बच्चा चोर गिरोह: दो मामलों में रिमांड पर दो दंपती; दाई ने क्लिनिक के डॉक्टर दंपती द‌वारा बच्चे देना बताया गया, पुलिस तलाश रही असली मां-बाप

बच्चा चोर गिरोह: दो मामलों में रिमांड पर दो दंपती; दाई ने क्लिनिक के डॉक्टर दंपती द‌वारा बच्चे देना बताया गया, पुलिस तलाश रही असली मां-बाप


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इंदौर6 घंटे पहले

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  • दंपति और बच्चों का डीएनए टेस्ट करवाया जाएगा

मेटरनिटी क्लिनिक से बच्चे चुराकर बेचने वाली दाई और बच्चों को अवैध रूप से लेने वाले दोनों दंपतियों को एसटीएफ ने फिर से रिमांड पर लिया है, ताकि बच्चों के असली मां-बाप का पता चल सके, लेकिन दाई कह रही है कि उसे तो ये बच्चे क्लिनिक के डॉक्टर दंपती ने दिए थे। उसे बच्चों के असली मां-बाप की जानकारी नहीं है।

7 दिन पहले एसटीएफ ने चाइल्ड लाइन की सूचना पर देवास और रतलाम से दो बच्चों को बरामद किया था। इन बच्चों को 9 साल पहले स्कीम नंबर 51 स्थित एक मेटरनिटी क्लिनिक से दाई लीलाबाई ने चुराकर देवास के दंपती शिशिर और सुधा व रतलाम के दंपती अजयकुमार व स्वर्णमाला को अपनी बहन और बहनोई की मदद से बेचा था। एसटीएफ ने रविवार को फिर दाई और दोनों दंपती को पांच दिन के रिमांड पर लिया है। एसटीएफ एसपी मनीष खत्री ने बताया कि अब तक की पूछताछ में दाई ने बच्चों के असली माता-पिता की कोई जानकारी नहीं दी है। उसका कहना है कि दोनों बच्चों को क्लिनिक के मालिक डॉक्टर दंपती ने उसे दिया था। डॉक्टर दंपती की दुर्घटना में मौत हो चुकी है। पुलिस को आशंका कि वह बचने के लिए ऐसा कह रही है, इसलिए उसे फिर रिमांड पर लेकर पूछताछ की जा रही है। वहीं अस्पताल के कुछ पुराने कर्मचारियों की जानकारी भी निकाली जा रही है, ताकि असली माता-पिता का पता लगाया जा सके।

अब तक ऐसे कोई दंपती भी सामने नहीं आए हैं, जिन्होने 9 साल पहले इस क्लिनिक में बच्चों को जन्म दिया था और उनसे कहा गया था कि उनको मरा हुआ बच्चा पैदा हुआ है। अब दंपती और बच्चों का डीएनए टेस्ट करवाया जा रहा है, ताकि साबित हो सके कि ये बच्चे उनके नहीं हैं। जल्द ही पुलिस असली मां-बाप का पता लगा लेगी।

दो अलग जगह हुई की थी कार्यवाही

पहला मामला- एसटीएफ ने देवास के निगमकर्मी शिरीष इंदूरकर समेत उसकी पत्नी सुधा, पड़ोसी पुष्पा और दाई लीलाबाई को पकड़ा था। आरोप था कि शिरीष व सुधा ने पुष्पा और लीला बाई की मदद से अक्टूबर 2011 में यश अस्पताल की संचालिका डॉक्टर शर्मिला शुक्ला से एक दिन का बच्चा खरीदा था। अब यह बच्चा 10 साल का हो चुका है। वह निजी स्कूल में पढ़ता है। पुलिस ने जब लीला से पूछताछ की, तो उसने बताया कि वह मालिश और दाई का काम करती थी। डॉक्टर शर्मिला से उसकी पहचान थी। उसने डॉक्टर को शिरीष और सुधा के बारे में बताया और बच्चा दिलवा दिया। लीला ने रुपए लेने से भी इनकार कर दिया। अस्पताल संचालिका डॉ. शर्मिला से पूछताछ की जा रही है।

दूसरा मामला- ग्वालियर की मनीषा गाड़के का बच्चा 2013 में अगवा हुआ था। उसकी गुमशुदगी की शिकायत ग्वालियर के माधवगंज थाने में दर्ज की गई थी। हालांकि उस दौरान संबंधित एसडीएम व अन्य द्वारा उक्त प्रकरण में कार्रवाई नहीं की गई। बताया जाता है कि फरियादी को इस मामले को दबाने के लिए मोटी रकम दी गई थी। यह बच्चा इंदौर के एक निजी बोर्डिंग स्कूल में पढ़ता है। बताया जाता, ये बच्चा भी इसी के गिरोह के माध्यम से किसी को बिकवाया गया था। अब पुलिस ये पता कर रही है कि ये बच्चा किसको बिकवाया था। साथ ही, गिरोह में कौन-कौन शामिल हैं।

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