नाथूराम गोडसे का जलाभिषेक कर बाबूलाल चौरसिया ने बवाल मचा दिया था. (File)
नाथूराम गोडसे के पुजारी बाबूलाल चौरसिया. पहले कांग्रेसी, फिर हिंदू महासभा और फिर बने कांग्रेसी, बाबूलाल का कहना है कि गोडसे पर उन्हें अंधेरे में रखा गया.
- News18Hindi
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February 26, 2021, 3:50 PM IST
मजेदार बात यह है कि कांग्रेस के एक धड़ा बाबूलाल की खिलाफत कर रहा है, तो एक धड़ा चुप है. चुप्पी इसलिए क्योंकि बाबूलाल को कोई और नहीं बल्कि ग्वालियर दक्षिण सीट से कांग्रेस विधायक प्रवीण पाठक ही लेकर आए हैं. इसलिए शायद कमलनाथ भी चुप हैं. बाबूलाल वार्ड 44 से पार्षद हैं. और ये वार्ड विधायक के विधानसभा क्षेत्र में ही आता है. कमाल की बात ये भी है कि वार्ड 44 हिंदू महासभा का गढ़ है.
बाबूलाल का माजरा आखिर है क्या
गौरतलब है कि पुराने कांग्रेसी बाबूलाल को पार्टी ने 2015 में पार्षद का टिकट नहीं दिया था. इससे नाराज होकर उन्होंने हिंदू महासभा ज्वॉइन की और जीते. दो साल बाद बाबूलाल अचानक चर्चा में आ गए. चर्चा इसलिए क्योंकि 15 नवंबर 2017 को इन्होंने ग्वालियर में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे का मंदिर बनाया. केवल मंदिर ही नहीं बनाया, बल्कि जलाभिषेक भी किया. हालांकि, प्रशासन ने एक हफ्ते बाद ही मूर्ति जब्त कर ली थी.मुझे नहीं पता था मूर्ति गोडसे की है : चौरसिया
बाबूलाल ने कांग्रेस की सदस्यता लेने के बाद इसे घर वापसी बताया. उन्होंने कहा- वह पहले भी कांग्रेस के थे. अपनी विचारधारा में वापस लौटे हैं. उन्हें टिकट का लालच नहीं है. अगर कांग्रेस नगर निकाय में जिम्मेदारी देगी तो पीछे नहीं हटेंगे. उन्होंने कहा कि हिंदू महासभा ने उन्हें गोडसे को लेकर धोखे में रखा. उन्हें नहीं पता था कि जिस मूर्ति की वो पूजा कर रहे हैं, वो गोडसे की थी.