बुजुर्ग को पहला टीका लगने की कहानी: 81 साल के बुजुर्ग सुबह साढ़े 8 बजे टीका लगवाने पहुंचे, एक घंटे बाद पता चला नहीं लगेगा टीका, फिर बने सबसे पहले टीका लगवाने वाले

बुजुर्ग को पहला टीका लगने की कहानी: 81 साल के बुजुर्ग सुबह साढ़े 8 बजे टीका लगवाने पहुंचे, एक घंटे बाद पता चला नहीं लगेगा टीका, फिर बने सबसे पहले टीका लगवाने वाले


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इंदौर3 मिनट पहले

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81 साल के जगदीश पाल को भंडारी अस्पताल में पहला टीका लगा।

मैं सुबह साढ़े 8 बजे के पहले टीका लगवाने अस्पताल पहुंच गया था। लगा कि जल्दी पहुंच जाऊंगा तो रजिस्ट्रेशन जल्दी हो जाएगा और समय पर टीका लग जाएगा, लेकिन यहां पर तो कह रहे हैं कि ऑनलाइन वाले को ही टीका लगेगा। ऑफलाइन वाले घर जाएं। इस दर्द को बयां किया 81 साल के रिटायर्ड कर्मचारी जगदीश पाल ने। वे टीका लगवाने भंडारी अस्पताल पहुंचे थे। यह सब सुबह ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन और ऑफलाइन रजिस्ट्रेशन की गफलत के कारण हुआ है। बाद में उन्हें टीका लगा और वे भंडारी अस्पताल में पहला टीका लगवाने वाले बुजुर्ग बने। ऐसे रहा पूरा घटनाक्रम…

बुजुर्ग बाबूलाल जी को पहला टीका लगना था, लेकिन नंबर का मिलान नहीं होने से आई परेशानी।

बुजुर्ग बाबूलाल जी को पहला टीका लगना था, लेकिन नंबर का मिलान नहीं होने से आई परेशानी।

81 साल के पाल ने बताया कि सुबह साढ़े 8 बजे के पहले यहां आ गया था। यहां पर उस समय स्टाफ के रूप में ज्यादा कोई नहीं था। एक मैडम ने कहा कि बैठे टीम आ रही है, फिर टीका लगेगा। मैं कुर्सी पर बैठ गया। करीब 9 बजे कुछ लोग आए और फिर रजिस्ट्रेशन रूम में चले गए। हॉल में चेयर पर रजिस्टर लेकर एक पुलिसकर्मी बैठ गए। उन्हें देख मैं उनके पास पहुंचा और फिर उन्होंने मेरा नाम, नंबर और आधार कार्ड का नंबर नोट कर लिया। वहां से मुझे एक टोकन दिया, जिसमें मेरा नंबर पहला था। यानी मुझे सबसे पहला टीका यहां लगने वाला था। एक घंटे बाद कह रहे हैं कि आप घर जाइए आपको कॉल कर बुलाया जाएगा। आखिर ऐसा क्यों, जब मैं सुबह आ गया था, आपने नंबर देकर बिठा दिया और इतने इंतजार के बाद कह रहे हो घर जाओ। यह गलत बात है।

ऑनलाइन में बाबूलाल का नाम था, ऑफलाइन में जगदीश पाल को पहला नंबर
सुबह ऑनलाइन की लिस्ट में पहला नाम बाबूलाल जी का था। वहीं, ऑफलाइन के जरिए पहला नंबर जगदीश पाल को दिया गया था। दोनों ही बुजुर्ग टीका लगवाने के लिए अस्पताल में मौजूद थे। यहां पर बाबूलाल जी का जब रजिस्ट्रेशन वेरीफिकेशन के लिए गया तो उनका मिलान नहीं हो पाया। संभवत: जो मोबाइल नंबर उन्होंने आधार कार्ड से रजिस्टर्ड किया गया था, वह वर्तमान में मिलान करने पर नहीं मिल रहा था। इसके बाद टीम ने 81 वर्षीय पाल का रजिस्ट्रेशन मौके पर ही किया और उन्होंने वैक्शीनेशन रूम में भेज दिया।

टीका लगवाने के बाद पाल को रशीद दी गई है। 28 दिन बाद उन्हें दूसरा डोज लगेगा।

टीका लगवाने के बाद पाल को रशीद दी गई है। 28 दिन बाद उन्हें दूसरा डोज लगेगा।

10 बजकर 05 मिनट में लगा पहला टीका
भंडारी अस्पताल में आनलाइन के जरिए शुरुआती घंटे में ही 100 के करीब बुजुर्गों ने ऑनलाइन और ऑफलाइन के जरिए रजिस्ट्रेशन करवा लिया था। सारी प्रक्रिया पूरी होने के बाद पाल को सबसे पहला टीका 10 बजकर 5 मिनट में लगाया गया। उन्होंने बताया कि कोविड का वैक्सीन लगवाकर अच्छा लग रहा है। वे तीन महीने पहले कोरोना संक्रमित हुए थे, अस्पताल में भी 7 से 8 दिन भर्ती रहे थे। वैक्सीनेशन का उन्हें लंबे समय से इंतजार था। वैक्सीनेशन के दौरान उन्हें कुछ जानकारी दी गई है। जैसे बुखार आना या दर्द होना या फिर कोई परेशानी आने पर अस्पताल आकर दिखाना है। 28 दिन बाद उन्हें फिर से वैक्सीशन लगवाना है।

नोडल अधिकारी अमित मालाकार ने बताया कि पोर्टल सुबह 9 बजे से एक्टिवेट होना था, लेकिन सुबह किन्हीं कारणों से दिक्कतें आईं। निर्देश के अनुसार ऑफलाइन वैक्सीनेशन की प्रक्रिया शुरू की गई है। दिनभर में हमारा टारगेट 500 लोगों को वैक्सीन लगाने का है। वहीं, हेल्थ वर्कर को भी वैक्सीन लगाने की प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाया जा रहा है।

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