12 महीने पहले लटकती थी तलवार, वो बन गया अब सबसे धारदार
अश्विन के साथ आखिर हुआ वही जिसका उन्हें डर था. क्राइस्टचर्च टेस्ट के लिए उन्हें प्लेइंग इलवेन में जगह नहीं मिली. सीरीज़ के पहले मैच में हार के बाद सीनियर खिलाड़ी के तौर पर फिर से उन्हें आसानी से बलि का बकरा बना दिया गया. कोई दूसरा खिलाड़ी होता तो कोच और कप्तान के रुखे रवैये पर कलपता, मायूस होता और शायद हर किसी से कट जाता. लेकिन, कोरोना महामारी के चलते पूरी दुनिया थम गई और अश्विन ने अपनी शख्सियत को इस दौरान अलग तरीके से पहचाना.
यूट्यूब चैनल ने बदला मिजाज़तमिल में ख़ास तौर पर उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल ज़बरदस्त तरीके से लोकप्रिय कराया. यहां पर हिंदी और अंग्रेज़ी में भी टॉप-क्लास कंटेट मिलने लगे. लेकिन, कई दूसरे खिलाड़ियों की तरह अश्विन यूट्यूब चैनल सोशल मीडिया स्टार बनने के लिए नहीं कर रहे थे. उनका इरादा था कैसे चैंपियन सोचते हैं, वापसी करते हैं अपनी विरासत तैयार करते हैं. इन सब बातों के लिए अगर वो विराट कोहली को कभी अपना मेहमान बनाते तो कभी मुंबई की महान रणजी चैंपियन टीमों के खिलाड़ियों को. अश्विन के अगर उन यूट्यूब शो को आप देखें तो आपको एहसास होगा कि जब गेंद और बल्ले को थामना मुमकिन नहीं था तो कैसे उन्होंने मानसिक तौर पर मज़बूत करने वाले पहलूओं पर मेहनत की, और इस मेहनत ने रंग दिखाया.
अचूक निशाने के मामले में एकलव्य जैसा पैनापन
ऑस्ट्रेलिया दौरे पर अश्विन को एडिलेड के पहले टेस्ट में खेलना नहीं था लेकिन जडेजा को चोट लगती है और उन्हें मौका. बस, क्या था यहीं से अश्विन ने एक ऐसा सुनहरा सफर शुरु किया जो अब तक इस मौजूदा सीरीज़ में बरकरार है. ऑस्ट्रेलिया में वो 3 मैच खेले और 12 विकेट झटके लेकिन सबसेअहम बात रही कि दुनिया के सबसे धुंरधर टेस्ट बल्लेबाज़ स्टीव स्मिथ को वैसे ही चुप कराया जैसे कि महाभारत की कहानियों में एकलव्य ने अपने तीरों को ऐसे साधा कि कुत्ते का भौंकना बंद हो गया लेकिन उस जानवर का एक बूंद खून भी नहीं टपका था. अश्विन की गेंदबाज़ी में वैसा ही पैनापन था. रही सही कसर तो उन्होंने सिडनी टेस्ट में बल्लेबाज़ के तौर पर पूरी कर दी जब हनुमा विहारी के साथ मिलकर साहसिक तरीके से चोट खाते हुए भी मैच जाने नहीं दिया.
400 विकेट लेने के बावजूद हरभजन नहीं टिकते हैं तुलना में अश्विन से
पहले हरभजन सिंह को भारतीय क्रिकेट का सबसे बड़ा ऑफ स्पिनर माना जाता था. लेकिन, हरभजन को अपने करियर के आखिरी 5 सालों में बुरी तरह से जूझना पड़ा. जैसे-तैसे करके वो 100 टेस्ट खेल गये. 2011 वर्ल्ड कप के बाद खेले गये 10 टेस्ट में भज्जी को सिर्फ 24 विकेट मिले. यानि उनका संघर्ष आखिरी 4 साल तक चलता रहा और किसी तरह से वो 400 विकेट का आंकड़ा छू पाये. लेकिन, अश्विन इसके विपरीत बढ़ती उम्र के साथ और ख़तरनाक होते दिख रहे हैं. पिछले 6 मैचों में अश्विन ने 36 विकेट झटके हैं.
ये तमिल दुनिया में राज करेगा-अश्विन का कॉलर ट्यून
आपके फोन का कॉलर ट्यून कई बार आपकी शख्सियत की भी झलक देता है. अगर इस पैमाने पर देखें तो अश्विन हमेशा से ही क्रिकेट की दुनिया पर राज करने की हसरत रखतें हैं. अगर आप अश्विन को फोन करेंगे तो तमिल में ए आर रहमान का एक गाना जिसमें कोरस में Alapporan thamizhan, Ulagam ellamae आपको सुनाई पड़ेगा जिसका मतलब है ये तमिल दुनिया में राज करेगा. अब वो दुनिया में राज करे या ना करे लेकिन गेंदबाज़ी के इतिहास में तो शायद वो राज ज़रुर कर रहे हैं . आखिर सिर्फ 21,242 गेंदों पर 400 विकेट का कमाल उनसे बेहतर तो सिर्फ 3 तेज़ गेंदबाज़ों ने ही किया है. डेल स्टेन, रिचर्ड हैडली और ग्लेन मैक्ग्रा. अश्विन के बाद की दूसरा स्पिनर तो श्रीलंका के रंगना हेराथ हैं जिन्हें 23,835 गेंदें फेंकनी पड़ी थी.
अनूठे हैं अश्विन, नई गेंद से अदभुत कामयाबी
अश्विन ने सबसे पहले आईपीएल के ज़रिये अपनी पहचान बनायी. महेंद्र सिंह धोनी उनसे नई गेंद से विकेट लेने की उम्मीद करते, मिड्ल ओवर्स में रन रुकवाते और फिर स्लॉग ओवर्स में भी दोनों काम एक साथ करवाने की उम्मीद करते. अश्विन, हर उम्मीद पर खरे उतरे और जब वो टेस्ट क्रिकेट में आये तो उन्होंने वैसा ही जलवा बिखेरा. भारतीय क्रिकेट तो दूर की बात दुनिया में बहुत कम स्पिनर नई गेंद लेना पसंद करते थे. लेकिन, अश्विन इस मामले में अनूठे थे और ये बात उनके आंकड़ों में भी दिखती है. पारी के पहले 15 ओवर में 59 शिकार! हर 47वीं गेद पर विकेट. नई गेंद से ऐसे रिकॉर्ड पर तो महानतम तेज़ गेदंबाज़ों को भी फख्र महसूस होगा.
अश्विन की तुलना हरभजन से नहीं कुंबले से ही होनी चाहिए
भारतीय क्रिकेट में अश्विन की तुलना हरभजन से ना होकर महानतम मैच-विनर अनिल कुंबले से ही होनी चाहिए. अपने करियर की शुरुआत जब से अश्विन ने की है, भारत के गेंदबाज़ों ने कुल 1312 विकेट लिए हैं जिसमें 30.5% अश्विन के हैं. 618 विकेट लेने वाले कुंबले का भी कामयाबी का आंकड़ा अपने दौर के आक्रमण में लगभग इतना ही है. घरेलू पिचों पर तो वो कुंबले से भी आगे हैं फिलहाल. 22.19 की औसत से 278 विकेट झटकने का मतलब है हर दूसरी पारी में 5 विकेट का कमाल! घरेलू पिचों पर अश्विन से बेहतर बब्बर शेर सिर्फ मुथैया मुरलीधरण और मैक्ग्रा ही रहें हैं.