दीक्षांत समारोह: 80 साल की उम्र डॉक्टरेट की डिग्री लेकर बता दिया कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं, राज्यपाल ने उपाधि देकर किया सम्मानित

दीक्षांत समारोह: 80 साल की उम्र डॉक्टरेट की डिग्री लेकर बता दिया कि पढ़ने की कोई उम्र नहीं, राज्यपाल ने उपाधि देकर किया सम्मानित


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उज्जैन6 मिनट पहले

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दीक्षांत समारोह में 80 साल की शशिकला रावल को पीएचडी की उपाधि देतीं महामहिम आनंदीबने पटेल

उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय में शनिवार को 24वें दीक्षांत समारोह में कुलाधिपति/राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने मेधावियों को पीएचडी व गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। माधव भवन के स्वर्ण जंयती हॉल में आयोजित कार्यक्रम में राज्यपाल ने उपाधि बांटने के बाद विद्यार्थियों को कर्तव्य एवं निष्ठा की शपथ दिलाई। उन्होंने 80 साल की उम्र में शशिकला रावल को डॉक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया। श्रीमती रावल ने संस्कृत भाषा में ‘बृहत्संहिता के दर्पण में सामाजिक जीवन का बिम्ब’ विषय पर शोध किया है। दीक्षांत समारोह में राज्यपाल ने 239 को पीएचडी, 69 स्नातकोत्तर और 34 स्नातक छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल से सम्मानित किया। दीक्षांत समारोह में आने से पहले महामहिम ने बाबा महाकाल के दरबार में माथा टेका। दीक्षांत समारोह को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के चेयरमैन डॉ डीपी सिंह, मध्यप्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक पारसचंद जैन समेत कई संभ्रांत लोग मौजूद रहे।

दीक्षांत समारोह को संबोधित करतीं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल

दीक्षांत समारोह को संबोधित करतीं कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल

माता-पिता का जीवन भर सम्मान करें, उन्हें कभी दु:खी न करें

समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि याद रखिए, आपके माता-पिता ने बहुत कष्ट झेलकर आपको पढ़ाया-लिखाया है। इसलिए माता-पिता का सम्मान करो। बड़े होने पर बच्चों के स्वतंत्र विचार हो जाते हैं। जिंदगी में कभी परिजनों को दुखी नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया कि आजादी के आंदोलन में कई लोग फांसी के फंदे पर चढ़े। सबका उद्देश्य था कि देश आजाद हो।

संकल्प लें कि न दहेज लेंगे न देंगे

उन्होंने बताया कि एक बार वह एक जेल का निरीक्षण करने पहुंची थीं। वहां पर 350 महिलाएं बंद थीं। मैने पूछा- आपने ऐसा क्या किया कि आप लोगों को यहां रहना पड़ रहा है। सबका एक ही जवाब था। बहू को मार दिया था। क्यों? बहू दहेज नहीं लाई तो मार दिया। फिर मैंने पूछा कि दहेज मिला। तो जवाब आया कि नहीं मिला। मैंने फिर पूछा कि दहेज के बदले क्या मिला। उन लोगों ने बताया कि जेल मिली। इसलिए आप लोग संकल्प लें कि न तो दहेज लेंगे और न ही देंगे।

लड़कियों की सारक्षता दर पर ध्यान देने की जरूरत

महामहिम राज्यपाल ने कहा कि शिक्षण में समानता आवश्यक है। छात्रों व उनके अभिभावकों से सामाजिक सरोकार करने के लिए कहा। नई शिक्षा नीति नई दिशा देगी। जो छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं, वो छूटी हुई पढ़ाई को फिर से शुरू कर सकते हैं। बेटियां आगे बढ़ गईं हैं, जरूरत यह देखने की है कि कितनी छात्राएं कॉलेज पहुंचीं। लड़कियों के साक्षरता दर पर भी ध्यान देने की जरूरत है। शिक्षा का सही मायने तब है जब उसे बुराई के सामने झुकना ना पड़े। उन्होंने यह भी कहा कि लड़कियों को प्रत्येक 15 दिन में हीमोग्लोबिन की जांच अवश्य करानी चाहिए। यह लड़कियां आगे चलकर मां बनेंगी। इसलिए खून की कमी न हो इसलिए जांच जरूरी है।

