5 दिन से बंद थी छुहिया घाटी मार्ग: हादसे के बाद मंगलवार देर रात चालू हो पाया आवागमन, इसी जाम से बचने बस ड्राइवर ने बदला था रूट

5 दिन से बंद थी छुहिया घाटी मार्ग: हादसे के बाद मंगलवार देर रात चालू हो पाया आवागमन, इसी जाम से बचने बस ड्राइवर ने बदला था रूट


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सीधी11 मिनट पहले

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  • सीधी बस हादसे ने लापरवाही की खोली पोल, आक्रोशित परिजन बोले, जाम खुला होता तो हमारे बच्चे यूं नहीं छोड़ जाते
  • बस ओवरलोड होने से नहर पर बना एक ब्रेकर और मोबाइल पर ड्राइवर के बात करने के चलते हुआ हादसा

सीधी के रामपुर नैकिया में हुए बस हादसे ने जिम्मेदारों की पोल खोल दी। पिछले पांच दिनों से छुहिया घाटी जाम में फंसा था। यही कारण था कि यात्री बसों को ड्राइवर नहर की सड़क से बिजौरी होकर निकाल रहे थे। मंगलवार को हादसे के बाद देर रात इस रोड से आवागमन शुरू हो पाया। 10 किमी की छुहिया घाटी रोड में पांच किमी की खड़ी चढ़ाई और फिर इतना ही ढलान है। पहाड़ी पर होने के चलते यहां कई खतरनाक मोड़ है। रास्ते में दो ट्रक खराब होने से जाम की स्थित बनी थी।

छुहिया घाटी में पांच दिन से लगा था जाम, हादसे के बाद खुला।

छुहिया घाटी में पांच दिन से लगा था जाम, हादसे के बाद खुला।

हादसे में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों ने आक्रोश व्यक्त करते हुए कहा कि छुहिया घाटी की जाम समाप्त करने के लिए स्थानीय पुलिस या चौकी के लोग क्या कर रहे थे? आखिर उनके अपने चले गए, तब जाम भी समाप्त हो गया। पिछले पांच दिनों से जाम के चलते ही बस ड्राइवर नहर रूट से निकल रहे थे।
हादसे की एक वजह ब्रेकर भी
प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक जहां हादसा हुआ। वहां एक ब्रेकर पड़ता है। हादसे से पहले ड्राइवर के मोबाइल पर कॉल आया था। एक हाथ से मोबाइल और एक हाथ से स्टेयरिंग संभाल रहा था। ब्रेकर पर संतुलन बिगड़ गया और बस नहर में समा गई। मंगलवार सुबह 7.35 बजे हुए इस हादसे की खबर आठ बजे उनके परिजनों तक पहुंच गई, पर अमले को मौके पर पहुंचने में एक घंटे लग गए।

जबलपुर से आई एसडीआरएफ की टीम ने बस को ढूंढा।

जबलपुर से आई एसडीआरएफ की टीम ने बस को ढूंढा।

प्रशिक्षण के लिए सीधी आई थी एसडीआरएफ की टीम
जबलपुर स्थित स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ) 12 लोगों की एक टुकड़ी सीधी में सोमवार को ही प्रशिक्षण देने आई थी। ये संयोग ही था कि हादसे के वक्त सीधी में एसडीआरएफ की टीम मौजूद थी। हादसे के एक घंटे के अंदर ही टीम पहुंच गई। तब जाकर नहर में डूब गए बस का लोकेशन पता चला। इससे पहले गोताखोर बस की गहराई तक पहुंच ही नहीं पा रहे थे।



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