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सागर4 घंटे पहले
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टीआई उपमासिंह को शपथ पत्र देते हुए सुखराम।
- तीन साल में सुखराम पर सट्टा एक्ट के कई मामले हुए दर्ज, जुर्माना भरने से केस हुए खत्म
बेटियों को स्कूल में शर्मिंदगी महसूस न हो और पत्नी मोहल्ले की अन्य महिला के साथ सम्मान से रह सकें। इसके लिए गोपालगंज क्षेत्र में रहने वाले सुखराम अहिरवार ने अपराध से अपना नाता तोड़ दिया। उसने पुलिस अधीक्षक अतुल सिंह के नाम एफिडेविट देकर अब सट्टा न खिलाने की शपथ ली है।
सुखराम को अपराध की दुनिया से बाहर निकलने की प्रेरणा उसकी दोनों बेटियों व पत्नी से मिली। बीए तक पढ़े सुखराम से उसकी दोनों बेटियों ने कहा कि पापा सट्टा खिलाना अच्छी बात नहीं है। घर पर पुलिस के आने से हमारी सामाजिक प्रतिष्ठा खराब होती है। इसके बाद सुखराम का मन बदल गया और बेटियों की बात मानते हुए अपराध को छोड़ने का संकल्प लिया।
नौकरी नहीं लगी तो सट्टा की लेने लगे बुकिंग
सुखराम अहिरवार ने बताया कि बीए तक पढ़ाई करने और शादी होने के बाद भी जब नौकरी नहीं मिली। तो परिवार को चलाने के लिए वह सट्टा खिलाने लगे। शादी के बाद कुछ दिन सुखराम ने सब्जी बेची, हाथ ठेले पर मजदूरी की, मूंगफली का ठेला भी लगाया, लेकिन आमदनी नहीं बढ़ी। दो बेटियां होने के बाद उनकी पढ़ाई-लिखाई का खर्च व परिवार के अन्य खर्च भी ठीक तरह से नहीं चल पा रहे थे। इससे बुरी संगत में फंस गए।
मां-बाप गुजर जाने के बाद भैया-भाभी ने पाला
सुखराम ने बताया कि जब वह 8 साल के थे। तब उनके माता-पिता शांत हो गए। इसके बाद बड़े भैया और भाभी ने ही उन्हें पाला, अपने साथ रखा, बीए तक पढ़ाई कराई और फिर शादी भी कराई। 10वीं पास करते ही सुखराम नौकरी की तलाश करने लगे, लेकिन किस्मत ने कभी साथ नहीं दिया और नौकरी नहीं मिली।
सुखराम पर सट्टा एक्ट के कई मामले हुए दर्ज
सुखराम ने बताया कि वे करीब 3 साल से सट्टा की बुकिंग ले रहे थे। इस दौरान उनके खिलाफ गोपालगंज थाने में सट्टा एक्ट के तहत कई मामले दर्ज हुए। इनमें जुर्माना भरकर वे छूट गए। कई बार उनके घर पर भी पुलिस आई। उनकी वजह से पूरे परिवार ने शर्मिंदगी महसूस की। अब सुखराम का कहना है कि वे मेहनत-मजदूरी कर परिवार का पालन पोषण करना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने घर में ही एक किराने की दुकान भी खोल ली है।