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होशंगाबाद17 घंटे पहले
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होशंगाबाद| पिछले कुछ दिनों से तापमान बढ़ने के कारण घानाबड़ के पास गेहूं की फसल भी पकना शुरू हो गई है। 15 मार्च के बाद कटाई भी होने लगेगी और एक अप्रैल से समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू हो जाएगी।
- सहकारी समितियों की हड़ताल के बाद सरकार ने उठाया ठोस कदम
बीते दिनों सहकारी समिति कर्मचारियों की हड़ताल से सबक लेकर सरकार गेहूं खरीदी के लिए ठोस कदम उठाया है। अब निजी वेयरहाउस (गोदाम) संचालकों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं खरीदी के अधिकार मिल गए हैं। किसान निजी वेयरहाउस में भी समर्थन मूल्य पर उपज बेच सकेंगे। वेयर हाउस संचालकों को सरकार खरीदी के लिए 27 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से कमीशन देगी। सहकारी समितियों के अलावा जिले के करीब 150 निजी वेयरहाउसों में खरीदी केंद्र बन सकेंगे।
उन्हीं गोदामों का चयन किया गया है, जिनमें कम से कम 3 हजार टन भंडारण क्षमता रिक्त है। वेयरहाउस के 15 किमी के दायरे में आने वाले गांव के किसान उपज बेच सकेंगे। कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया वेयरहाउस संचालक भी खरीदी कर सकेंगे। गाेदाम वेयरहाउस कॉर्पोरेशन से पंजीकृत होना चाहिए। वहीं प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने भी पत्र जारी कर दिया है। हालांकि सहकारी समितियों पर खरीदी यथावत होगी।
आर्मी की तर्ज पर बनेगी किसान कैंटीन
प्रदेश में किसानों के लिए आर्मी की तर्ज पर कैंटीन बनाई जाएंगी। कृषि मंत्री कमल पटेल ने कहा कि प्रदेश की सभी मंडियों को किसानों के लिए सर्व सुविधायुक्त आदर्श मंडी के रूप में तैयार किया जाएगा। मंडी की कैंटीन में अच्छी गुणवत्ता के कृषि उपकरण व रोजमर्रा, घरेलू सामान सस्ती कीमतों पर ले सकेंगे।
फरवरी में ही पक गई गेहूं की फसल, 1 अप्रैल से होगी खरीदी
होशंगाबाद| पिछले कुछ दिनों से तापमान बढ़ने के कारण घानाबड़ के पास गेहूं की फसल भी पकना शुरू हो गई है। 15 मार्च के बाद कटाई भी होने लगेगी और एक अप्रैल से समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू हो जाएगी।
नई व्यवस्था से यह होंगे फायदे
किसान
सोसाइटी कर्मचारियों की मनमानी, हड़ताल से किसानों को राहत रहेगी। हड़ताल के कारण उपज खरीदी प्रभावित नही होगी। निजी गोदामों पर सहकारी समितियों की अपेक्षा अच्छी व्यवस्थाएं मिलेंगी।
सरकार
कर्मचारियों की कमी, हड़ताल का असर नहीं रहेगा। गोदाम स्तर पर सीमित खरीदी होती है। भंडारण के लिए उपार्जन केंद्रों से गेहूं परिवहन कर लाना होता है। इसमें समय और धन दोनों लगता है। सरकार को इससे छुटकारा मिला।
गोदाम संचालक
अभी समिति द्वारा खरीदी उपज से केवल किराया मिलता था। अब संचालक स्वयं उपज खरीदेंगे तो आर्थिक लाभ भी होगा। गोदामों में समय पर भंडारण होगा। गोदाम खाली नहीं रहेंगे। भुगतान भी होगा।
ये सुविधाएं जरूरी शीघ्र तुलाई की व्यवस्था, पार्किंग, पीने के पानी और शौचालय, किसानों के बैठने की उचित व्यवस्था, 2 हजार मीट्रिक टन भंडारण की क्षमता, तुलाई, बोरे में भराई, पैकिंग, कंप्यूटर सिस्टम, इंटरनेट, ऑपरेटर। वेयरहाउस संचालक के पास खर्च के लिए 5 लाख रुपए की क्रेडिट लिमिट होनी चाहिए।
ये करेंगे चयन शासन गोदाम के चयन के लिए हर जिले में एक कमेटी गठित कर रही है। कलेक्टर द्वारा नामित डिप्टी कलेक्टर, फूड ऑफिसर, एमडी नान, विपणन अधिकारी, डीएम वेयरहाउस मिलकर गोदामों का चयन करेंगे।