शिवरात्रि पर्व के 9 दिन पूर्व शुरू होने वाला शिव नवरात्रि पर्व बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है. शिवनवरात्रि के पहले दिन माता पार्वती और बाबा का चंदन, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुंड माल छत्र आदि से विशेष एवं अद्भुत श्रृंगार किया गया.बारह ज्योतिर्लिंगों में से उज्जैन ही एकमात्र ऐसा स्थान है जहां शिवरात्रि के पहले शिव नवरात्रि मनाने की परम्परा है. इस दौरान लगातार 9 दिन तक भगवान् महाकाल का अलग अलग श्रृंगार किया जाएगा.
शिव नवरात्रि में नौ दिन राजा के विविध रूप और पूजन के बारे में कम ही लोग जानते हैं. नवरात्रि में पहले दिन कोटितीर्थ कुण्ड स्थित कोटेश्वर महादेव पर शिवपंचमी का पूजन किया गया.उसके बाद एक घंटे तक बाबा का अभिषेक किया गया. हर साल की तरह इस बार भी 11 ब्राह्मणों और दो सहायक पुजारियों को एक-एक सोला और वरूणी दी गयी. कोटेश्वर महादेव के पूजन आरती के बाद महाकालेश्वर राजा का पूजन अभिषेक और 11 ब्राह्मणों ने एकादश एकादशिनी रूद्राभिषेक किया.उसके बाद भोग आरती की गई. देर शाम भगवान महाकाल का संध्या पूजन कर चंदन, भांग का श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्ड माल, छत्र आदि से बाबा को अद्भुत रूप दिया गया.
बाबा के आंगन में हरिकीर्तनदेर शाम बाबा के आंगन में हरिकीर्तन भी किये गए जिसका भरपूर आनंद श्रद्धलुओं ने उठाया.यह सिलसिला 10 दिन तक लगातर चलेगा.हरिकीर्तन इंदौर के कानडकर परिवार की ओर से 1990 से शिवनवरात्रि में लगातार शाम 4 बजे से 6 बजे तक किया जाता है.
9 दिन 9 रूप
9 दिन तक बाबा का विविध स्वरूप में श्रृंगार किया जाता है.
-4 मार्च को शेषनाग श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र
-5 मार्च को घटाटोप श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र
-6 मार्च को छबीना श्रृंगार-कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र
-7 मार्च को होल्कर श्रृंगार- कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र
-8 मार्च को मनमहेश श्रृंगार-कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र
-9 मार्च को उमा महेश श्रृंगार- कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र
-10 मार्च को शिवतांडव श्रृंगार, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र
– 11 मार्च महाशिवरात्रि पर सतत जलधारा रहेगी.
-12 मार्च सप्तमधान श्रृंगार (सेहरा दर्शन), कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र
-13 मार्च को चंद्र दर्शन, पंचानन दर्शन, कटरा, मेखला, दुपट्टा, मुकुट, मुण्डमाल, छत्र आदि धारण कराए जाएंगे