डे-नाइट का सबसे कम स्कोर हमारे ही नाम
हमसे पहले पिंक बॉल से 8 देश डे-नाइट खेल चुके थे. इनमें ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, पाकिस्तान, विंडीज, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड, श्रीलंका और जिम्बाब्वे शामिल थे. आईसीसी से पूर्ण सदस्य पाने वाले देश की टेस्ट खेलते हैं. अभी 12 देश को टेस्ट खेलने की मान्यता है. यानी एक तिहाई देश के पिंक बॉल से टेस्ट खेलने के बाद हमने इसे अपनाया. इस कारण टीम को कठिनाई भी होती है. ऑस्ट्रेलिया में पिछले साल दिसंबर में हमने पिंक बॉल से टेस्ट खेला था. दूसरी पारी में टीम सिर्फ 36 रन बनाकर ऑलआउट हो गई थी. यह डे-नाइट टेस्ट का किसी भी टीम का सबसे कम स्कोर है.
ऑस्ट्रेलिया हमसे चार गुना अधिक पिंक बॉल टेस्ट खेल चुका हैअब तक 10 देश पिंक बॉल से टेस्ट खेल चुके हैं. सिर्फ आयरलैंड और अफगानिस्तान को ही डे-नाइट टेस्ट खेलने का मौका नहीं मिला है. ऑस्ट्रेलिया ने सबसे ज्यादा 8 जबकि बांग्लादेश-जिम्बाब्वे ने सबसे कम 1-1 डे-नाइट टेस्ट खेले हैं. वहीं टीम इंडिया ने दो टेस्ट खेला है. यानी ऑस्ट्रेलिया की टीम डे-नाइट टेस्ट खेलने के मामले में हमसे चार गुना आगे है. आज भारतीय क्रिकेट बोर्ड यानी बीसीसीआई दुनिया का सबसे अमीर बोर्ड है. इसके बाद भी हम बदलाव करने या नई विधा को अपनाने में कई देशों से पीछे हैं. आपको यदि यह फॉर्मेट खेलना है तो अपने खिलाड़ियों को जल्द से जल्द इसमें ढालना होगा. पाकिस्तान ने चार जबकि इंग्लैंड, न्यूजीलैंड, श्रीलंका, विंडीज ने 3-3 पिंक बाॅल टेस्ट खेले हैं. दक्षिण अफ्रीका ने दो टेस्ट खेले हैं.
टेस्ट, वनडे और टी20 भी टीम इंडिया ने देर से खेलना शुरू किया
अब तक कुल 15 डे-नाइट टेस्ट हुए हैं और सभी के परिणाम आए हैं. ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा 8 पिंक बॉल टेस्ट हुए हैं. यूएई में दो जबकि इंग्लैंड, भारत, न्यूजीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, विंडीज में 1-1 डे-नाइट टेस्ट हो चुका है. इतना ही नहीं टीम इंडिया ने टी20, वनडे और टेस्ट खेलने की शुरुआत भी अन्य टीमों के मुकाबले देर से की. पहला टी20 इंटरनेशनल फरवरी 2005 में ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के बीच हुआ जबकि हमने पहला टी20 दिसंबर 2006 में खेला. इसी तरह वनडे का पहला इंटरनेशनल मैच 5 जनवरी 1971 को ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड के बीच खेला गया. टीम इंडिया ने पहला इंटरनेशनल वनडे जुलाई 1974 में खेला. यानी लगभग साढ़े तीन साल बाद. वहीं टेस्ट की शुरुआत 1877 को हो गई थी. हमने पहला टेस्ट 1932 में खेला. यानी लगभग 35 साल बाद.
ऑस्ट्रेलिया बदलाव में आगे, इसलिए सबसे सफल टीम भी वही
ऑस्ट्रेलिया खेल की नई विधा को सबसे पहले अपनाती है. इस कारण वह आज दुनिया की सबसे सफल टीम भी है. तीनों फॉर्मेट की बात की जाए तो उसने 1921 मैच में से 1042 मुकाबले जीते हैं. यानी लगभग 54 फीसदी. ऑस्ट्रेलिया तीनों फॉर्मेट में 1000 से अधिक मैच जीतने वाली दुनिया की इकलौती टीम भी है. वहीं टीम इंडिया के तीनों फॉर्मेट के रिकॉर्ड को देखें तो हमने 1675 में से 759 मैच जीते हैं. यानी 45 फीसदी. यानी हम जीत प्रतिशत के मामले में ऑस्ट्रेलिया से काफी पीछे हैं.