2019 में उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन बनी तो पहाड़ के क्रिकेट खिलाड़ियों का वह सपना भी पूरा हो पाया जो उन्हें दूसरे राज्यों से टीम में खेलकर देखना पड़ता था. मगर नई नवेली उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन कभी अध्यक्ष तो कभी क्रिकेट चयन में खिलाड़ियों को लेकर ही विवादों में रही. अब टीम चयन में मजहबी रंग की उठ रही बात से उत्तराखंड क्रिकेट फिर विवादों में है.
उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन में बाहरी लोगों का दखल!
उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन में 41 मेंबर हैं जिनमे से ज्यादातर कहते हैं कि उनकी बातों को कभी तवज्जों ही नही दी गयी. ओ पी सोढ़ी कहते हैं कि वो हर मीटिंग में मुद्दा उठाते हैं लेकिन मेंबर्स की बात नही सुनी जाती. जबकि सचिव माहिम वर्मा का कहना है की उनका मकसद सिर्फ उत्तराखण्ड क्रिकेट के लिए अच्छा काम करना रहा. वसीम जाफ़र के साथ हुए विवाद पर उन्होंने कहा कि एसोसिएशन ने मुख्य कोच रहते हुए उनकी हर बात को तव्वजों दी, उत्तराखण्ड क्रिकेट में कभी भेद भाव नही किया गया.
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वहीं डिस्ट्रिक्ट लेवल पर उत्तराखंड का प्रतिनिधित्व कर चुके प्रवेश सेमवाल मानते हैं कि इन सबसे नुकसान खिलाड़ी को होता है , बाहरी लोगों का दखल उत्तराखण्ड क्रिकेट को नुकसान पहुंचा रहा है. जबकि फिलहाल दिल्ली कोच को लीड कर रही रागिनी मल्होत्रा कहती हैं कि पॉलिटिक्स हर खेल में है लेकिन खिलाड़ी सिर्फ अपने खेल के सुधार के बारे में सोचता हैब खेल में मजहबी रंग देखते हुए वासिफ जाफ़र के समर्थन में कई खिलाड़ी से लेकर राजनेता तक आ गए हैं. मगर इन सबके बीच नुकसान उत्तराखण्ड के उन खिलाड़ी को न हो जो उत्तराखण्ड टीम में सेलेक्शन की राह में तैयारी में लगे हैं.