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- Rs. 6.25 Lakhs On The Registry Of 50 Lakh Flats In MP, Rajasthan Will Now Invest Only Rs. 2.8 Lakhs.
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भोपाल4 मिनट पहलेलेखक: गुरुदत्त तिवारी
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1.15 लाख घर बना रहे डेवलपर को ग्राहकों का इंतजार। फाइल फोटो
- अभी देश में सबसे महंगी रजिस्ट्री मप्र में, ये कम हो
- वजह : राजस्थान सरकार ने अपने बजट में 2% स्टांप ड्यूटी कम की, मप्र सरकार ने बजट से दो माह पहले 2% की छूट खत्म कर दी
मध्यप्रदेश में घर की रजिस्ट्री कराना अब भी देश में सबसे खर्चीला है, क्योंकि महाराष्ट्र और गुजरात की तुलना में यहां स्टाम्प ड्यूटी और रजिस्ट्रेशन फीस लगभग दोगुनी है। चार दिन पहले पेश राजस्थान के बजट में गहलोत सरकार ने घर खरीदने वालों को राहत देते हुए 50 लाख रुपए तक के फ्लैट की रजिस्ट्री पर स्टाम्प शुल्क 2% घटाने की घोषणा की। इसलिए अब मप्र के बिल्डर और घर खरीदने का सपना देख रहे आम लोगों की नजर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान पर है।
वे उम्मीद कर रहे हैं कि राज्य सरकार 2 मार्च को पेश होने वाले राज्य बजट में स्टाम्प ड्यूटी या फिर रजिस्ट्री की फीस कम करे। उल्लेखनीय है कि आम बजट से महज दो माह पहले ही राज्य सरकार ने रजिस्ट्री में दी जा रही 2% की छूट खत्म कर दी थी, जबकि सरकार इसी छूट के कारण लॉकडाउन के बाद भी अपना पंजीयन शुल्क 11% तक बढ़ाने में कामयाब रही है, क्योंकि लोगों ने छूट का फायदा लिया, जिससे घरों की बिक्री में 20 से 25% तक की बढ़ोतरी हुई। अब बिल्डर निर्माणाधीन और नए प्रोजेक्ट में भी बिक्री बढ़ाने के लिए स्टांप ड्यूटी में 2% छूट को बहाल करने और कुछ अतिरिक्त राहत की उम्मीद कर रहे हैं।
रियल एस्टेट डेवलपर अजय शर्मा के मुताबिक यह साफ हो चुका है कि रजिस्ट्री सस्ती होने से आम आदमी के लिए घर की कीमत कम होती है। ज्यादा लोग घर खरीदते हैं। इसका फायदा राज्य सरकार और बिल्डर दोनों को है। जून से लेकर दिसंबर तक यही देखने को मिला है। बेहतर हो सरकार रियायतें घटाने जैसे कदम उठाने के बजाय उन्हें बढ़ाने की दिशा में कदम उठाए।
जब रजिस्ट्री सस्ती थी तो 92% तक ज्यादा मिला राजस्व

50 लाख के फ्लैट की रजिस्ट्री कहां-कितनी

1.15 लाख घर बना रहे डेवलपर को ग्राहकों का इंतजार
पड़ोसी राज्यों में महिलाओं को मिलती है रजिस्ट्री में अतिरिक्त छूट, मप्र में बंद
लाड़ली लक्ष्मी जैसी अति लोकप्रिय योजनााएं लाने वाली शिवराज सरकार ने महिलाओं को रजिस्ट्री में मिलने वाली छूट काफी समय पहले ही खत्म कर दी थी। लेकिन, पड़ोसी राज्यों में जारी हैं। राजस्थान में बहू और बेटी के नाम रजिस्ट्री 2.5% तक सस्ती पड़ रही है। महाराष्ट्र में भी महिलाओं को रजिस्ट्री के लिए 1% रजिस्ट्री फीस नहीं चुकानी पड़ती।
हर बड़े राज्यों में प्रापर्टी की रजिस्ट्री मप्र से सस्ती
- राज्य राशि (लाख रुपए में)
- आंध्रप्रदेश 3.5
- अरुणाचल प्रदेश 3.6
- असम 4.37
- बिहार 3.85
- छत्तीसगढ़ 3.0
- गोवा 2.25
- गुजरात 2.45
- हरियाणा 4.15
- हिमाचल प्रदेश 4.0
- जम्मू कश्मीर 2.5
- झारखंड 3.5
- कर्नाटक 3.00
- केरल 5.00
- महाराष्ट्र 2.30
- मणिपुर 4.20
- मेघालय 5.94
- मिजोरम 5.40
- नागालैंड 4.94
- ओडिसा 3.50
- पंजाब 3.0
- सिक्किम 2.50 राज्य के लोगों को
- 5 बाहरी लोगों को
- तमिलनाडु 4.00
- तेलंगाना 3.50
- त्रिपुरा 3.00
- उप्र 4.00
- उत्तराखंड 3.50
- पश्चिम बंगाल 4.00
इसलिए छूट की जरूरत… मप्र के रियल एस्टेट डेवलपर के 30 हजार करोड़ दांव पर
रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के आंकड़े बताते हैं कि मप्र में करीब 2000 प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है। साथ ही 300 नए प्रोजेक्ट पंजीयन के लिए आवेदन कर चुके हैं। इनमें करीब 1.15 लाख नए मकान बनने हैं। केवल इन्हीं प्रोजेक्ट का मूल्यांकन 30,000 करोड़ रुपए से अधिक है।
ऐसे समझें… राजस्थान में रजिस्ट्री कितनी सस्ती
राजस्थान सरकार ने 24 फरवरी को पेश अपने वित्तीय वर्ष 2020-21 के बजट में 50 लाख रुपए तक के फ्लैट पर लगने वाली स्टाम्प ड्यूटी 2% कम कर दी है। रजिस्ट्रेशन फीस मिलाकर अब फ्लैट की रजिस्ट्री 5.6% में ही हो जाएगी। बजट से पहले यह रजिस्ट्री 8.8% में हो रही थी। यानी अब ग्राहक को 4.4 लाख की जगह 2.8 लाख रुपए में ही देने होंगे।
छूट खत्म होने के बाद नए घरों की बुकिंग घटी, छूट बहाल हो
2% की छूट खत्म होने के बाद जनवरी और फरवरी में अचानक बुकिंग कम हो गई है। ज्यादातर डेवलपर अगस्त से दिसंबर तक की बिक्री के आधार पर ही प्रोजेक्ट लाए थे। अब वे सब परेशान हैं। सरकार दिसंबर तक दी गई पुरानी छूट बहाल करे।
-नितिन अग्रवाल, अध्यक्ष, क्रेडाई, मप्र
लॉकडाउन के बाद भी आय बढ़ी, छूट का लाभ तो मिला है
प्रदेश सरकार का पंजीयन राजस्व पिछले साल से 11% ज्यादा है। साल के पहले दो माह लाॅकडाउन के कारण रजिस्ट्री लगभग बंद रहीं। हो सकता है इसलिए भी बाद के माह में रजिस्ट्री तेजी से बढ़ीं। लेकिन 2% तक जारी छूट ने भी राजस्व बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई।
-दीपाली रस्तोगी, प्रमुख सचिव, वाणिज्यिक कर विभाग, मप्र सरकार नितिन अग्रवाल, अध्यक्ष, क्रेडाई, मप्र