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- There Was 272 Acres Of Land, Currently 54 Acres Left, The Land Disappeared From The Ground With Paper,
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इंदौर14 मिनट पहले
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35 साल पहले हुई थी संस्था की रजिस्ट्री
- समय के साथ 218 एकड़ जमीन गायब
- 35 सालो में 85 बार हुए है पॉवर(मुख्तियार नामा )
35 वर्ष पहले जमीन के जादूगरों ने जो जादूगरी शुरू की थी, उस समय दीपक जैन और बॉबी छाबड़ा ने मिलकर देवी अहिल्या श्रमिक कामगार सहकारी संस्था का गठन किया था। जिसके बाद लगभग 272 एकड़ जमीन पर इस सहकारी संस्था में शामिल की गई थी। माफियाओं ने देवी अहिल्या श्रमिक कामगार संस्था को तीन अलग-अलग संस्थाएं बनाएं, जिसमें श्री महालक्ष्मी, पुष्प विहार और अयोध्यापुरी नामक संस्था थी महालक्ष्मी में लगभग 2600 प्लॉट थे जिसमें से 1600 की रजिस्ट्री उस वक्त कर दी गई थी लेकिन 1000 प्लाटों का आज तक पता नहीं चला है।
दैनिक भास्कर के पास 35 वर्ष पहले की वह पहली रजिस्ट्री है जिसमें बालमुकुंद पिता भगवान दास सिद्ध नामक युवक ने किसानों से विकास कार्य हेतु यह जमीन मुख्तियार नामें पर ली थी

पुलिस प्रशासन के चंगुल में फंसा दीपक मद्दा उर्फ दीपक जैन उर्फ दिलीप सिसौदिया असल में अधिकांश सोसायटियों का मास्टर माइंड रहा है। रतलाम से इंदौर आकर शुरुआत में चायपत्ती की दुकान लाने वाले दीपक मद्दा ने पहले मामूली ब्रोकर के रूप में जमीनी कारोबार में प्रवेश किया और चंद वर्षों में ही भूमाफियाओं का सरदार बन बैठा। हिना पैलेस से लेकर एक दर्जन से अधिक गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनें न सिर्फ कबाड़ी, बल्कि अपने नाम भी करवा लीं। यहां तक कि पत्नी के नाम पर बनाई कंस्ट्रक्शन फर्म में भी संस्थाओं की जमीनें शामिल कर लीं।
जमीन घोटाले में ईडी की जांच-
आठ साल पहले प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 60 लाख की धोखाधड़ी के मामले में आरोपी तीन किसानों के बयान के आधार पर देवी अहिल्या गृह निर्माण सोसायटी और त्रिशला गृह निर्माण सोसायटी के तत्कालीन पदाधिकारियों की भूमिका की भी जांच शुरू कर दी थी । मामले में ईडी ने सहकारिता विभाग को पत्र लिखकर दीपक जैन नामक व्यक्ति की साल 2006 या अन्य समय में देवी अहिल्या या अन्य सोसायटी में पद पर रहने की जानकारी मांगी थी। प्रारंभिक जांच में पाया गया था कि दीपक जैन देवी अहिल्या सोसायटी में पद पर नहीं था रहा, लेकिन वह त्रिशला सोसायटी से जरूर जुड़ा हुआ था। तीन किसानों ने जैन के माध्यम से अपनी जमीन का सौदा किया था। ग्राम खजराना स्थित 6.403 हेक्टेयर जमीन का दो बार सौदा करने के मामले में ED दिलावर पटेल, सोहराब पटेल व मोहम्मद इस्लाम पटेल नामक किसानों पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत प्रकरण दर्ज कर चुकी थी । इसी मामले में वह ग्राम छिड़काना व मकोडिय़ा में पटेल परिवार व परिजनों के नाम की 31 एकड़ जमीन मार्च में सीज कर चुका था । किसानों पर आरोप है कि इन्होंने जून 2006 में अपनी जमीन का सौदा पहले देवी अहिल्या सोसायटी से किया था । सोसायटी के तत्कालीन अध्यक्ष रणवीरसिंह सूदन से 20-20 लाख के चेक के जरिये राशि भी ले ली, लेकिन बाद में जमीन का सौदा त्रिशला सोसायटी से कर जमीन बेच दी। देवी अहिल्या सोसायटी से लिए गए 60 लाख से इन्होंने छिड़काना व माकोडिय़ा में खुद व परिजनों के नाम 31 एकड़ जमीन खरीद ली थी।

2016 में मामला एसटीएफ को सौंपने की थी तैयारी–
राज्य सरकार घोटालेबाज सहकारी गृह निर्माण संस्थाओं की जांच एसटीएफ को सौंपने की तैयारी कर रही थी । सहकारिता आयुक्त ने ऐसी संस्थाओं की सूची मांगी थी । इंदौर में ऐसी 56 संस्थाओं की पहचान की गई जिनमें गंभीर अनियमितताएं हुई थी।
इन हाउसिंग संस्थाओं की हुई थी पहचान– देवी अहिल्या श्रमिक कामगार, नवभारत, मां सरस्वती, गांधी नगर, हरियाणा हाउसिंग, विकास अपार्टमेंट, सर्वानंद, जागृति, आकाश, जनकल्याण, कष्ट निवारक, श्रीराम, न्याय विभाग, वेदमाता गायत्री, डाकतार कर्मचारी, श्रीयंत्र, मजदूर पंचायत, कर्मचारीगण, संवाद नगर, मयूर, शांति नगर, नवलखा श्रमिक, सुविधा, कविता, टेलीकॉम, गजानंद, महात्मा गांधी, वीर सावरकर, विक्रय कर अल्प आय कर्मचारी चतुर्थ श्रेणी, कर्मचारी एवं मित्र बंधु, ग्रीनपार्क, सविता, शुभलक्ष्मी, उमंग, बिहार, प्रशांत, मां पीताम्बरा हाउसिंग सोसायटी, शिक्षक नगर, सुकल्या ग्राम, शीतलेश्वर, विजयश्री, गीतानगर, कालिंदी, कसेरा, दि सिंध, शर्मदा, लक्ष्मण नगर, मालवीय नगर पर्यावरण सुधार, वैभवनगर, संगीता गृह निर्माण, कमला नेहरू, नंदानगर, तिरुपति अपार्टमेंट, इंदौर विकास, बसंत विहार और अमृता हाउसिंग को-ऑपरेटिव सोसायटी।