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- Guest Scholars From 8 Colleges Mobilized, Sanctioned Leave And Deducted Money; Memorandum Submitted To Additional Director
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सागर11 मिनट पहले
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शुक्रवार को अतिथि विद्वान एकत्रित होकर उच्च शिक्षा विभाग के एडिशनल डायरेक्टर के पास पहुंचे।
- जिले के 8 सरकारी कॉलेजों में कटा मानदेय, 20 से अधिक है सरकारी कॉलेज।
जिले के 8 सरकारी कॉलेजों के करीब 50 से अधिक अतिथि विद्वानों का मानदेय काट लिया गया। जिसके विरोध में शुक्रवार को अतिथि विद्वान एकत्रित होकर उच्च शिक्षा विभाग के एडिशनल डायरेक्टर के पास पहुंच गए। अतिथि विद्वानों ने मानदेय काटे जाने का जोरदार विरोध किया। अतिथि विद्वानों का कहना है कि नवंबर महीने में प्राचार्य ने पहले दिपावली का 6 दिन का अवकाश स्वीकृत कर दिया और फिर दिसंबर महीने में मानदेय की रिकवरी कर ली गई। प्रत्येक अतिथि विद्वान के मानदेय से 4500 रुपए काटे गए हैं।
अतिथि विद्वान शिक्षक डॉ. स्वदीप श्रीवास्तव ने बताया कि नवंबर महीने में 23 कार्य दिवस सिर्फ ग्रंथपाल अतिथि विद्वान के ही होते हैं। दूसरे अतिथि विद्वानों के कार्य दिवस 17 ही होते हैं। मध्यप्रदेश के अधिकांश कॉलेजों में अतिथि विद्वानों को 30 हजार रुपए मानदेय दिया गया।डॉ. उमाकांत स्वर्णकार ने बताया कि जिले में भी सिर्फ 8 सरकारी कॉलेज, मकरोनिया, शाहगढ़, केसली, बांदरी, खिमलासा, मालथौन, नरयावली और ढाना को छोड़कर शेष सभी कॉलेजों में पूरा मानदेय दिया गया है। इन 8 कॉलेजों में ही यह कटौती की गई है।
अतिथि विद्वान डॉ. अशोक पन्या ने बताया कि नवंबर महीने में तो पूरा मानदेय दिया और फिर दिसम्बर में 4 हजार 500 रुपए की रिकवरी कर ली गई, जो कि गलत है। अतिथि विद्वानों ने एडिशनल डायरेक्टर डॉ. एलएल कोरी को ज्ञापन देकर मांग करते हुए कहा कि यदि 7 दिन के अंदर यह विसंगति दूर नहीं की गई और पूरा मानदेय नहीं मिला तो सभी अतिथि विद्वान उच्च न्यायालय से न्याय की मांग करेंगे। एडिशनल डायरेक्टर डॉ. एलएल कोरी का कहना है कि आठों कॉलेजों के प्राचार्यों से इस संबंध में जवाब मांगा जाएगा कि वेतन की कटौती किस आधार पर की है।
अतिथि विद्वानों की काट ली वृत्तिकर की राशि
शहर के शासकीय गर्ल्स डिग्री कॉलेज में अतिथि विद्वानों के सैलरी से वृत्तिकर की राशि काट ली गई है। अतिथि विद्वानों ने बताया कि वृत्तिकर के नाम पर प्रत्येक अतिथि विद्वान के मानदेय में से दो से ढाई हजार रुपए काटे गए हैं, जो कि नियम के मुताबिक गलत है, क्योंकि अतिथि विद्वान न तो वेतन भोगी हैं और न ही लोक सेवक है। प्राचार्य से अतिथि विद्वानों ने वृत्तिकर की राशि जल्द वापस करने की मांग की है।