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इंदौर10 मिनट पहले
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कलेक्टर ने प्रेस कांफ्रेस कर किया था खुलासा
भूमाफिया दीपक जैन उर्फ दीपक मद्दा के खिलाफ कलेक्टर ने रासुका की कार्रवाई तो कर दी है, लेकिन अब उसके द्वारा किए गए जमीन के खेल धीरे-धीरे सामने आ रहे हैं। दीपक ने गृह निर्माण संस्थाओं के साथ प्राधिकरण की योजनाओं में भी अपनी पैठ जमा रखी थी। उसने अनुबंधित संस्थाओं की जमीनों में भी जमकर खेल खेला है। स्कीम नंबर – 140, 171 से लेकर अन्य योजनाओं में शामिल जमीनों को भी उसने सुनियोजित तरीके से अपने कब्जे में लेने के लिए कई जमीनों पर पॉवर ऑफ अटार्नी लेकर प्राधिकरण में आवेदन लगा दिए थे। कर्मचारी गृह निर्माण के 88 भूखंडों पर तो वह सालों तक पैर जमाने की कोशिश करता रहा। स्कीम नंबर 140 में तो 500 करोड़ रुपए से अधिक के भूखंडों पर उसने करीब-करीब डकैती डाल ही दी थी।
गृह निर्माण संस्थाओं पर कब्जा जमाने वाले भूमाफियाओं के खिलाफ पुलिस-प्रशासन ने मुहिम शुरू की है। इसी कड़ी में दीपक मद्दा सहित सुरेन्द्र-प्रतीक संघवी सहित 18 के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई गई है। पुलिस ने फरार आरोपियों पर 10-10 हजार रुपए का इनाम भी घोषित किया है। गृह निर्माण संस्थाओं की जमीनों पर तो दीपक जैन ने डाके डाले ही। कई जमीनों को अपने नाम करवाने के साथ-साथ पत्नी के नाम से बनाई समता कंस्ट्रक्शन और अन्य फर्मों में भी उसे दिखा दिया।
इतना ही नहीं, इंदौर विकास प्राधिकरण को भी चूना लगाने में दीपक मद्दा पीछे नहीं रहा। कुछ वर्ष पूर्व प्राधिकरण में काबिज भाजपा के राजनीतिक बोर्ड के पदाधिकारियों के साथ सांठगांठ कर योजना 140 में रिजर्व में रखे सैकड़ों भूखंडों की लूट का प्लान बना डाला। दरअसल, प्राधिकरण ने इन योजनाओं में शामिल कई संस्थाओं के साथ सालों पहले संकल्प 9 और अन्य के तहत अनुबंध किए। वहीं, नकद मुआवजा देने के बदले 20 प्रतिशत विकसित भूखंड के भी अनुबंध कुछ संस्थाओं के साथ किए, मगर योजना 140 में चूंकि प्राधिकरण के पक्ष में कलेक्टर कार्यालय से अवॉर्ड पारित हो चुका था, बावजूद इसके दीपक मद्दा ने 20 प्रतिशत विकसित भूखंड पाने का प्लान बनाया और एक भू-धारक नानूराम जामले की याचिका को आधार बनाकर उसकी पॉवर ऑफ अटार्नी ले ली और 20 प्रतिशत विकसित भूखंड, जो 500 करोड़ रुपए मूल्य के होते हैं, कबाडऩे के प्रयास किए।
लेकिन भास्कर ने दीपक मद्दा के इस पूरे खेल का भंडाफोड़ कर दिया और लाख चाहकर भी प्राधिकरण के अधिकारी और राजनीतिक बोर्ड के पदाधिकारी उसे भूखंड नहीं दे पाए, लेकिन कर्मचारी गृह निर्माण से लेकर योजना 171 में शामिल मजदूर पंचायत सहित संस्थाओं की जमीनों में भी सालों से दीपक मद्दा सुनियोजित खेल करता रहा है। कर्मचारी गृह निर्माण संस्था में 88 भूखंडों को फिर से कबाडऩे के प्रयास पिछले दिनों शुरू किए गए, जिसके चलते प्राधिकरण की ओर से सहकारिता विभाग को पत्र भी लिखा गया। जिसमें कर्मचारी गृह निर्माण संस्था की नए सिरे से वरीयता सूची बनाने को कहा गया। यह भी उल्लेखनीय है कि कर्मचारी गृह निर्माण में 80 से अधिक फर्जी सदस्यों को बनाकर भूखंड आवंटन करवाने का षड्यंत्र दीपक मद्दा रचता रहा, जिसकी शिकायत लोकायुक्त में भी की गई थी।
140 के बेशकीमती भूखंडों पर दीपक मद्दा द्वारा डाली जाने वाली डकैती का भंडाफोड़ किया गया तो तत्कालीन कलेक्टर पी. नरहरि ने जहां इस प्रकरण से संबंधित फाइलों की जांच करने की बात कही। वहीं, तत्कालीन निगमायुक्त और वर्तमान कलेक्टर मनीष सिंह ने कहा कि वे अगली बोर्ड बैठक में इस प्रस्ताव के खिलाफ अपनी लिखित आपत्ति दर्ज करवाएंगे। दरअसल, प्राधिकरण अफसरों और राजनीतिक बोर्ड ने दीपक मद्दा के साथ सांठगांठ कर संकल्प पारित करवा लिया था, लेकिन उसकी पुष्टि जब अगली बैठक में होना थी, तब मनीष सिंह ने लिखित में पत्र भेजकर अपनी आपत्ति दर्ज करवा दी। इसके चलते वह लाख चाहकर भी प्राधिकरण इस खेल को अंजाम नहीं दे सका, अन्यथा योजना 140 के 20 प्रतिशत विकसित भूखंड दीपक मद्दा सहित अन्य माफियाओं को मिल जाते।
तब प्राधिकरण के अफसरों और राजनीतिक बोर्ड के पदाधिकारियों ने नए भूमि अधिग्रहण कानून का हवाला देकर यह साबित करने की कोशिश की कि प्राधिकरण अगर 20 प्रतिशत विकसित भूखंड नहीं देगा तो उसे पूरी योजना की जमीन ही गंवाना पड़ सकती है। लेकिन बाद में जब सुप्रीम कोर्ट ने 198 पेज का ऐतिहासिक फैसला दिया, जिसमें धारा 24 (2) का लाभ अवॉर्ड पारित जमीनों को नहीं मिलने की बात कही, साबित हुआ और प्राधिकरण को 500 करोड़ रुपए से अधिक की चपत लगने से भी बची, जिसका खेल दीपक मद्दा ने शुरू किया था। प्राधिकरण योजना 140 सहित अन्य योजनाओं में शामिल जमीनों को इस आदेश के चलते बचाने में सफल हुआ, अन्यथा धारा 24 (2) की गलत व्याख्या कर भूमाफिया सुनियोजित डकैती डालने में जुटा था।