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- High Court Seeks Reply From State Government In Three Weeks On PIL, Amendments Will Increase The Arbitrariness Of Ministers
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जबलपुर3 मिनट पहले
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एमपी हाईकोर्ट में जनहित याचिका लगाकर माइनिंग एक्ट में किए गए संशोधनों को दी गई है चुनौती।
- नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की तरफ से लगाई गई याचिका
- चीफ जस्टिस की डबल बेंच में हुई मामले की सुनवाई
मध्य प्रदेश सरकार की ओर से हाल ही में खनन लीज के पट्टे देने के नियमों में किए गए संशोधनों को जबलपुर हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच की ओर से दायर की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश माइनर मिनरल एक्ट में हुए संशोधन के बारे में राज्य सरकार से जवाब मांगा है। राज्य सरकार को अपना जवाब तीन हफ्तों में पेश करना होगा।
जानकारी के अनुसार नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के अध्यक्ष डॉ. पीजी नाजपांडे और डॉ. एमए खान ने जनहित याचिका दायर कर संशोधनों को चुनौती दी है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता दिनेश उपाध्याय ने पक्षा रखा कि प्रदेश सरकार ने 22 जनवरी 2021 को गौण खनिज नियम 1996 में संशोधन किया है।
यह संशोधन नियम 18 (क) में जोड़ा गया है। इस संशोधन के मुताबिक मध्यप्रदेश में खनिजों के उत्खनन पट्टे को मंजूरी देने से पहले विभागीय मंत्री की अनुमति लेना अनिवार्य कर दिया गया है। ऐसा ही संशोधन 41 (क) में ई-निविदा के संबंध में भी जोड़ा गया है।
मंत्रियों को लाभ पहुंचाने के लिए ऐसा संशोधन किया गया है
याचिका में आरोप लगाया गया है कि सरकार ने यह संशोधन अपने मंत्रियों को लाभ पहुंचाने के लिए किया है। मंत्री के बिना अनुमति के खनिजों के उत्खनन के लिए मंजूरी नहीं दी जा सकेगी। ऐसे में मंत्री अपने लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए इस नियम का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं। विभागीय मंत्री का निर्णय गलत होने पर भी उनकी जवाबदेही नहीं होगी।
राज्य सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा
हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया है कि इस संशोधन को रद्द किया जाना चाहिए ताकि खनिजों के उत्खनन लीज में पारदर्शिता आ सके। याचिका में उठाए गए तर्कों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार से तीन सप्ताह में जवाब मांगा है।