IND vs ENG: मोटेरा की पिच पर क्यों उठे सवाल, क्या होती है आइडियल पिच?

IND vs ENG: मोटेरा की पिच पर क्यों उठे सवाल, क्या होती है आइडियल पिच?


रविचंद्रन अश्विन और अक्षर पटेल की गेंदबाजी के सामने इंग्लैंड की टीम नहीं टिक सकी. (PTI)

India vs England: भारत के खिलाफ तीसरे टेस्ट में इंग्लैंड की टीम जब 112 पर सिमटी तो पिच से ज्यादा बल्लेबाजों की तकनीक पर सवाल उठाए गए. भारतीय बल्लेबाजों ने भी जब गुरुवार को अंग्रेजों के सामने समर्पण कर दिया तो तकनीक की बजाय खराब पिच की बात हावी हो गई.


  • News18Hindi

  • Last Updated:
    February 25, 2021, 6:11 PM IST

नई दिल्ली. भारत और इंग्लैंड (India vs England) के बीच जब तीसरा टेस्ट शुरू हुआ तो अहमदाबाद के नए स्टेडियम (Motera Stadium) की भी बड़ी चर्चा थी. सबसे बड़ा स्टेडियम, सबसे महंगा स्टेडियम, आला दर्जे की सुविधाएं और ऐसी ही अनगिनत बातें… लेकिन जैसे ही मोटेरा कहे जाने वाले इस मैदान पर खेल शुरू हुआ वैसे ही खराब पिच की बातें सिर उठाने लगीं. इस मैच के पहले दिन 13 विकेट गिरे. इंग्लैंड 112 रन पर सिमट गया. दूसरे दिन खेल शुरू होते ही भारतीय टीम (Team India) का खेल भी खत्म हो गया. मेजबान टीम 145 रन से आगे नहीं जा सकी.

इंग्लैंड की टीम बुधवार को जब 112 पर सिमटी तो पिच से ज्यादा अंग्रेज बल्लेबाजों की तकनीक पर सवाल उठाए गए. जब गुरुवार को भारतीय बल्लेबाजों ने भी अंग्रेजों के सामने समर्पण कर दिया तो तकनीक की बजाय खराब पिच की बात हावी हो गई. इंग्लैंड की पहली पारी में अक्षर पटेल (Axar Patel) ने 6 विकेट झटके तो भारत की पारी में अंग्रेज कप्तान जो रूट (Joe Root) 5 विकेट ले उड़े. रनों का यह अकाल इंग्लैंड की दूसरी पारी में और भयानक हो गया. इंग्लिश टीम  81 रन पर ही सिमट गई, जो भारत के खिलाफ उसका न्यूनतम स्कोर भी है. इस तरह भारत को जीत के लिए महज 49 रन का लक्ष्य मिला.

आइडियल टेस्ट पिच कैसी होनी चाहिए
टेस्ट मैच के लिए आइडियल पिच (Ideal Test Pitch) कैसी होती है? इस सवाल के जवाब में हमें क्रिकेट की मूल बातों को समझना है. टेस्ट मैच पांच दिन चलता है और खेल में मुख्यत: बल्लेबाज और गेंदबाज होते हैं. गेंदबाज दो तरह के होते हैं. तेज और स्पिन गेंदबाज. आइडियल पिच वह है, जिस पर पहले से आखिरी दिन तक बल्लेबाज सहजता से बैटिंग कर सके. वह अपनी गलती या गेंदबाज के हुनर से आउट हो, ना कि खराब पिच की वजह से. पिच पर हर दिन ऐसी उछाल या टर्न रहे कि गेंदबाज अगर अच्छी लाइन-लेंथ पर बॉलिंग कर रहा है तो विकेट ले सके. ऐसी पिचें अच्छी नहीं कही जा सकतीं जिन पर उछाल या टर्न ना हो या तो इतनी अधिक उछाल या टर्न हो कि उसका अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाए.यह भी पढ़ें: IND VS ENG: इशांत शर्मा ने 100वें टेस्ट में लगाया करियर का पहला छक्का

भारत में हावी रहते हैं स्पिनर
अगर हम पिछले 5 साल के मैचों को देखें तो ऑस्ट्रेलिया की पिचें आइडियल के करीब नजर आती हैं. अगर हम भारत, इंग्लैंड या न्यूजीलैंड की पिचोंं की बात करें तो यहां किसी ना किसी दिन एकतरफा खेल हो ही जाता है. भारत में कई बार पहले दिन से ही स्पिनर हावी होने लगते हैं. भारत और इंग्लैंड की सीरीज के दूसरे और तीसरे टेस्ट में ऐसा ही देखने को मिला. इसी तरह अगर हम इंग्लैंड की पिचों की बात करें तो यहां शुरुआती दिनों में इतनी स्विंग मिलती है कि बैटिंग करना नामुमकिन सा हो जाता है. न्यूजीलैंड की पिचों में पहले दिन अतिरिक्त उछाल और स्विंग देखने को मिलती है. ऐसे में इन देशों की पिचें आइडियल नहीं कहीं जा सकतीं.

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ऑस्ट्रेलिया की पिच सबसे बेहतरीन
हाल ही में खेली गई भारत-ऑस्ट्रेलिया सीरीज को याद करिए. टीम इंडिया सीरीज के पहले टेस्ट की दूसरी पारी में 36 रन पर ढेर हो गई. तब भी किसी ने यह नहीं कहा कि इसमें पिच का कोई दोष था. इसी भारतीय टीम ने तीसरे और चौथे टेस्ट मैच में पांचवें दिन तकरीबन सारे ओवर खेले और आउट नहीं हुई. ऑस्ट्रेलिया की पिचें अपनी उछाल और तेजी के लिए मशहूर हैं. लेकिन इन पर इतनी तेजी कभी नहीं रही कि बैटिंग करना नामुमकिन हो जाए. इन तेज पिचों पर ही स्पिनरों ने भी खूब विकेट निकाले. भारत ने ब्रिस्बेन में आखिरी दिन 325 रन बनाकर मैच भी जीता. यानी ऑस्ट्रेलिया की पिचों पर हर दिन बल्लेबाज और गेंदबाज दोनों के लिए कुछ ना कुछ अच्छा था.








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