भारत बंद: भारत बंद के समर्थन में उज्जैन के व्यापारी बोले- व्यापारियों ने खुद के व्यापार के लिए किया बंद, तीन करोड़ का व्यापार प्रभावित

भारत बंद: भारत बंद के समर्थन में उज्जैन के व्यापारी बोले- व्यापारियों ने खुद के व्यापार के लिए किया बंद, तीन करोड़ का व्यापार प्रभावित


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उज्जैन2 मिनट पहले

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कलेक्टर के प्रतिनिधि को ज्ञापन पढ़कर सुनाते व्यापारी

  • जीएसटी की जटिलताओं को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा

वस्‍तु एवं सेवा कर यानि जीएसटी (GST), ई-कॉमर्स और खाद्य सुरक्षा कानूनों की जटिलताओं के विरोध में आयोजित देशव्यापी भारत बंद के समर्थन में उज्जैन में भी व्यापारियों ने भी दोपहर तक बाजाार बंद रखे। बंद का आह्वान कंफेडेरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) की ओर से बुलाया गया था। बंद से उज्जैन में करीब तीन करोड़ के व्यापार के प्रभावित होने का अनुमान लगाया जा रहा है। व्यापारी संगठनों ने प्रधानमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन कलेक्टर को दिया है।
कैट के जिलाध्यक्ष सुनील गुप्ता ने कहा कि व्यापारियों ने खुद के व्यापार के लिए भारत बंद किया है। उन्होंने बताया कि हाल में हुए संशोधनों ने व्यापारियों को न केवल भ्रष्टाचार बल्कि बेइमानी करने के लिए मजबूर कर िदया है। जीएसटी की कानूनी जटिलताओं के कारण व्यापारी ईमानदारी से व्यापार नहीं कर पा रहा है।
जीएसटी में नए संशोधनों से व्यापारियों को व्यापार करने के परेशानी आ रही है। संशोधनों को खत्म किया जाए। जीएसटी को सरल बनाया जाए। व्यापारी जीएसटी भरना चाहता है। इसके लिए उसे वकील से लेकर सीए तक को अप्वाइंट करना पड़ता है। जीएसटी को इतना सरल बनाया जाए ताकि छोटे से छोटा व्यापारी भी अपना व्यापार आसानी से कर सके और जीएसटी भर सके।
व्यापारी राजेश अग्रवाल ने कहा कि चार सालों में जीएसटी में 950 संशोधन किए जा चुके हैं। भारत बंद को उज्जैन में 19 संस्थाओं ने समर्थन दिया। ड्रगिस्ट एडं केमिस्ट एसोशिएसशन, चैंबर ऑफ कामर्स, दौलत गंज व्यापारी एसोसिएशन, ऑटो मोबाइल एसोसिएशन, फ्रीगंज व्यापारी महासंघ ने बंद के समर्थन में दुकानें बंद रखीं।
ये हैं विसंगतियां
व्यवसाइयों को जीएसटी रिटर्न दाखिल करने से रोकना, आईटीसी से वंचित करना, सुनवाई का अवसर दिए बिना व्यापारी की अनुज्ञप्ति निरस्त करना, अयुक्तियुक्त ब्याज व शास्ति आरोपित करना, टैक्स जमा करने के बाद भी दंडित करना, कागजी आैपचारिकताओं को बढ़ावा देना, डिजिटलाइजेशन के नाम पर आंकड़ों को बार-बार भिन्न-भिन्न प्रारूपों में प्रस्तुत करने के लिए बाध्य करना, व्यापारी की गलतियों की सजा सीए व वकीलों को देना, मांग से अधिक जमा टैक्स की वापसी पर देरी करना, माल व वाहन की जब्ती करना, छोटे-छोटे विवादों के लिए न्यायालय या अपीलीय अधिकारी के पास जाने को बाध्य करना, प्राकृतिक न्याय के सिद्धान्तों के विपरीत सुनवाई का अवसर नहीं देना, मामूली प्रकरणों में एफआईआर करना, मीडिया ट्रायल को प्रोत्साहित करना, व्यापारी की कार्यशील पूंजी को बाधित करना, बैंक खाते सीज कर व्यापार को प्रभावित कर व्यापारी की प्रतिष्ठा को धूमिल करना।

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