वॉन की तरह ही पूर्व इंग्लिश कप्तान नासिर हुसैन ने भी विराट के व्यवहार को ठीक नहीं माना. हुसैन ने कहा कि भारतीय टीम और कप्तान ने यह तय करने में ही 15 सेकेंड लगा दिए कि वे अंपायर के फैसले के खिलाफ डीआरएस ले या नहीं. उन्हें ठीक तरह से यह पता ही नहीं था कि वे इस चीज के लिए रिव्यू मांग रहे हैं. अगर वे इतने आश्वस्त थे कि बल्लेबाज आउट है, तो उन्होंने फौरन क्यों नहीं डीआरएस लिया. रिव्यू लेने में आखिर क्यों टीम इंडिया ने इतना वक्त लिया?
कोहली को बतौर कप्तान अच्छा उदाहरण पेश करना था: लॉयड
डेविड लॉयड की भी राय कुछ ऐसी ही है. उन्होंने मैदान पर भारतीय कप्तान के बर्ताव को लेकर कहा कि वे अंपायर से ऐसे नहीं बात कर सकते हैं. उन्हें बतौर कप्तान अच्छा उदारहण पेश करना था. कप्तान के ऐसे व्यवहार के लिए टीम मैनेजमेंट को उनसे बात करनी चाहिए. क्योंकि यह मैदान पर अच्छा नहीं दिखा.
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रूट को आउट नहीं देने पर भड़के थे विराट
दरअसल, चेन्नई टेस्ट के तीसरे दिन का अंतिम ओवर बाएं हाथ के स्पिनर अक्षर पटेल कर रहे थे. ओवर की पहली ही गेंद पर इंग्लैंड के कप्तान जो रूट के खिलाफ विकेटकीपर ऋषभ पंत ने कैच की अपील की. लेकिन फील्ड अंपायर नितिन मेनन ने इस अपील को ठुकरा दिया. इसके बाद पंत ने कप्तान कोहली को डीआरएस लेने के लिए कहा. कोहली ने डीआरएस लिया. रिप्ले में दिखा कि गेंद बल्ले से नहीं टकराई थी. इसका मतलब रूट के खिलाफ जो कैच आउट की अपील की गई थी, उससे वे बच गए थे. लेकिन बॉल ट्रैकिंग में दिखा कि अक्षर की यह गेंद सीधे रूट के पैड पर टकराई थी. ऐसे में एलबीडब्ल्यू को लेकर वो फंस रहे थे. लेकिन अंपायर्स कॉल की वजह से भारत को रूट का विकेट नहीं मिला. यह देखकर कोहली भड़क गए और अंपायर मेनन से बात करने लगे. वे अंपायर के इस फैसले से नाराज नजर आए. दोनों के बीच इसे लेकर काफी देर तक बहस होती रही. लेकिन अंपायर का फैसला नहीं बदला. ड्रेसिंग रूम में बैठे कोच रवि शास्त्री ने भी इशारा कर इस फैसले पर नाखुशी जताई थी.