मिसाल बेमिसाल: शिक्षिका ने बच्चों को धूप में बैठकर मध्यान्ह भोजन करते देखा, तो जमा पूंजी से सरकारी स्कूल में बनवा दिया भोजन कक्ष

मिसाल बेमिसाल: शिक्षिका ने बच्चों को धूप में बैठकर मध्यान्ह भोजन करते देखा, तो जमा पूंजी से सरकारी स्कूल में बनवा दिया भोजन कक्ष


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भोपाल3 घंटे पहलेलेखक: राजेश गाबा

अपने रिटायरमेंट से पहले अपने स्कूल के विद्यार्थियों को भोजन कक्ष उपलब्ध करवाया।

  • बावड़िया कलां के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका ने पेश की मिसाल
  • 12 लाख रुपए खर्च करके बनवाया 1100 वर्ग फीट का मध्यान्ह भोजन हॉल

बावड़िया कलां शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय की शिक्षिका द्रोपदी चौकसे ने स्कूल में मध्यान्ह भोजन करते बच्चों को ग्राउंड में, गैलरी में और धूप में देखा तो दुखी हो गईं। जिसके बाद उन्होंने निर्णय लिया कि वह जीवनभर की जमा पूंजी से इस सरकारी विद्यालय में बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन कक्ष का निर्माण करवाएंगी। जमा पूंजी के करीब 12 लाख रुपए से उन्होंने विद्यालय में मध्यान्ह भोजन भवन का निर्माण करवाया। रिटायरमेंट से पहले स्कूल के विद्यार्थियों को भोजन कक्ष उपलब्ध करवाया। दैनिक भास्कर ने स्कूल पहुंचकर शिक्षिका से जानी उनकी कहानी।

शिक्षिका द्रोपदी चौकसे

शिक्षिका द्रोपदी चौकसे ने कहा-

‘मैं इस स्कूल में सहायक शिक्षिका हूं। सरकार की व्यवस्था मध्यान्ह भोजन हमारे विद्यालय में भी चलती है। हमारे बच्चे खाना खाने में परेशान होते थे। कभी बाहर तेज धूप में ग्राउंड में बैठते थे। कभी कक्षाओं के सामने। कई बच्चे ठीक से धूप के कारण नहीं खा पाते थे। यह देखकर एक दिन मुझे आंसू आ गए। मैं बहुत दुखी हुई। यह बात मैंने अपने पति और बेटे को बताई। मेरे पति एमपीईबी से रिटायर हुए हैं और मेरे दो बेटे नौकरी करते हैं।

तब हमारा विचार बना कि एक शेड बनाकर देना चाहिए, ताकि बच्चे आराम से भोजन कर सकें। तब मैंने सोचा कि क्यों न इन बच्चों के लिए कोई पक्का हॉल बना दिया जाए। तब मेरे बेटे और पति भी मान गए। मैंने अपनी जिंदगी की जमा पूंजी जो जोड़ी थी, वह 12 लाख रुपए मैंने हॉल बनाने के लिए स्कूल प्रबंधन को दे दिया। मेरी प्राचार्य गीता वर्मा से बात की। उन्होंने कहा कि अच्छा विचार है। इस तरह 8 महीने में यह 1100 स्क्वायर फीट का भोजन कक्ष बनकर तैयार हो गया है। अब मेरे बच्चों को धूप में भोजन करने के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।

स्कूल में मध्यान्ह भोजन पहली से 8वीं के विद्यार्थियों को दिया जाता है। कुल विद्यार्थियों की संख्या 288 है। प्राइमरी मॉर्निंग शिफ्ट में पहली से 5वीं में 145 और दूसरी शिफ्ट 6वीं से 8वीं 143 विद्यार्थी हैं। आज मैं बहुत खुश हूं। मैं इन बच्चों के किसी काम आ सकी। अभी कोरोना के कारण मध्यान्ह भोजन व्यवस्था शुरू नहीं हो सकी। जब नया सत्र अप्रैल में शुरू होगा तो मेरी इच्छा है कि मैं अपने हाथ से इन बच्चों को भोजन परोसूं और इन्हें सुकून से भोजन खाते हुए देख सकूं। मेरे लिए इस स्कूल में बिताए 14 सालों में वह सबसे खूबसूरत दिन होगा।

यह 1100 स्क्वायर फीट का भोजन कक्ष है, जिसे स्कूल की शिक्षिका द्रोपदी चौकसे ने अपनी जमा पूंजी के 12 लाख रुपए से बच्चों के लिए बनवाया है

यह 1100 स्क्वायर फीट का भोजन कक्ष है, जिसे स्कूल की शिक्षिका द्रोपदी चौकसे ने अपनी जमा पूंजी के 12 लाख रुपए से बच्चों के लिए बनवाया है

पूरे समाज के लिए मिसाल है

शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बावड़िया कलां की प्राचार्य गीता वर्मा ने कहा कि हमारे विद्यालय की द्राेपदी चौकसे बहुत ही सरल हृदय और बच्चों से प्यार करने वाली शिक्षिका हैं। यहां काफी कंजेस्टेड होने के कारण बच्चों को मध्यान्ह भोजन खाने में काफी दिक्कत होती थी। तब उन्होंने अपनी जमा पूंजी बच्चों के लिए मध्यान्ह भोजन कक्ष का निर्माण करवाया, यह पूरे समाज के लिए एक मिसाल है।’



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