पीएचडी की डिग्री से सम्मानित हुए शोधार्थी

पीएचडी की डिग्री से सम्मानित हुए शोधार्थी

शिक्षिका थी इसलिए पढ़ने का जुनून कभी कम नहीं हुआ- रावल

ऋषिनगर में रहने वाली शशिकला रावल के नाम के आगे अब डॉ शशिकला रावल लिखा जाएगा। शनिवार तक वह शशिकला रावल थीं। रविवार से उन्हें डॉ शशिकला रावल बुलाना होगा। 80 साल की उम्र में श्रीमती रावल को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने पीएचडी की उपाधि दी। सराफा गर्ल्स हायर सेकेंड्री स्कूल में वर्ष 2002 मंें इंग्लिश लेक्चरर पद से रिटायर रावल ने उज्जैन के पाणिनी संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ मिथिलेश प्रसाद त्रिपाठी के मार्गदर्शन में ‘बृहत्संहिता के दर्पण में सामाजिक जीवन का बिम्ब’ विषय पर शोध किया है। उन्होंेने बताया कि शोध में उन्होंने वाराहमिहिर और विक्रमादित्य के जमाने की सामाजिक जीवन शैली की तुलना आज के सामाजिक परिवेश से की है। वाराहमिहिर के समयकाल में अंधविश्वास ज्यादा था। उस काल के उद्योग धंधे, पशुपालन किस तरह का था, इन सभी विषयों पर शोध किया है। उन्होंने कहा कि प्रगति के लिए जरूरी है कि जीवन में निरंतरता बनी रहे। रुका हुआ समाज विकास नहीं करता। युग के अनुसार परिवर्तन होते रहते हैं।

दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल से सम्मानित होने के बाद पदक दिखाते छात्र-छात्राएं

दीक्षांत समारोह में गोल्ड मेडल से सम्मानित होने के बाद पदक दिखाते छात्र-छात्राएं

इन्हें मिला गोल्ड मेडल

मयूरी सुनहरे को दो विषयों में स्वर्ण पदक मिला। मयूरी ने बीई (इलेक्ट्रिकल) किया है। उन्हें पहला गोल्ड मेडल उन्हें ब्रांच में टॉप करने पर और दूसरा विश्वविद्यालय में टॉपर बनने पर मिला। रुपाली खांडेकर ने बीएड प्लेन में यूनिवर्सिटी में टॉप किया है। भगवती प्रसाद शर्मा को बीए ऑनर्स (इतिहास), संभव वाजपेयी को बीए ऑनर्स (राजनीति शास्त्र), जय निहोरे को बीई (मैकेनिकल), महिमा सोनी को बीएससी (प्लेन), साक्षी शुक्ला को बीए, दिव्या सोनी को एमएससी (गणित), रिया चौहान को एमएससी (रसायन शास्त्र), रुचिका खराड़ी को एमएससी (सांख्यिकी), पूजा सेठिया को एमएससी (जियोलॉजी), मयूरी सोनर को एमएससी (ड्रग एंड फार्मा), शीतल माली को एमएससी (जूलॉजी) में विश्वविद्यालय में टॉप करने पर गोल्ड मेडल से नवाजा गया।

अपने-अपने विषयों के गोल्ड मेडल से सम्मानित छात्राएं

अपने-अपने विषयों के गोल्ड मेडल से सम्मानित छात्राएं

इसी तरह से दिव्या पाटिल को एमएससी (माइक्रो बॉयोलॉजी), दिव्या जैन को एमएससी (बॉयो टेक्नोलॉजी), कृति सिरोहिया को एमएससी (माइक्रो एप्लाइड बॉयोलॉजी), शाहिना अफसाना को एमबीए, अरविंद सिंह को एमएड़, आरती आर्या को एमएससी (कम्प्यूटर साइंस), जितेंद्र कारपेंटर को एमए (ड्राइंग), हर्षिता खत्री को एमए (अर्थशास्त्र), उर्वशी सोलंकी को एमए (पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन), खुश्बू बेग को एमए (राजनीति शास्त्र), किरण बिलोनिया को एमए (समाजशास्त्र) जरीना बी को एमए (उर्दू), अंजली जोशी को एमए (संस्कृत), फौजिया कुरैशी को एमए (इंग्लिश लिट्रेचर) में यूनिवर्सिटी में टॉप करने पर स्वर्ण पदक से सम्मानित किया गया। डॉ अनुराधा बैरागी को संस्कृत भाषा में त्रिवर्ग साधनम् नाट्यम विषय पर शोध करने पर पीएचडी की उपाधि मिली। स्वर्ण जयंती सभागृह माधव भवन में आयोजित दीक्षांत समारोह में 2018 व 2019 के पीएचडी/डी लिट उपाधि धारकों (1 जनवरी से 31 दिसंबर) और 2018 व 2019 की स्नातक अभ्यर्थियों को केवल स्वर्ण पदक प्रदान किए गए। इस बार मानद उपाधि नहीं दी गई।

दीक्षांत समारोह से पहले महामहिम राज्यपाल विश्वविद्यालय कार्यपरिषद सदस्यों के साथ।

दीक्षांत समारोह से पहले महामहिम राज्यपाल विश्वविद्यालय कार्यपरिषद सदस्यों के साथ।

राज्यपाल ने इस अवसर पर द विक्रम जर्नल ऑफ साइंस एंड लाइफ साइंस और इयरली न्यूज लेटर स्कूल ऑफ स्टडीज इन फिजिक्स नामक दो पुस्तकों का विमोचन किया।



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