- Hindi News
- Local
- Mp
- Bhopal
- Bhopal RSS Land Dispute Case; High Court Ordered To Maintain Status Quo, Next Hearing Two Weeks Later
Ads से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप
भोपाल16 मिनट पहले
- कॉपी लिंक
राजदेव कॉलोनी में आरएसएस के केशव निडम भवन और उसके सामने विवादित लगभग 30 हजार वर्गफिट भूमि के कब्जे को लेकर विवाद हो गया था। – फाइल फोटो
- मध्यप्रदेश वक्फ ट्रिब्यूनल में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी दी
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पुराने भोपाल में बैरसिया रोड पर कबाड़ खाने समेत 6.51 एकड़ जमीन पर यथास्थिती बनाए रखने के आदेश जारी किए हैं। इसकी जद में सैकड़ों परिवारों की निजी मालिकाना हक की सम्पत्तियों समेत राजदेव कॉलोनी में आरएसएस के केशव निडम भवन और उसके सामने विवादित लगभग 30 हजार वर्गफिट भूमि समेत आसपास के रिहायशी इलाके प्रभावित हुए हैं। इसी मामले से जुड़े केस में मध्यप्रदेश वक्फ ट्रिब्यूनल में हुई सुनवाई में हाईकोर्ट के आदेश की जानकारी दी गई।

प्रभावित जमीन और विवाद
किस खसरे में कितनी जमीन
वकील जगदीश छावानी ने बताया कि मामले में क्षेत्र की खसरा नंबर 268 में 2.88 एकड़, 338 में 0.55 एकड़, 339 में 2.07 एकड़, 340 में 0.42 एकड़ और 341 में 0.59 एकड़ जमीन है। इस तरह कुल 6.51 एकड़ जमीन को कब्रिस्तान की वक्फ सम्पत्ति होने का दावा किया गया है।
यह है पूरा मामला
राने भोपाल के काजी कैंप के मोहम्मद सुलेमान और मोहम्मद इमरान ने वर्ष 2015 में वक्फ ट्रिब्यूनल में विशंभरदास राजदेव, अमृतपाल सिंह, श्याम नागरानी, मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड, मुतावल्ली कमेटी औकाफे अम्मा, नगर निगम, टीएंडसीपी और शासन के खिलाफ केस लगाकर दावा किया है कि पुराने भोपाल क्षेत्र में कब्रिस्तान की 6.51 एकड़ जमीन को प्लाट काटकर बेचा गया है।
आरोप है कि शासकीय स्तर पर मिलीभगत से जमीन का स्वरुप बदलकर वहां अब रिहायशी कॉलोनी बसा दी गई है। यह वक्फ सम्पत्ति है। इस पर वापस कब्रिस्तान की स्थिती बहाल करने के लिए कोर्ट वहां बने भवनों, मकानों और निर्माण को अतिक्रमण मानकर तोड़ने के आदेश जारी करे और वहां की सेल डीड को शून्य घोषित करे।
वर्ष 2015 में स्टे का आवेदन दिया गया था
विरोधी पक्षकार विशंभरदास ने अपने पक्ष में जमीनों से जुड़े कोर्ट के फैंसलों के रिकार्ड जो मध्यप्रदेश वक्फ बोर्ड से जीतना बताया है। इसके कागजात पेश किए गए। ये आज भी प्रभावी हैं और अंतिम हो चुके हैं। इनमें जमीनों को वक्फ संपत्ति नहीं बल्कि निजी माना है।
इसलिए वक्फ ट्रिब्यूनल को दावा निरस्त करना चाहिए। स्टे की एप्लीकेशन वर्ष 2018 में हो चुकी है। खारिज केस में याचिकाकर्ताओं ने विवादित जमीन पर किसी भी प्रकार के निर्माण, उसके स्वरूप को बदलने पर स्टे का आवेदन भी वर्ष 2015 में दावे के साथ पेश किया था।
ट्रिब्यूनल ने इसे 2 अगस्त 2018 को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि विवादित जगह पर विक्रय पत्र के आधार पर विरोधी पक्षकारों का मालिकाना हक और कब्जा है। नगर निगम से परमिशन लेकर वहां मकान बने हैं। ट्रिब्यूनल के इस आदेश को हाईकोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने चुनौती दे रखी है।
हाईकोर्ट से यथा स्थिति के आदेश
हाईकोर्ट में जस्टिस फहीम अनवर ने लंबित मामले पर सुनवाई के दौरान यथास्थिती के आदेश प्रदान किए। मामला अब दो सप्ताह बाद फिर से सुना जाएगा। फिलहाल हाईकोर्ट की वेबसाइट पर सुनवाई के लिए अगली तारीख अस्थाई तौर पर 5 मार्च होना दर्शाई जा रही है।