Jabalpur News : अब माइक्रो वेव पर हैलो अल्फा चार्ली 1…2…3, दुश्मन ट्रैक नहीं कर पाएगा सेना का संदेश

Jabalpur News : अब माइक्रो वेव पर हैलो अल्फा चार्ली 1…2…3, दुश्मन ट्रैक नहीं कर पाएगा सेना का संदेश


अभी तक सेना ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी के ज़रिए संदेश भेजती है.(फाइल फोटो)

Jabalpur – फ्रंट लाइन पर तैनात रहने वाले आईटीबीपी (ITBP) के जवानों के बीच होने वाली बातचीत अब जल्द माइक्रोवेव टावर के ज़रिए होगी.

जबलपुर.देश की सरहदों पर वॉइस कम्युनिकेशन का अब एक नया सिस्टम लागू होने जा रहा है.देश की सेना (Army) को जल्द माइक्रो वेव सिस्टम (Micro wave system) मिलने जा रहा है. ये सिस्टम लगने के बाद दुश्मन कभी भी आर्मी की वॉइस कमांड को ट्रैक नहीं कर पाएगा.देशभर के चुनिंदा सैन्य अफसरों की ट्रेनिंग आज से जबलपुर में शुरू हो गयी है.

अब तक ऑप्टिकल फाइबर टेक्नोलॉजी पर काम कर रही देश की सेना को जल्द माइक्रो वेव सिस्टम मिलने जा रहा है.इसकी ट्रेनिंग जबलपुर के भीमराव अंबेडकर इंस्टिट्यूट ऑफ टेलीकॉम ट्रेनिंग में आज से शुरू हुई है. सबसे पहले आइटीबीपी को इस नई और आधुनिक कम्युनिकेशन तकनीक की ट्रेनिंग दी जा रही है.खास बात यह है कि इस नए माइक्रोवेव टेक्नोलॉजी के माध्यम से जवान हेलो अल्फा चार्ली 1-2 तो कहेंगे लेकिन दुश्मन तक उनकी आवाज़ नहीं पहुंच पाएगी. दुश्मन को इस बात की जरा भी भनक नहीं होगी कि आखिर भारतीय सेना क्या रणनीति बनाते हुए उसे घेरने जा रही है.भारत के पाकिस्तान और चीन से लगे सभी इलाकों में ये कम्युनिकेशन सिस्टम नए प्लेटफार्म पर शिफ्ट होने जा रहा है.

ऑप्टिकल फाइबर और मोबाइल कम्युनिकेशन अब पुरानी बात
फिलहाल ऑप्टिकल फाइबर और मोबाइल कम्युनिकेशन सिस्टम के माध्यम से सरहदों पर सैनिक संदेश का आदान-प्रदान करते हैं. लेकिन जल्द ही यह सिस्टम माइक्रोवेव के रूप में बदल दिया जाएगा. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि माइक्रोवेव के जरिए होने वाले कम्युनिकेशन को किसी भी हाल पर ट्रैक करना असंभव है.आज देश भर के चुनिंदा सैन्य अफसरों की ट्रेनिंग की शुरुआत जबलपुर के इस ट्रेनिंग सेंटर में शुरू हुई है. इस सिस्टम के माध्यम से गोपनीयता बनाई जा सकेगी और सेना की रणनीति के बारे में किसी को भनक भी नहीं लग सकेगी.

फ्रंट लाइन पर तैनात रहने वाले आईटीबीपी के जवानों के बीच होने वाली बातचीत अब जल्द माइक्रोवेव टावर के ज़रिए होगी.इस सिस्टम पर किस तरीके से काम किया जाएगा और उसे किस तरीके से दुरुस्त किया जाएगा यह तमाम जानकारियां इस ट्रेनिंग में दी गयीं. ये ट्रेनिंग दो सप्ताह तक चलेगी.








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