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खजुराहो4 घंटे पहले
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- समाराेह की दूसरी शाम माेहनी अट्टम, सत्रिया अाैर अाेडिसी नृत्य की प्रस्तुतियां दी गईं
47वें नृत्योत्सव की दूसरी शाम 3 नृत्य प्रस्तुतियां हुईं। पश्चिम मंदिर समूह के कंदारिया महादेव मंदिर और देवी जगदंबा मंदिर के मध्य मुक्ताकाशी मंच पर ऐश्वर्या वारियर ने मोहनी अट्टम, मीरा नंदा वारठाकुर ग्रुप ने सत्रिया और कथक की युगल प्रस्तुति दी, वहीं अंतिम चरण में अरुणा मोहंती ने ओडिसी नृत्य की मनभावन प्रस्तुति दी।
पहली प्रस्तुति ऐश्वर्या वारियर की रही, उन्होंने ‘‘गणपति काप’’ नाम की प्रस्तुति के माध्यम से मोहिनी अट्टम शैली में गणेश स्तुति कर नृत्य प्रदर्शन किया। यह नृत्य “राग कुरंजी रागम’’ एवं “ताल मालिका’’ में निबद्ध था। ऐश्वर्या वारियर ने दूसरी प्रस्तुति “पदम कनगमयम’’ की दी। यह महाराजा स्वाति त्रिनाल की रचना पर आधारित थी। जो उत्सव प्रबंधम के अंतर्गत स्वर्ण मूर्ति मंदिर में ही कमल वाहन पर निकलती हैं।
जिसकी भव्यता देख दो सखियां हतप्रभ हैं। वह आपस में कहती हैं कि आखिर ये कौन हैं जो इतने सुंदर हैं, ये इंद्र हैं, सूर्य हैं, चंद्र हैं, शिव हैं या कुबेर हैं, पर इनमें से ये कोई नहीं हैं। इसका जीवंत चित्रण ऐश्वर्या ने मोहिनी अट्टम शैली में खूबसूरत अभिनय को समाहित कर नृत्य के माध्यम से किया।

सत्रिया और कथक की युगल प्रस्तुति खूब भायी
दूसरे चरण में मीरा नंदा वारठाकुर के समूह ने अपने युगल नृत्य में सत्रिया एवं कथक नृत्य को अपनी-अपनी शैली में पेश किया और खूब तालियां बटोरीं। उन्होंने युगल नृत्य शैली में “त्रिदेव वंदना’’ से नृत्य का शुभारंभ किया। जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, महेश की भाव भंगिमाओं को सुंदर तरीके से चित्रण किया एवं सत्रिया नृत्य और कथक के पारंपरिक-शुद्ध नृत्य का शानदार मिश्रण था।
भज राधे गोविंद- भज राधे गोविंद
तीसरी और अंतिम प्रस्तुति अरुणा मोहंती और समूह ने ओडिसी शैली में अपनी प्रस्तुति “समासरा’’ से की। जब नृत्यांगना मंदिर के प्लेट फार्म से “भज राधे गोविंद- भज राधे गोविंद’’ भजन की स्वर लहरी के साथ नृत्य मुद्रा में मुक्ताकाशी मंच पर प्रकट हुईं तो एक पल को लगा मानों साक्षात मीरा बाई अवतरित हो गईं। इस सुखद अनुभूति पर कलाप्रेेमी मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने दूसरी प्रस्तुति की शुरूआत “नदारे’’ से की। जिसमें राधा कृष्ण के प्रेम प्रसंग और कृष्ण की बांसुरी पर राधा मोहित हो जाती हैं।
इस प्रसंग का नृत्यांगना ने नृत्य के माध्यम से शानदार चित्रण किया। “नारी’’ में दिखा सीता और द्रोपदी का युगल रूप : अरुणा ने अपनी तीसरी प्रस्तुति “नारी’’ दी, जिसमें रामायण एवं महाभारत के सीता और द्रोपदी के प्रसंगों के मन मोहने वाले भाव पक्ष से ओत प्रोत नृत्य प्रदर्शन था। जिसे दर्शकों ने खूब सराहा।
यह दुनिया सबसे बड़ा नृत्योत्सव: गीता चंद्रन
नृत्य महोत्सव के दूसरे दिन भरतनाट्यम की ख्याति प्राप्त नृत्यांगना पद्मश्री गीता चंद्रन ने कहा कि खजुराहो नृत्योत्सव दुनिया का सबसे बड़ा नृत्योत्सव है। सभी शास्त्रीय नृत्यकारों का सपना होता है कि ईश्वर उन्हें एक बार खजुराहो नृत्योत्सव में भाग लेने का अवसर दे। पद्श्री गीता चंद्रन ने कहा कि मैं यहां पहले भी आई और अपनी नृत्य प्रस्तुति दी। लेकिन इस बार मैं बहुत ही भाव विभोर हूं। उन्होंने कहा कि मंदिर परिसर के अंदर, मंदिर के प्लेट फार्म से नृत्य मुद्राओं के साथ मंच पर आने की सुखद अनुभूति कभी नहीं भूलूंगी। नैपथ्य एक सराहनीय पहल, लोग समझा सकेंगे गीता चंद्रन ने यहां भरतनाट्यम के इतिहास कॉस्ट्यूम वाद्य आदि को लेकर नैपथ्य को बहुत ही सराहा। नैपथ्य की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से दर्शक भरत नाट्यम और शास्त्रीय नृत्य को समझ सकेंगे।