एक लोहे के पलंग पर लेटी है और कंबल के नीचे छिपे पैर में कीड़े रेंग रहे हैं। इस पर तत्काल हमारी टीम महिला के पास पहुंची और उनकी स्थिति को समझा। उन्हें कहा कि हम आपको एमवाय अस्पताल लेकर चलते हैं, लेकिन उन्होंने एमवाय जाने से मना कर दिया। इसके बाद उन्हें समझा-बुझाकर अरविंदो हॉस्पिटल लेकर चलने को कहा। इस पर अरविंदो अस्पताल की एम्बुलेंस अम्मा को लेने आई और फिर उन्हें वहां अस्पताल रवाना किया गया।

अरविंदो अस्पताल में महिला को भर्ती किया गया है।
महिला पहले कुछ बताने को राजी नहीं थी
महिला को लेने आए अरविंदो अस्पताल के डॉक्टर नीरज कालीधर ने बताया कि संस्था के लोग पहले उन्हें एमवाय लेकर जाने वाले थे, लेकिन वे वहां जाने को तैयार नहीं थीं। इसके बाद हमें कॉल कर बुलाया गया। हम वहां पहुंचे और महिला को लेकर अस्पताल पहुंचे। उनके इलाज का पूरा खर्च हमारा अस्पताल ही वहन कर रहा है। डॉ. नीरज का कहना था कि महिला शुरू में कुछ बताने को राजी नहीं थी। अस्पताल में उनका पुराना अनुभव कैसा रहा यह नहीं पता, लेकिन इलाज के साथ ही उनकी कांंउसलिंग की गई। उन्होंने बताया कि वे वल्लभ नगर इंदौर की रहने वाली हैं और अनमैरिड हैं। उनके पैर में पहले कोई जख्म हो गया था, जिसके बाद उनके पैर में कीड़े लग गए। अभी उनके पैर को साफ कर कीड़े बाहर करने की प्रक्रिया की जा रही है। इसके बाद आगे उन्हें क्या इलाज दिया जाना है यह तय होगा।
ओल्ड जीडीसी से किया है डबल एमए
पुष्पाबाई के बारे में पता चला है कि उसने ओल्ड जीडीजी से डबल एमए किया है। उसके पिता बाबू सिंह बैंगलोर में हैं। दो महीने पहले ही उनकी मां का निधन हुआ है। वे सरकारी कर्मचारी थीं। मां की माैत के बाद राह चलते उन्हें कुछ चुभा और वे एमवाय में इलाज करवाने पहुंचीं थीं। इसके बाद वे वहां से बिजासन टेकरी पहुंचीं और पलंग पर लेट गईं। यहां मां के दर्शन को आने वाले किसी भक्त ने उन्हें कंबल ओढ़ा दिया। लेकिन इलाज नहीं मिलने से घाव में कीड़े लग गए। सुबह मार्निंग वॉक पर निकले लोगों ने उनकी हालत देख स्वास्थ्य विभाग सहित सामाजिक संस्थाओं को सूचना दी।
महिला का सहारा वार्ड में भर्ती होने का कोई रिकाॅर्ड नहीं
महिला के आरोपों पर जब एमवाय अस्पताल के अधीक्षक पीएस ठाकुर से फोन पर बात की तो उनका कहना था कि ऐसे लोगों के लिए हमारे यहां अलग से सहारा वार्ड बना हुआ है। मामला सामने आने पर हमने रिकाॅर्ड चेक करवाए, लेकिन महिला सहारा वार्ड में कभी भर्ती नहीं हुई है। बाकी जगह भी चेक करवा रहे हैं।