भोपाल निर्भया कांड में पुलिस का गवाह: चलती बाइक से उसने छात्रा और आरोपी को नीचे गिरते देखा था; फिर पुलिस को क्यों नहीं बताया, इस पर उठ रहे सवाल

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भोपाल44 मिनट पहलेलेखक: अनूप दुबे

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मामले में गवाह के आने के बाद इस पूरे मामले में नया मोड़ आ गया है।

  • पुलिस का तर्क जैसा लड़की ने बताया वैसी ही FIR की
  • सभी संदिग्धों के पूछताछ के बाद ही आरोपी मिला पाया

भोपाल के कोलार इलाके में इवनिंग वॉक के दौरान हैवानियत का शिकार बनी छात्रा के मामले में पुलिस की कहानी सवालों में घिरती जा रही है। इसमें कई किरदार भी हैं। कई पहलू भी और उलझते सवाल भी हैं। पुलिस का तर्क है कि छात्रा के बताए अनुसार ही पूरी FIR और कार्रवाई की गई।

संदिग्धों को बुलाकर उनसे पूछताछ तक की गई, तब जाकर असली आरोपी हाथ लगा। फिर घटना को लेकर एक गवाह भी सामने आ गया, जिसने छात्रा को आरोपी के साथ पुलिया के नीचे गिरते देखा था। लेकिन उसने उस दिन ना तो मदद की और ना ही पुलिस को सूचना दी। मगर अब वह इस पूरी घटना का मुख्य गवाह बन गया है। गवाह के आने से अब इस पूरे मामले में कई सवाल खड़े हो गए हैं

इस तरह समझे पूरा मामला पुलिस के अनुसार
कोलार पुलिस का कहना है कि 16 जनवरी की रात 23.55 बजे एम्स अस्पताल से कॉल आया। छात्रा के घायल होकर अस्पताल पहुंचने की सूचना दी थी। कोलार थाने के पुलिस अधिकारी ने अस्पताल से मिली सूचना के आधार पर सबसे पहले घटनास्थल का मौका मुआयना किया, लेकिन उन्हें कुछ नहीं मिला। एम्स अस्पताल गए, जहां डॉक्टरों ने बताया कि छात्रा अभी दवाई लेने के बाद सो रही है। बेहतर होगा कि वे सुबह 6 बजे आकर छात्रा से पूछताछ करें। पुलिस अधिकारी उसके बाद थाने आ गए और सुबह 6 बजे दोबारा अस्पताल पहुंचे।

छात्रा का कहना था कि वह करीब 7:30 से 8 के बीच में टहलते हुए हॉस्टल की तरफ जा रही थी। तभी पुलिया के पास एक मनचला आया और उसे धक्का देते हुए पुलिया के नीचे गिरा दिया। उसने उस पर पत्थर भी बरसाए और उसके साथ बदसलूकी की।

उसकी चीख-पुकार सुनकर कुछ लोग आ गए, तब तक आरोपी वहां से भाग चुका था। उसकी पीठ में बहुत ज्यादा चोट थी। इसलिए उसने मौके से ही अपनी मां को फोन लगाया। सबसे पहले वे एक प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराने गए, लेकिन उसके बाद एम्स अस्पताल चले गए।

आखिर पीड़िता को आरोपी पर संदेह क्यों?
इधर पीड़िता का कहना है कि पुलिस ने जिस आरोपी को पकड़ा है, वह असली नहीं है। उसका कहना है कि उसे संदेह है कि पुलिस ने मुख्य आरोपी को बचा लिया। इस पर पुलिस का कहना है कि छात्रा और उसकी मां के बताए दो संदिग्ध लड़कियों से पूछताछ की।

पुलिस ने कहा- जिन पर छात्रा को शक, उनमें कोई बातचीत नहीं
दोनों लड़कियों के बीच बीते 4 साल में कभी फोन पर बात नहीं हुई। दोनों अलग-अलग रहती हैं। एक हॉस्टल में रहती है, जबकि दूसरी प्राइवेट फ्लैट में रहती है। जिस लड़की के बारे में बताया जा रहा है, उसके भाई वारदात की रात भोपाल आए थे। उन्होंने होटल में खाना खाया। नर्सरी से पौधे खरीदे। उसके बाद वह भोपाल से चंडीगढ़ के लिए रवाना हो गए। पुलिस ने उन सभी को बुलाया था। उनसे पूछताछ की। उनके बयानों के आधार पर ही तफ्तीश की गई। पुलिस का दावा है कि उनके बयान सही पाए गए। होटल के सीसीटीवी फुटेज, नर्सरी समेत सभी जगह से उनके वहां होने की पुष्टि हुई। सबसे बड़ा सवाल जिन पर आरोप लग रहा हैं उनका छात्रा और उसकी मां से किसी तरह का कोई संपर्क नहीं है।

आरोपी के पकड़े जाने से सवाल खड़े हुए

इस पूरी कहानी में छात्रा के साथ हैवानियत करने वाले आरोपी की 8 फरवरी को गिरफ्तारी के बाद नया मोड़ आ गया। यह गिरफ्तारी पुलिस ने अचानक मिले गवाह के आधार पर की। गवाह का कहना था कि उसने आरोपी को देखा था। वह इलाके का बदमाश है। उस पर कई मामले हैं। इसलिए वह पहले से उसे जानता था। इसी आधार पर पुलिस ने उसे पकड़ा था।

इनके जवाब नहीं पुलिस के पास

  • वारदात छात्रा के साथ हुई तो फिर मां से आरोपी का हुलिया क्यों पूछा जा रहा?
  • पुलिस का गवाह अगर बदमाश को जानता था, तो उसने तत्काल पुलिस को सूचना क्यों नहीं दी और लड़की की मदद क्यों नहीं की?
  • आखिर गवाह इतने दिन तक क्यों चुप रहा?
  • आरोपी के पीछे से आने के बाद भी गवाह ने आरोपी का चेहरा किस तरह देख लिया?
  • पुलिस ने एसआईटी की टीम में अवकाश पर गए SI को क्यों शामिल किया?
  • अब तक पुलिस वारदात के मकसद को क्यों नहीं बता पा रही है?
  • आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस हमेशा सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करती है, लेकिन इस मामले में सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक ना करने का मुख्य कारण क्या है?



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