अश्विन ने बताई बायो-बबल की मुश्किलें, कहा-ऑस्ट्रेलिया में ऐसे होटलों में ठहरे जहां नहीं आती थी ताजी हवा

अश्विन ने बताई बायो-बबल की मुश्किलें, कहा-ऑस्ट्रेलिया में ऐसे होटलों में ठहरे जहां नहीं आती थी ताजी हवा


अश्विन टेस्ट क्रिकेट में सबसे ज्यादा विकेट लेने के मामले 15वें नंबर पर पहुंच गए हैं. (PIC: PTI)

भारतीय टीम के खिलाड़ी पिछले साल अगस्त से बायो-बबल में रह रहे हैं, जब वे संयुक्त अरब अमीरात में 2020 इंडियन प्रीमियर लीग के लिये इकट्ठे हुए थे.

नई दिल्ली. स्टार स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने कहा कि बायो-बबल में जीवन काफी चुनौतीपूर्ण होता है क्योंकि इसमें रोजमर्रा की जरूरतों के लिये जूझना पड़ता है. ऑस्ट्रेलिया में कभी कभार भारतीय टीम को ऐसे होटल के कमरों में ठहरना पड़ा जिसमें ताजा हवा भी नहीं आती थी क्योंकि खिड़कियां खुलती ही नहीं थीं. भारतीय टीम के खिलाड़ी पिछले साल अगस्त से बायो-बबल में रह रहे हैं, जब वे संयुक्त अरब अमीरात में 2020 इंडियन प्रीमियर लीग के लिये इकट्ठे हुए थे. इसके बाद ऑस्ट्रेलिया दौरा हुआ और अब इंग्लैंड का भारत दौरा चल रहा है.

अश्विन ने मैच के बाद वर्चुअल प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘हमें ऑस्ट्रेलिया में जहां रखा गया, हमें उन हालात से निपटना था. कभी कभार होटल के बंद कमरे में काफी घुटन होती, उसमें आपको ताजा हवा भी नहीं मिलती थी. ऐसे भी हालात थे जब होटल की खिड़कियों में खुलने के लिये जगह भी नहीं थी. 14 दिन या 20 दिन या 25 दिन खिड़की बिना खुले हुए बंद रहना काफी कठिन हो सकता है.’

अश्विन ने अपने 10 साल के करियर में आठ ‘मैन आफ द सीरीज’ पुरस्कार जीत लिये हैं और वह हरभजन सिंह के 417 टेस्ट विकेट की बराबरी करने से महज आठ विकेट दूर हैं. और ऐसा इन गर्मियों में इंग्लैंड में हो सकता है लेकिन इसके बारे में नहीं सोचना चाहते. अश्विन ने कहा, ‘ईमानदारी से कहूं तो यह चीज मेरे दिमाग में भी नहीं आयी और अगर आप इस पर मेरे विचार लेना चाहते हैं तो वह बहुत ही शानदार गेंदबाज हैं. काफी चीजें हैं जो मैंने उनसे सीखी हैं. जब भज्जू पा ने भारतीय टीम के लिये खेलना शुरू किया था तो मैं ऑफ स्पिनर बना भी नहीं था.’

हरभजन से मिली प्रेरणा लेकिन अब अपनी छा छोड़ना चाहते हैं अश्विनअश्विन ने कहा, ‘2001 में मशहूर श्रृंखला (तीन टेस्ट में 32 विकेट) के कारण वह (हरभजन) प्रेरणास्रोत भी थे. 2001 में मैने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं एक ऑफ स्पिनर बनूंगा, मेरा मतलब है कि किसी ने इन चीजों की कल्पना भी की होगी.’ उन्होंने कहा, ‘मैं भाग्यशाली रहा कि जब मैं टीम में आया तो भज्जू पा के साथ खेला और अनिल भाई के साथ भी खेला लेकिन अब मैं अपनी छाप छोड़ना चाहूंगा.’ अश्विन बतौर क्रिकेटर और बतौर इंसान हर दिन खुद को बेहतर बनाना चाहते हैं. उन्होंने कहा, ‘मैं खुद को बेहतर बनाते रहना चाहता हूं, सीखना चाहता हूं और यह मेरी प्रकृति है.’








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